‘आधी रात को किसानों के घर में पुलिस क्यों घुसी, क्या उनके पास वारंट था?’, बक्सर कांड पर गरजे अश्विनी चौबे

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‘आधी रात को किसानों के घर में पुलिस क्यों घुसी, क्या उनके पास वारंट था?’, बक्सर कांड पर गरजे अश्विनी चौबे

‘आधी रात को किसानों के घर में पुलिस क्यों घुसी, क्या उनके पास वारंट था?’, बक्सर कांड पर गरजे अश्विनी चौबे


बक्सर: किसानों पर पुलिसिया कार्रवाई को बक्सर के सांसद और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने गुंडागर्दी बताया है। चौसा प्रखंड स्थित बनारपुर में मंगलवार रात पुलिस के लाठीचार्ज के बाद बुधवार अहले सुबह किसानों ने चौसा स्थित पावर प्लांट पर धावा बोल दिया। नाराज किसानों ने तोड़फोड़ कर पुलिस की गाड़ियों को फूंक दिया। पूरे मामले पर अश्विनी चौबे ने कहा कि महागठबंधन की सरकार किसान विरोधी है। किसानों के साथ अत्याचार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पुलिसिया कार्रवाई गुंडागर्दी है- अश्विनी चौबे

अश्विनी चौबे ने ट्वीट कर कहा कि ‘बक्सर में किसानों के घर में घुसकर पुलिस ने जो गुंडागर्दी की है, यह घोर निंदनीय है। क्या किसान अपराधी थे, वारंटी थे, जो रात में उनके घर में घुस कर मारपीट की गई। महिलाओं के साथ गाली गलौज और अमानवीय व्यवहार किया गया। महागठबंधन की सरकार किसान विरोधी है। किसानों के साथ अत्याचार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बिहार में छात्र नौकरी मांग रहे हैं, तो पुलिस पीट रही है। किसान हक मांग रहे हैं तो पुलिस बर्बरता कर रही है। बिहार में पुलिस और अपराधी दोनों बेलगाम हो गए हैं। नीतीश बाबू यही जंगलराज है, धृतराष्ट्र मत बनिए।’

रात में किसानों के घर में पुलिस क्यों घुसी?- चौबे

मीडिया से बातचीत में अश्विनी चौबे ने कहा कि देर रात पुलिस ने जिस तरह से किसानों के घर में घुसकर कार्रवाई की है, वो गुंडागर्दी है। बक्सर पुलिस का रवैया अलोकतांत्रिक है। उन्होंने बताया कि मैंने मांग की है कि जो भी दोषी पुलिस वाले हैं, जिन्होंने देर रात बिना वारंट के किसानों के घर में घुसकर लाठियां चलाई, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार धृतराष्ट्र बनकर ये सब नहीं देख सकते। बिहार की पुलिस 12 बजे रात में किसानों के घर क्यों घुसी? क्या उनके पास वारंट था? नीतीश राज में ये गुंडाराज है। नीतीश कुमार धृतराष्ट्र बनकर शासन चला रहे हैं।

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2023 में 2013 का मुआवजा क्यों दी जा रही?

पूरा विवाद बक्सर के चौसा में बिहार सरकार के बन रहे पावर प्लांट को लेकर है। इस प्लांट के लिए करीब 1000 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है। किसानों का कहना है कि इन्हें साल 2013 के सरकारी दर पर मुआवजा दिया जा रहा है। इनकी मांग है कि नए रेट के हिसाब से मुआवजा मिलनी चाहिए। किसानों और प्रशासन के बीच कई राउंड की बातचीत भी हुई, मगर मामला नहीं सुलझा। नए मुआवजे को लेकर किसानों की ओर से लगातार प्रदर्शन जारी था। मंगलवार को उनका प्रदर्शन हिंसक हो गया। इसी का नतीजा है कि वहां हालात तनावपूर्ण हैं।

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बक्सर के चौसा में अब भी हालात तनावपूर्ण

बक्सर में किसान आक्रोशित हैं। दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस दौरान कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। लाखों रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। पुलिस ने किसानों पर जमकर लाठियां भांजी। जिसमें कई किसान चोटिल हो गए हैं। किसानों की तरफ से भी रोड़ेबाजी की गई। स्थानीय पुलिस प्रशासन लोगों को समझाने के प्रयास में जुटी हुई है लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं है। जलती गाड़ियों और धुएं के बीच एंबुलेंस का दौड़ भी जारी है। किसानों का आरोप है कि थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए सरकार की उनकी जमीनें तो ले रही लेकिन उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है।

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