Reality Check: या तो चलेंगे नहीं या लेंगे मनमाने पैसे… दिल्ली के ऑटो रिक्शा वाले बनाते हैं हजार बहाने

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Reality Check: या तो चलेंगे नहीं या लेंगे मनमाने पैसे… दिल्ली के ऑटो रिक्शा वाले बनाते हैं हजार बहाने

Reality Check: या तो चलेंगे नहीं या लेंगे मनमाने पैसे… दिल्ली के ऑटो रिक्शा वाले बनाते हैं हजार बहाने

अश्वनी शर्मा, नई दिल्लीः राजधानी में ऑटो ड्राइवरों के मनमाने तरीके से किराया वसूलने का सिलसिला जारी है। अधिकांश ऑटो ड्राइवर मीटर से चलने के लिए तैयार नहीं होते। मीटर से न चलने के लिए उनके अलग अलग तर्क होते हैं। मीटर खराब होना, सीएनजी के दाम और महंगाई का हवाला देकर अधिक किराया चाहते हैं। नतीजा ये है कि यात्रियों को ऑटो में सफर करने के लिए मुंह मांगा किराया देना पड़ रहा है। कुछ जगह हमने खुद यात्री के तौर पर ऑटो ड्राइवरों से बातचीत की तो किसी भी जगह ऑटो वाले मीटर से चलने को तैयार नहीं हुए।

​जगह: गोल मार्केट

ऑटो ड्राइवर से मोती नगर चलने के लिए कहा। ऑटो ड्राइवर जाने के लिए तैयार लेकिन उसने किराया ढाई सौ रुपये मांगा। जब मीटर से चलने के लिए कहा तो ऑटो ड्राइवर का कहना था कि मीटर की तार टूटी हुई है। टाइम नहीं मिल रहा इसलिए मीटर की तार नहीं जुड़वा सका। उसने दस बीस रुपये कम करने के लिए कहा लेकिन इससे कम किराया लेने के लिए तैयार नहीं था। ऑटो का नंबर था डीएल 1 आर जेड 5136

वहीं खड़े दूसरे ऑटो वाले ने मोती नगर के लिए दो सौ रुपये मांगे। मीटर से न चलने के लिए उसका तर्क था कि सीएनजी के रेट काफी बढ़ चुके हैं जबकि मीटर पर पुराने रेट ही आ रहे हैं। उसका कहना था कि सीएनजी के दाम इतने अधिक हो गए हैं कि उसके लिए पुराने किराए पर ऑटो चलाना संभव नहीं है। जोर देने पर ऑटो वाले ने कहा कि वह 170 रुपये में मोती नगर ले जाएगा लेकिन शर्त ये है कि रास्ते में उसे कोई और सवारी मिली तो वह उसे भी बिठा लेगा। ऑटो का नंबर डीएल 1 आर वी 4955

​जगह: रघुबीर नगर, घोड़ेवाले मंदिर के समीप

यहां भी मंदिर के समीप खड़े ऑटो ड्राइवर से यात्री ने उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन तक चलने के लिए कहा। वहां खड़े ऑटो वालों ने अलग अलग उत्तम नगर तक जाने के लिए 130 से 150 रुपये मांगे। जब उनसे मीटर से चलने के लिए कहा तो उसके लिए कोई ऑटो वाला तैयार नहीं हुआ। अधिकतर का कहना था कि सीएनजी के दाम इतने बढ़ चुके हैं कि मीटर से चलने से उन्हें फायदे की जगह नुकसान ही होगा। यहां तीन तीन ऑटो ड्राइवर से बातचीत की, जिनके नंबर यह हैं डीएल 1 आर डब्ल्यू 5965, डीएल 1 आर ओ 3256 और डीएल 1 आर ओ 3256 शामिल हैं।

बनाते हैं तरह-तरह के बहाने

दिल्ली में ऑटो चालकों द्वारा मीटर से चलने में न नुकुर करने की शिकायतें आम हैं। कोविड के बाद से इसमें और इजाफा हो गया था। सवारों को इनकार करना और मनमाना किराया वसूलना तो है ही, रूट पर जाने को लेकर भी उनकी ना-नकुर बढ़ती जा रही है। इसके लिए वह तरह-तरह के बहाने बनाते हैं।

​किराए में बढ़ोतरी नहीं, CNG पर सब्सिडी चाहते हैं ऑटो-टैक्सी ड्राइवर

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इस साल जब से सीएनजी के दामों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है, तब से तो ऑटोवालों ने मीटर से जाना लगभग बंद ही कर दिया है। अगर वो मीटर से चलने के लिए राजी होते भी हैं, तो इस शर्त पर कि जो किराया बनेगा, उसके साथ 10-20 रुपये एक्स्ट्रा देने पड़ेंगे। पूछने पर सीएनजी के दामों में बढ़ोतरी का हवाला दिया जाता है। वैसे, एक लिहाज से उनकी यह शिकायत जायज भी है। इस साल 1 जनवरी को जो सीएनजी 52.04 रुपये प्रति किलो के रेट पर मिल रही थी, उसके दाम अब बढ़कर 75.61 रुपये प्रति किलो हो गए हैं। ऑटो पार्ट्स से लेकर ऑटो की मेंटिनेंस भी महंगा हुआ है। दिल्ली ही नहीं, बल्कि देशभर के ऑटो टैक्सी ड्राइवर इस समस्या से जूझ रहे हैं।

​किराया बढ़ने से कम होंगी सवारियां

दिल्ली सरकार ने किराए में बदलाव करने पर विचार करने के लिए एक कमिटी का गठन तो किया था, जिसने किराया बढ़ाने की सिफारिश भी की थी, लेकिन उस पर भी अभी पेच फंसा हुआ है। ऑटो टैक्सी यूनियनों के पदाधिकारियों का मानना है कि अगर किराया बढ़ाया गया, तो ऑटो चालकों को मिलने वाली सवारियां और कम हो जाएंगी, क्योंकि ओला-उबर जैसी ऐप आधारित कैब सर्विस और बाइक टैक्सी सर्विस की वजह से पहले ही उनके काम पर काफी असर पड़ रहा है। यही वजह है कि यूनियन वाले ऑटो के किराए में बढ़ोतरी नहीं चाहते, बल्कि वे चाहते हैं कि दिल्ली के ऑटो ड्राइवरों को सीएनजी पर सब्सिडी दी जाए और उन्हें 35 रुपये प्रति किलो के रेट पर सीएनजी मुहैया कराई जाए। इससे उन्हें राहत मिल जाएगी और यात्रियों की जेब पर भी कोई बोझ नहीं पड़ेगा।

बाकियों को मिल रही तो हमें सब्सिडी क्यों नहीं

पदाधिकारियों का कहना है कि जब दिल्ली सरकार बिजली, पानी, इलेक्ट्रिक गाड़ियों की खरीद, महिलाओं के लिए बसों में मुफ्त यात्रा समेत कई अन्य मामलों में सब्सिडी दे सकती है, तो फिर ऑटो ड्राइवरों को कम दाम पर सीएनजी उपलब्ध क्यों नहीं करा सकती है। ऑटो का किराया तो 2017 में रिवाइज किया गया था, लेकिन काली-पीली टैक्सी के किराए में पिछले 9 साल से कोई बदलाव ही नहीं किया गया है, जबकि इस दौरान सीएनजी के रेट कई गुना बढ़ चुके हैं। इसका हवाला देते हुए यूनियन काली-पीली टैक्सियों के किराये के स्ट्रक्चर में भी सुधार चाहती हैं। दिल्ली सरकार इन मांगों पर नए सिरे से विचार तो कर रही है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। इसी वजह से ऑटो ड्राइवरों के मीटर से न चलने और ओवरचार्जिंग करने के मामले काफी बढ़ गए हैं।

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