पिछले एक साल में दिल्ली में एक भी सरोगेसी नहीं, अब बोर्ड बनाने की मंजूरी
कानून ने इस राह में कई अड़चन डाल दी
इंडियन सोसायटी फॉर असिस्टेड रिप्रोडक्शन की वाइस चेयरमैन डॉ. शिवानी सचदेव ने कहा कि जब से इस कानून को लागू किया है, उसके बाद से दिल्ली में एक भी सेरोगेसी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि मेरे पास 25 कपल्स इसका इंतजार कर रहे हैं। कानून ने इस राह में कई अड़चन डाल दी है और इसके लिए 5 तरह के परमिशन की जरूरत है। कोर्ट से प्री बर्थ ऑर्डर का सर्टिफिकेट लेना जरूरी है। इसमें यह देखा जाता है कि कपल्स को इसकी जरूरत है भी या नहीं। इसके अलावा जो कपल्स माता-पिता बनना चाहते हैं, उन्हें इसकी योग्यता साबित करना होता है। महिला की उम्र 50 से कम और पुरुष की उम्र 55 से कम होनी चाहिए। पहले से जीवित बच्चा नहीं हो और अगर कोई बच्चा हो तो उसे गंभीर जानलेवा बीमारी हो तभी यह सर्टिफिकेट मिलेगा। अगर बच्चा अडॉप्ट कर लिया है तो उसके बाद भी यह नहीं मिलेगी। ऐसी ही योग्यता सरोगेट बनने वाली महिला को भी साबित करनी होती है। वह फिजिकली फिट हो, उम्र 25 से 35 के बीच हो, पहले नॉर्मल डिलिवरी हुई हो और पति भी इसके लिए तैयार हो। इसमें पैसे का कोई लेनदेन न हो, लेकिन सेरोगेट बनने वाली महिला का हॉस्पिटल का खर्च, मेडिसिन, फूड, ट्रैवल आदि का खर्च कपल्स को ही उठाना है।
सरोगेसी का फायदा
डॉक्टर अर्चना धवन बजाज ने कहा कि लाइफस्टाइल, वर्किंग विमन, गंभीर बीमारी, डिलिवरी के लिए अनफिट, बच्चेदानी में खराबी या अन्य मेडिकल वजह होने पर ऐसी महिला पहले मां का सुख नहीं उठा पाती थी। लेकिन सेरोगेसी प्रक्रिया इन महिलाओं के लिए वरदान की तरह है। आजकल कम उम्र में भी महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर, सर्विक्स कैंसर हो जाता है। कैंसर से तो जीत हासिल कर लेती हैं, लेकिन मां बनने का सपना अधूरा रह जाता है। इन सपनों को सरोगेसी पूरा करता है।
सरोगेसी में अड़चन
डॉक्टर शिवानी ने कहा कि पहले हर स्टेट का एक मेडिकल बोर्ड होता था। अब दिल्ली में हर जिले में एक बोर्ड बना दिया है। कानून इतने सख्त बना दिए कि आधे से अधिक इसके दायरे से बाहर हो रहे हैं। साइंस फायदे के लिए होता है, इसे कानून के शिकंजे में कस देना सही नहीं है।
क्यों सख्त हुआ कानून?
डॉक्टर अर्चना ने कहा कि थाइलैंड में एक बच्चा सरोगेसी के जरिए हुआ था। बच्चे को डाउन सिंड्रोम की बीमारी निकली और आस्ट्रेलिया के कपल्स ने इसे नहीं लिया। बच्चा सेरोगेट मदर के पास ही रह गया। इसके बाद सेरोगेट मदर के अधिकार की बाद उठनी शुरू हुई है। भारत में भी इसका मिस यूज शुरू हो गया। फिल्मी दुनिया के कपल्स बॉडी खराब होने से बचने के लिए सरोगेसी का सहारा लेने लगे। पहले से बच्चे होने के बाद भी सरोगेसी से बच्चे किए। इन वजहों से सख्ती करने का फैसला हुआ। इसकी वजह से सख्त कानून आ गया है और जरूरतमंद के लिए परेशानी बढ़ गई।