Gurugram Pollution News: न पराली जल रही न फूट रहे पटाखे, गुरुग्राम की हवा फिर क्यों हो रही खराब? जानिए क्या है वजह

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Gurugram Pollution News: न पराली जल रही न फूट रहे पटाखे, गुरुग्राम की हवा फिर क्यों हो रही खराब? जानिए क्या है वजह

Gurugram Pollution News: न पराली जल रही न फूट रहे पटाखे, गुरुग्राम की हवा फिर क्यों हो रही खराब? जानिए क्या है वजह

एनबीटी न्यूज, गुड़गांव: शहर में न तो पटाखे फोड़े जा रहे हैं और न ही आसपास के क्षेत्र में पराली जलाई जा रही। इसके बावजूद हवा खराब होती जा रही है। सोमवार को गुड़गांव का एक्यूआई 232 दर्ज किया गया, जो खराब श्रेणी में आता है। रविवार के मुकाबले इसमें मामूली भी बढ़त हुई है, लेकिन लगातार सातवें दिन एक्यूआई में बढ़ोतरी देखने को मिली है। वहीं, बढ़ते एक्यूआई के मद्देनजर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने सभी कार्यान्वयन एजेंसियों को ग्रैप चरण-I के नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में सीएक्यूएम की तरफ से पत्र भी भेजा है। साथ ही आम नागरिकों से भी ग्रैप उपायों के क्रियान्वयन में सहयोग करने की अपील की है। हालांकि अभी तक शहर में न तो एंटी स्मॉग गन का इस्तेमाल शुरू किया गया है और न ही फायर विभाग द्वारा सड़कों के किनारे पेड़ पौधों पर पानी छिड़काव किया जा रहा। टूटी सड़कों का निर्माण और निर्माणाधीन प्रोजेक्ट पर रोक भी नहीं लगाई जा सकी है।

ये है प्रदूषण की बड़ी वजह
डीयू के पूर्व प्रोफेसर व पर्यावरणविद डॉ. एसएल शर्मा का कहना है कि त्योहारी सीजन होने और सभी तरह के कामकाज खुलने से वाहनों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है। इन वाहनों का धुआं और टूटी हुई सड़कों पर उड़ने वाले धूल कण से एक्यूआई बढ़ रहा है। इसके अलावा खुले में आग, फैक्टरियों का धुआं, निर्माण प्रोजेक्ट और कचरे का सही निस्तारण नहीं होना भी गुड़गांव में प्रदूषण की वजह हैं।

ये है पार्टिकुलर मैटर
पीएम 2.5: यह हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है और इसके कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है। इसका स्तर ज्यादा होने पर विजिबिलिटी का स्तर गिर जाता है। यह सबसे खतरनाक होता है। सांस लेते वक्त धूल के छोटे कण हमारे फेफड़ों में जम जाते हैं। पीएम 2.5 का स्तर 60 क्यूबिक प्रति घन मीटर से अधिक होना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। सोमवार को शाम चार बजे विकास सदन में पीएम 2.5 का औसत 185, टेरीग्राम में 199 और सेक्टर 51 में सबसे ज्यादा 311 क्यूबिक प्रति घन मीटर दर्ज किया गया।

पीएम 10: इनके कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास का होता है। इसमें धूल, और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं। यह कंस्‍ट्रक्‍शन और कूड़ा व पराली जलाने से ज्यादा बढ़ता है। इसका स्तर सामान्य तौर 100 माइक्रो ग्राम होना चाहिए। सोमवार को चार बजे टेरीग्राम सेंटर में 161 और सेक्टर 51 में 294 माइक्रो ग्राम तक पहुंच गया।

यू बढ़ रहा एक्यूआई

11 अक्टूबर 58
12 अक्टूबर 120
13 अक्टूबर 126
14 अक्टूबर 169
15 अक्टूबर 213
16 अक्टूबर 231
17 अक्टूबर 232

कच्ची जगह को पक्की करने के आदेश
ग्रैप के तहत नगर निगम और पलूशन कंट्रोल बोर्ड के बाद जीएमडीए ने अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं। अधिकारियों को जीएमडीए के सीईओ ने आदेश दिए हैं कि वह अपने-अपने एरिया में जहां पर कच्ची रोड है या काफी दूरी तक रोड जर्जर है, उसे तुरंत रिपेयर करें। ऐसा करके रोड व कच्ची जमीन से उड़ने वाली धूल को रोका जा सकता है। सभी बड़ी कंस्ट्रक्शन साइट पर सुबह- शाम छिड़काव करवाएं।

ग्रैप नियमों को सख्ती से लागू करने बारे सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए हैं। निर्माण स्थलों पर भी छिड़काव व मटीरियल को ढकना सुनिश्चित किया गया है। आमजन से भी आग्रह है कि वे प्रदूषण रोकने में सहयोग करें।

कुलदीप सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

जीएमडीए के सीईओ सुधीर राजपाल ने अधिकारियों को मीटिंग के दौरान कहा कि अब दीवाली के निकट एयर क्वॉलिटी इंडेक्स अधिक हो जाएगा। ऐसे में कंस्ट्रक्शन साइट, जर्जर रोड और रोड किनारे कच्ची जगह को लेकर जल्द से जल्द काम करें। जर्जर रोड पर स्पेशल रिपेयर का ड्राइव शुरू करें। कंस्ट्रक्शन साइट पर सुबह- शाम छिड़काव के अलावा बिल्डिंग मैटेरियल को ढक कर रखें। इसके अलावा रोड किनारे कच्ची जमीन को टाइल लगाकर या रोड बनाकर पक्का किया जाए। ऐसा करके धूल के कारण बढ़ने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकता है। इसको लेकर अगले सप्ताह सभी अधिकारियों से स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई है।

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