अडानी के बाद अब इनके लिए कर्ज बना दर्द, कभी कबाड़ बेचकर खड़ी की थी कंपनी, आज मुश्किल में अनिल अग्रवाल

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अडानी के बाद अब इनके लिए कर्ज बना दर्द, कभी कबाड़ बेचकर खड़ी की थी कंपनी, आज मुश्किल में अनिल अग्रवाल

अडानी के बाद अब इनके लिए कर्ज बना दर्द, कभी कबाड़ बेचकर खड़ी की थी कंपनी, आज मुश्किल में अनिल अग्रवाल


नई दिल्ली: अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह (Adani Group) संकट में घिर गई। संकट में घिरे गौतम अडानी ( Gautam Adani) धीरे-धीरे इस मुश्किल से निकल रहे हैं। बीते तीन दिनों से उनके शेयर में रिकवरी देखने को मिल रही है। जहां गौतम अडानी रिकवर कर रहे हैं तो वहीं एक और भारतीय कारोबारी के कर्ज की चर्चा शुरू हो गई है। दिग्गज कारोबारी वेदांता (Vedanta) के चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agrawal) कर्ज के बोझ के कारण मुश्किल में आ गए हैं। उनकी कंपनियों पर कर्ज का बोझ बाजार की चिंताओं का कारण बन रहा है। माइनिंग से लेकर तेल तक के समूह में वेदांता के शेयरों में पिछले आठ दिनों से गिरावट का सिलसिला जारी है। कंपनी फंड जुटाने की कोशिश कर रही है तो निवेशकों में डर का माहौल है। सरकार से भी कंपनी को झटका लगा है। वेदांता समूह फंड जुटाने के लिए अपनी कंपनी की कुछ हिस्सेदारी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को बेचना चाहत थी, लेकिन सरकार ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। कंपनी भले ही इस वक्त मुश्किल दौर से गुजर रही हो, लेकिन अनिल अग्रवाल (Anil Agrawal) ने कड़ी मेहनत से अपने दम पर इसे खड़ा किया है।

बिहार से खाली हाथ निकले थे अनिल अग्रवाल

वेदांता समूह को अनिल अग्रवाल ने अपने दम पर खड़ा किया है। बिहार में जन्म अनिल अग्रवाल 20 साल की उम्र में खाली हाथ वहां से निकले थे। उनके साथ बस एक टीन की टिफिन और एक बेड था। खाली हाथ और घरवालों की दुआएं लेकर वो मुंबई पहुंचे। उन्होंने जीवन में पहली बार मुंबई में काली-पीली पट्टी वाली टैक्सी, बस देखा था। पूंजी था नहीं, इसलिए स्क्रैप का काम शुरू किया। कबाड़ के कारोबार से उन्हें बिजनस जगत में अपना पहला कदम रखा। साल 1970 में उन्होंने स्क्रैप मेटल बिजनस की शुरुआत की।

ऐसे हुई वेदांता की शुरुआत

ऐसे हुई वेदांता की शुरुआत

साल 1976 में उन्होंने एक कंपनी शमशेर स्टर्लिंग केबल खरीदा। हालांकि ये कंपनी उनके लिए कुछ खास नहीं रही। उनके पास कर्मचारियों की सैलरी देने तक के पैसे नहीं थे। कंपनी चलाने के लिए उन्होंने अलग-अलग बिजनेस शुरू किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। साल 1986 में भारत सरकार से टेलीफोन केबल बनाने के लिए प्राइवेट सेक्टर को मंजूरी दी, जिसके बाद उनकी तरक्की ने रफ्तार पकड़ ली। साल 1980 में उन्होंने स्टारलाइट इंडस्ट्रीज की नींव रखी। 1990 में उन्होंने भारत में कॉपर को रिफाइन करने वाली देश की पहली प्राइवेट कंपनी बनाई। बाद में यहीं कंपनी वेदांता रिसोर्सेस लिमिटेड बनी। बाद में जाकर ये वेदांता ग्रुप बन गई।

देश की सबसे बड़ी माइनिंग कंपनी

देश की सबसे बड़ी माइनिंग कंपनी

वेदांता ग्रुप आज देश की सबसे बड़ी माइनिंग कंपनियों में से एक है। आयरन, एल्युमिनियम, क्रूड ऑयल के सेक्टर में ये कंपनी काम करती है। अनिल अग्रवाल ने अपने बलबूते पर 1.36 लाख करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी। आज अनिल अग्रवाल देश के दिग्गज कारोबारियों में से एक हैं। फोर्ब्स बिलिनेयर इंडेक्स के मुताबिक उनका नेटवर्थ 1.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। अनिल अग्रवाल ने अपनी कंपनी वेदांता रिसोर्सेज को लंदन स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग करवाई।

स्क्रैप किंग के नाम से मशहूर

स्क्रैप किंग के नाम से मशहूर

अनिल अग्रवाल को स्क्रैप किंग के नाम से जाना जाता है। बिहार के पटना में पले-बढ़े अनिल अग्रवाल ने 15 साल के उम्र में स्कूल छोड़ दिया था। स्क्रैप डीलर से लेकर अरबपति कारोबारी बनने का सफल तय करने वाले अनिल अग्रवाल को स्क्रैप किंग के नाम से जाना जाता है। अनिल अग्रवाल की गिनती बड़े दानवीरों में होती है। उन्होंने अपनी संपत्ति का 75 फीसदी दान करने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि जो कमाया, वो समाज को लौटाना चाहता हूं।

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