Ram Rahim: आदमपुर उपचुनाव से पहले परोल मिलने पर विवाद, क्या हरियाणा की राजनीति में राम रहीम का अब भी है दबदबा? h3>
चंडीगढ़/ नई दिल्ली: क्या राम रहीम अब भी हरियाणा और पंजाब की राजनीति को प्रभावित करने वाले बड़े फैक्टर हैं? क्या उनकी ताकत को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है? ये तमाम सवाल तब उठ रहे हैं जब हरियाणा में एक विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से पहले राम रहीम परोल पर जेल से बाहर आए हैं। इसके बाद सियासी विवाद उठा और बीजेपी को इस मसले पर बैकफुट पर आना पड़ा। माना जा रहा है कि सियासी मजबूरी और राम रहीम की सियासी ताकत के कारण बीजेपी ने समझौता किया है।
पांच वर्षों से जेल में हैं बंद
डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 2017 में सीबीआई कोर्ट ने यौन शोषण के मामले में 20 वर्ष की सजा सुनाई थी। उस वक्त से वह जेल में है। हालांकि, जेल से भी उनके दबदबे की खबरें आती रही हैं।
शुरू में जब उसे जेल हुई तब राम रहीम और उनके समर्थकों के बीजेपी से अनबन की खबरें आईं, लेकिन बाद में पार्टी नेताओं ने कई मौकों पर उनका समर्थन भी किया और कई बार वह जेल से भी निकले।
कब-कब मिली परोल?
राम रहीम जब जेल गए थे तब हरियाणा में हिंसा हुई थी। उसके कुछ महीने बाद तक वे शांत रहे, लेकिन बाद में अलग-अलग बहानों से वह जेल से निकलते रहे। अपनी मां से मिलने वह कई बार अस्पताल गए।
इस साल फरवरी में उन्हें 20 दिनों की परोल मिली। माना गया कि तब पंजाब चुनाव के कारण उन्हें परोल दी गई। जून महीने में राम रहीम को 30 दिनों की परोल मिली थी। अब 40 दिन की परोल मिली है। हर बार राज्य सरकार की सहमति से उन्हें जेल से बाहर आने की अनुमति मिली।
बाहर निकलने पर विवाद
परोल पर बाहर आने के बाद भले वह उत्तर प्रदेश के बागपत में आए हैं। मगर, उनसे ऑनलाइन सत्संग में हरियाणा के कई नेता आशीर्वाद लेने आ रहे हैं। राज्य में विधानसभा सीट पर उपचुनाव के अलावा राज्य में स्थानीय निकाय का भी चुनाव है। ऐसे में उनके सत्संग में कई नेताओं का जुटना और अपने लिए आशीर्वाद मांगना विवाद पैदा कर गया। विरोधियों ने इसे परोल की शर्तों का उल्लंघन बताया।
सियासत पर प्रभाव
राम रहीम अपने समर्थकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। उनके ज्यादातर अनुयायी गरीब दलित हैं, जो उन्हें सम्मान में पिताजी बुलाते हैं। उनके लिए राम रहीम की कोई बात सीधा आदेश की तरह होती है, जिसे वे पूरी तन्मयता के साथ मानते हैं। हरियाणा और पंजाब में इनके डेरों की तादाद लगभग 20 हजार है। पूरे देश में लगभग 6 करोड़ अनुयायी हैं। ज्यादातर का जुड़ाव हरियाणा और पंजाब से है।
अनुयायी न सिर्फ राम रहीम के सत्संग और दूसरे धार्मिक आयोजन में भाग लेते हैं, बल्कि चुनाव में किस राजनीतिक दल का समर्थन करना है इसके लिए भी उनके निर्देश का पालन करते रहे हैं। पंजाब के मालवा और हरियाणा के 40-50 विधानसभा सीटों पर उनके अनुयायी सीधे तौर पर चुनाव को प्रभावित करते हैं।
बदलते रहे हैं स्टैंड
चुनाव में किसे वोट करना है इसको लेकर राम रहीम स्टैंड बदलते रहे हैं। उनका राजनीतिक विंग चुनाव से पहले तमाम इलाकों में लोगों से फीडबैक लेता है। फिर इसकी जानकारी राम रहीम को दी जाती है। चुनाव से ठीक पहले इसी विंग के जरिए लोगों तक सूचना पहुंचाई जाती है कि किसे वोट करना है।
2017 पंजाब विधानसभा चुनाव में राम रहीम की ओर से कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया गया था। पार्टी जीती भी। 2014 आम चुनाव में बीजेपी को समर्थन दिया गया था। उस वक्त नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की थी। 2007 में पंजाब चुनाव में कांग्रेस को समर्थन दिया गया था। 2012 में राम रहीम चुनाव से दूर थे। उन्हें पक्ष में करने के लिए राजनीतिक दल पूरी ताकत लगाते रहते हैं।
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पांच वर्षों से जेल में हैं बंद
डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 2017 में सीबीआई कोर्ट ने यौन शोषण के मामले में 20 वर्ष की सजा सुनाई थी। उस वक्त से वह जेल में है। हालांकि, जेल से भी उनके दबदबे की खबरें आती रही हैं।
शुरू में जब उसे जेल हुई तब राम रहीम और उनके समर्थकों के बीजेपी से अनबन की खबरें आईं, लेकिन बाद में पार्टी नेताओं ने कई मौकों पर उनका समर्थन भी किया और कई बार वह जेल से भी निकले।
कब-कब मिली परोल?
राम रहीम जब जेल गए थे तब हरियाणा में हिंसा हुई थी। उसके कुछ महीने बाद तक वे शांत रहे, लेकिन बाद में अलग-अलग बहानों से वह जेल से निकलते रहे। अपनी मां से मिलने वह कई बार अस्पताल गए।
इस साल फरवरी में उन्हें 20 दिनों की परोल मिली। माना गया कि तब पंजाब चुनाव के कारण उन्हें परोल दी गई। जून महीने में राम रहीम को 30 दिनों की परोल मिली थी। अब 40 दिन की परोल मिली है। हर बार राज्य सरकार की सहमति से उन्हें जेल से बाहर आने की अनुमति मिली।
बाहर निकलने पर विवाद
परोल पर बाहर आने के बाद भले वह उत्तर प्रदेश के बागपत में आए हैं। मगर, उनसे ऑनलाइन सत्संग में हरियाणा के कई नेता आशीर्वाद लेने आ रहे हैं। राज्य में विधानसभा सीट पर उपचुनाव के अलावा राज्य में स्थानीय निकाय का भी चुनाव है। ऐसे में उनके सत्संग में कई नेताओं का जुटना और अपने लिए आशीर्वाद मांगना विवाद पैदा कर गया। विरोधियों ने इसे परोल की शर्तों का उल्लंघन बताया।
सियासत पर प्रभाव
राम रहीम अपने समर्थकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। उनके ज्यादातर अनुयायी गरीब दलित हैं, जो उन्हें सम्मान में पिताजी बुलाते हैं। उनके लिए राम रहीम की कोई बात सीधा आदेश की तरह होती है, जिसे वे पूरी तन्मयता के साथ मानते हैं। हरियाणा और पंजाब में इनके डेरों की तादाद लगभग 20 हजार है। पूरे देश में लगभग 6 करोड़ अनुयायी हैं। ज्यादातर का जुड़ाव हरियाणा और पंजाब से है।
अनुयायी न सिर्फ राम रहीम के सत्संग और दूसरे धार्मिक आयोजन में भाग लेते हैं, बल्कि चुनाव में किस राजनीतिक दल का समर्थन करना है इसके लिए भी उनके निर्देश का पालन करते रहे हैं। पंजाब के मालवा और हरियाणा के 40-50 विधानसभा सीटों पर उनके अनुयायी सीधे तौर पर चुनाव को प्रभावित करते हैं।
बदलते रहे हैं स्टैंड
चुनाव में किसे वोट करना है इसको लेकर राम रहीम स्टैंड बदलते रहे हैं। उनका राजनीतिक विंग चुनाव से पहले तमाम इलाकों में लोगों से फीडबैक लेता है। फिर इसकी जानकारी राम रहीम को दी जाती है। चुनाव से ठीक पहले इसी विंग के जरिए लोगों तक सूचना पहुंचाई जाती है कि किसे वोट करना है।
2017 पंजाब विधानसभा चुनाव में राम रहीम की ओर से कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया गया था। पार्टी जीती भी। 2014 आम चुनाव में बीजेपी को समर्थन दिया गया था। उस वक्त नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की थी। 2007 में पंजाब चुनाव में कांग्रेस को समर्थन दिया गया था। 2012 में राम रहीम चुनाव से दूर थे। उन्हें पक्ष में करने के लिए राजनीतिक दल पूरी ताकत लगाते रहते हैं।