न पौधे लगे, न ही हटी जलकुंभी | Sirpur Talab | Patrika News
इंदौर. अगस्त 2022 में यूनेस्को द्वारा घोषित किए गए रामसर साइट सिरपुर तालाब व यशवंत सागर की स्थिति जस की तस है। जैव विविधता पर न तो पर्यावरण विभाग ने कोई कदम उठाया, न ही नगर निगम ने। न जलकुंभी हटाई गई और न ही पौधे लगाए गए। मछली पकडऩे वालों पर भी कोई रोक नहीं है। इसे लेकर शहर के पर्यावरणविदों ने ङ्क्षचता जताई है।
इनका कहना है, विभागों के प्रयास नहीं करने से जैव विविधता को नुकसान पहुंच रहा है। अब शहरवासियों को ही प्रयास करने चाहिए। मालूम हो, सिरपुर तालाब व यशवंत तालाब को यूनेस्को ने रामसर साइट घोषित किया है। इसकी मॉनिटङ्क्षरग का जिम्मा पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) भोपाल का है। संगठन भी जिम्मेदारी ढंग से नहीं पूरी कर रहा है। जबकि, यह पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों को लेकर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर काम करता है। सिरपुर तालाब के 200 एकड़ क्षेत्र में जलकुंभी है, जिससे यहां न तो प्रवासी पक्षी आ रहे हैं, न ही जलीव जीव पनप रहे हैं। रामसर साइट घोषित होने के बाद भी नगर निगम ने तालाब की सफाई नहीं करवाई। इससे स्थिति यह है कि पूरे तालाब क्षेत्र में जलकुंभी जमा हो गई है, जिसे हटाना अब निगम के लिए चुनौती से कम नहीं है।
प्रवासी पक्षियों का आना हुआ कम: नाचन
पर्यावरणविद् कमलेश नाचन ने बताया, सर्दियों में सिरपुर तालाब पर प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा रहता है। ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमरीका, यूरोप आदि देशों से पक्षी उड़ान भरकर यहां आते हैं, जो तालाब पर करीब 4 महीने प्रवास करते हैं। तालाब में जलकुंभी होने, विकास कार्य व अन्य गतिविधियों के चलते प्रवासी पक्षियों का आना भी कम हो गया है। जबकि, शहर में रामसर साइट प्रवासी पक्षियों का इकलौता घर है।
रामसर साइट के संरक्षण के लिए शहरवासी करें पहल: भालू मोंढे
पर्यावरणविद पद्मश्री भालू मोंढे ने बताया, निगम ने रामसर के लिए प्रयास नहीं किए। रामसर घोषित होने के पहले जैसा तालाब था वैसा आज भी है। जो स्थिति सिरपुर की है वही यशवंत सागर की है। क्षेत्र के लोगों को तालाब क्षेत्र को रामसर साइट घोषित होने की जानकारी तक नहीं दी गई, जिससे लोग जैव विविधता को नुकसान पहुंचा रहे हैं। सिरपुर में न तो पौधरोपण हुआ, न ही जैव विविधता संरक्षण को लेकर नवाचार। दोनों रामसर साइट के संरक्षण के लिए नागरिकों को पहल करनी चाहिए। क्योंकि, शहर की सेहत प्रकृति से जुड़ी है। इनके संरक्षण की जरूरत है।
पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) से जैव संरक्षण को लेकर योजना मिलने के बाद उस दिशा में काम करेंगे। इसके लिए पहले एजेंसी नियुक्त करेंगे। फिलहाल अभी दोनों रामसर साइट को लेकर कोई काम नहीं हो रहा है।
– सुनील गुप्ता, सिटी इंजीनियर, नगर निगम