महरौली में बुलडोजर: बिल्डर खिसकाते गए फॉरेस्ट एरिया में DDA की बाउंड्री, लेकिन पहले क्यों नहीं हुई कार्रवाई?
नोटिस भेजकर इतिश्री कर लेते हैं DDA अधिकारी
डीडीए के सूत्रों ने बताया कि अवैध निर्माण के खिलाफ एक्शन नहीं लेना है। मगर अपनी नौकरी भी अधिकारी को बचानी है, तो वे नोटिस जारी करने की खानापूर्ति कर देते हैं। एक्शन कभी नहीं लिया जाता है। मामला बड़े स्तर पर उजागर होने पर वे बताते हैं कि नोटिस दिया जा चुका है। कार्रवाई नहीं होने का कारण वे फोर्स (पुलिस) नहीं मिलना और संबंधित कारण गिनाकर साफ बच जाते हैं। इसका फायदा अवैध निर्माण करने वाले बिल्डर उठाते हैं। रिजर्व फॉरेस्ट का मामला इसका ताजा प्रमाण है।
‘हम पर ज़ुल्म किया जा रहा है’
मैं करीब पचास साल पहले आईआईटी से लड्डा सराय के एमसीडी स्कूल में पढ़ने आता था। यहां थोड़ा-बहुत छोड़ दें तो काफी बड़ी संख्या में पुरानी संपत्तियां ही हैं। पहले एक फ्लोर होता था। अब तीन-चार फ्लोर हैं। बस यही अंतर है। इतने साल बाद एक्शन लोगों की जिंदगी के साथ गंदा मजाक है।
सन्नी शहजाद
मैं यहीं पैदा हुआ हूं। तीसरी पीढ़ी है हमारे परिवार की। पचास साल पहले रहा होगा फॉरेस्ट, जो अब नहीं है। हमारे पास रजिस्ट्री है। डीडीए अधिकारी अपनी नौकरी बचाने के लिए हम पर जुल्म कर रहे हैं। वे वॉर्ड नं.8 के फॉरेस्ट एरिया में हो रहे अवैध निर्माण को करवाने के दोषी है। खामियाजा गरीब भुगत रहा है।
गौरव, दुकानदार
डीडीए अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि फॉरेस्ट एरिया में कई साल पहले से एक्शन लिया जाता तो इतनी गंभीर स्थिति पैदा नहीं होती। अब तो फॉरेस्ट एरिया की करीब 7 एकड़ में अवैध निर्माण हो चुका है। अधिकारी मानते हैं कि बिल्डर के साथ डीडीए के संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर सैकड़ों अपार्टमेंट्स नहीं बन सकते थे।