ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में नई टेक्नॉलाजी आधारित बड़े उद्योगों से रहेगी निवेश की आस | govt focus on new technology base industry in summit | Patrika News h3>
– कुछ के लिए बनेगी नईं नीतियां, कुछ नीतियों में होगा बदलाव
– डिफेन्स प्रॉडक्ट, सेमीकंडक्टर – इलेक्ट्रॉनिक्स इक्वीपमेंट जैसे उद्योगों पर रहेगा जोर
इंदौर
Published: September 12, 2022 01:18:32 pm
इंदौर. प्रदेश सरकार आगामी जनवरी में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारियों में जुट गई है। इसके लिए फोकस एरिया तैयार किए जा रहे हैं। इस बार सरकार का फोकस परंपरागत इंडस्ट्री के साथ ही नई टेक्नोलाॅजी और मैन्युफेक्चेरिंग सेक्टर पर रहेगा। कोरोनाकाल के बाद देश-दुनिया में चाइना प्लस वन की नीति का सूत्रपात हुआ है, जिसमें दुनिया के कई देश कई वस्तुओं के इंपोर्ट के लिए चाइना से अलग देश की तलाश कर रहे हैं। इसलिए, मध्य प्रदेश अब इन सेक्टर्स को आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है, ताकि इन नए क्षेत्रों में उत्पादन और एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिले और युवाओं को रोजगार। कोरोना के बाद से ही देश और प्रदेश औद्योगिक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के नए रास्ते तलाश रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अब जय जवान-जय किसान के नारे को अपग्रेड करते हुए जय विज्ञान-जय अनुसंधान जोड़ दिया है।
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इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो मोबाइल सेक्टर में अब आत्मनिर्भरता जरूरी
इंदौर में समिट की तैयारियों को लेकर पिछले दिनों प्रमुख सचिव के साथ हुई बैठक में शहर के अहम उद्योगपतियों ने सरकार को नए सेक्टर में निवेशक को आकर्षित करने के सुझाव भी दिए हैं। सीआइआइ, स्थानीय औद्योगिक संगठन के प्रतिनिधियों का कहना था, अब इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो मोबाइल जैसे क्षेत्रों में हमें आत्म निर्भर बनना होगा, जिससे हम अपना आयात कम कर सकें और एक्सपोर्ट को बढ़ा सकें। इसके लिए प्रमुख रूप से इलेक्ट्रिक व्हीकल, इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण निर्माण, सोलर टेक्नोलाॅजी इक्वीपमेंट, डिफेन्स प्रॉडक्ट आदि पर जोर देने की जरूरत है। प्रदेश में इन निवेशकों को आकर्षित करने के प्रयासों को तेज करते हुए विशेष नीति और इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना चाहिए।
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इन क्षेत्रों की पैरवी
ईवी मैन्युफेक्चरिंग
वर्तमान में क्लाइमेंट चेंज को देखते लोग ऑटो मोबाइल में ग्रीन एनर्जी आधारित ऑटो उत्पादों की ओर जा रहे हैं। इसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। इसके अधिकांश इक्वीपमेंट के लिए हम आयात पर निर्भर हैं। प्रदेश में इसकी बड़ी एमएनसी आए तो बात बने। साथ ही इसे बढ़ावा देने के लिए नीति भी बनाने की जरूरत है। ऑटो शो में एक क्लस्टर बनाने की घोषणा भी की गई थी।
सेमीकंडक्टर-इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफेक्चरिंग
दूसरा बड़ा सेक्टर सेमीकंडक्टर व इलेक्ट्राॅनिक्स इक्वीपमेंट मैन्युफेक्चरिंग का है। इस क्षेत्र में वर्तमान में हम मांग का सिर्फ 25 प्रतिशत उत्पादन ही कर पा रहे हैं। इसमें अलग-अलग स्तर पर इक्वीपमेंट, सिस्टम डिजाइन व एसेसरी बनाने की अच्छी संभावनाएं हैं। इसके लिए सरकार ने केंद्र की क्लस्टर नीति के तहत प्रयास किए थे, लेकिन बड़ी कंपनियों की रूचि नहीं होने से मामला आगे नहीं बढ़ रहा। हाल ही में सरकार ने इसके लिए एक स्टेयरिंग कमेटी का गठन किया, जो नीति का ड्राॅफ्ट बनाएगी।
डिफेन्स प्रॉडक्ट
मैन्युफेक्चरिंग प्रदेश में डिफेन्स प्रॉडक्ट मैन्युफेक्चरिंग के क्षेत्र में भी अच्छी संभावनाएं बन रही हैं। डिफेन्स में बड़ी संख्या में प्रॉडक्ट आयात पर निर्भर है। पिछले दिनों इसके लिए डीआरडीओ के साथ स्थानीय उद्योगपतियों का संवाद भी हुआ था। इसके लिए भी बड़ी यूनिट की जरूरत है। खास कर एविएशन के क्षेत्र में काम करने वाले निवेशकों को बुलाना चाहिए। वर्तमान में जबलपुर, कटनी, ग्वालियर इसके सेंटर हैं। इसके अलावा कई डिस्टि्रक्ट में इसके विशेष क्षेत्र प्रस्तावित किए गए थे।
ड्रोन, सोलर टेक्नोलाॅजी इक्वीपमेंट
इन सेक्टर में भी भारत आयात पर निर्भर है। ड्रोन निर्माण के लिए बड़े मैन्युफेक्चरिंग कंपनी को बुलावा दें, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में इसका उपयोग होने लगेगा। सोलर से ऊर्जा उत्पादन के लिए जरूरी उपकरण और पैनल का निर्माण भी प्रदेश में हो सकता है। इसके लिए भी नीति बनना चाहिए।
आइटी-स्टार्टअप
एक बड़ा क्षेत्र आइटी व स्टार्टअप भी है, जो तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रदेश में 2100 से ज्यादा स्टार्टअप हैं। इनके लिए नीति बनाई गई है। इनमें निवेश के लिए निवेशक आकर्षित किए जाएंगे। इसके अलावा आइटी के लिए भी 5जी और गीगा बाइट सिटी जैसे प्रयास कर रहे हैं।
ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में नई टेक्नॉलाजी आधारित बड़े उद्योगों से रहेगी निवेश की आस
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– कुछ के लिए बनेगी नईं नीतियां, कुछ नीतियों में होगा बदलाव
– डिफेन्स प्रॉडक्ट, सेमीकंडक्टर – इलेक्ट्रॉनिक्स इक्वीपमेंट जैसे उद्योगों पर रहेगा जोर
इंदौर
Published: September 12, 2022 01:18:32 pm
इंदौर. प्रदेश सरकार आगामी जनवरी में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारियों में जुट गई है। इसके लिए फोकस एरिया तैयार किए जा रहे हैं। इस बार सरकार का फोकस परंपरागत इंडस्ट्री के साथ ही नई टेक्नोलाॅजी और मैन्युफेक्चेरिंग सेक्टर पर रहेगा। कोरोनाकाल के बाद देश-दुनिया में चाइना प्लस वन की नीति का सूत्रपात हुआ है, जिसमें दुनिया के कई देश कई वस्तुओं के इंपोर्ट के लिए चाइना से अलग देश की तलाश कर रहे हैं। इसलिए, मध्य प्रदेश अब इन सेक्टर्स को आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है, ताकि इन नए क्षेत्रों में उत्पादन और एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिले और युवाओं को रोजगार। कोरोना के बाद से ही देश और प्रदेश औद्योगिक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के नए रास्ते तलाश रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अब जय जवान-जय किसान के नारे को अपग्रेड करते हुए जय विज्ञान-जय अनुसंधान जोड़ दिया है।
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इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो मोबाइल सेक्टर में अब आत्मनिर्भरता जरूरी
इंदौर में समिट की तैयारियों को लेकर पिछले दिनों प्रमुख सचिव के साथ हुई बैठक में शहर के अहम उद्योगपतियों ने सरकार को नए सेक्टर में निवेशक को आकर्षित करने के सुझाव भी दिए हैं। सीआइआइ, स्थानीय औद्योगिक संगठन के प्रतिनिधियों का कहना था, अब इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो मोबाइल जैसे क्षेत्रों में हमें आत्म निर्भर बनना होगा, जिससे हम अपना आयात कम कर सकें और एक्सपोर्ट को बढ़ा सकें। इसके लिए प्रमुख रूप से इलेक्ट्रिक व्हीकल, इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण निर्माण, सोलर टेक्नोलाॅजी इक्वीपमेंट, डिफेन्स प्रॉडक्ट आदि पर जोर देने की जरूरत है। प्रदेश में इन निवेशकों को आकर्षित करने के प्रयासों को तेज करते हुए विशेष नीति और इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना चाहिए।
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इन क्षेत्रों की पैरवी
ईवी मैन्युफेक्चरिंग
वर्तमान में क्लाइमेंट चेंज को देखते लोग ऑटो मोबाइल में ग्रीन एनर्जी आधारित ऑटो उत्पादों की ओर जा रहे हैं। इसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। इसके अधिकांश इक्वीपमेंट के लिए हम आयात पर निर्भर हैं। प्रदेश में इसकी बड़ी एमएनसी आए तो बात बने। साथ ही इसे बढ़ावा देने के लिए नीति भी बनाने की जरूरत है। ऑटो शो में एक क्लस्टर बनाने की घोषणा भी की गई थी।
सेमीकंडक्टर-इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफेक्चरिंग
दूसरा बड़ा सेक्टर सेमीकंडक्टर व इलेक्ट्राॅनिक्स इक्वीपमेंट मैन्युफेक्चरिंग का है। इस क्षेत्र में वर्तमान में हम मांग का सिर्फ 25 प्रतिशत उत्पादन ही कर पा रहे हैं। इसमें अलग-अलग स्तर पर इक्वीपमेंट, सिस्टम डिजाइन व एसेसरी बनाने की अच्छी संभावनाएं हैं। इसके लिए सरकार ने केंद्र की क्लस्टर नीति के तहत प्रयास किए थे, लेकिन बड़ी कंपनियों की रूचि नहीं होने से मामला आगे नहीं बढ़ रहा। हाल ही में सरकार ने इसके लिए एक स्टेयरिंग कमेटी का गठन किया, जो नीति का ड्राॅफ्ट बनाएगी।
डिफेन्स प्रॉडक्ट
मैन्युफेक्चरिंग प्रदेश में डिफेन्स प्रॉडक्ट मैन्युफेक्चरिंग के क्षेत्र में भी अच्छी संभावनाएं बन रही हैं। डिफेन्स में बड़ी संख्या में प्रॉडक्ट आयात पर निर्भर है। पिछले दिनों इसके लिए डीआरडीओ के साथ स्थानीय उद्योगपतियों का संवाद भी हुआ था। इसके लिए भी बड़ी यूनिट की जरूरत है। खास कर एविएशन के क्षेत्र में काम करने वाले निवेशकों को बुलाना चाहिए। वर्तमान में जबलपुर, कटनी, ग्वालियर इसके सेंटर हैं। इसके अलावा कई डिस्टि्रक्ट में इसके विशेष क्षेत्र प्रस्तावित किए गए थे।
ड्रोन, सोलर टेक्नोलाॅजी इक्वीपमेंट
इन सेक्टर में भी भारत आयात पर निर्भर है। ड्रोन निर्माण के लिए बड़े मैन्युफेक्चरिंग कंपनी को बुलावा दें, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में इसका उपयोग होने लगेगा। सोलर से ऊर्जा उत्पादन के लिए जरूरी उपकरण और पैनल का निर्माण भी प्रदेश में हो सकता है। इसके लिए भी नीति बनना चाहिए।
आइटी-स्टार्टअप
एक बड़ा क्षेत्र आइटी व स्टार्टअप भी है, जो तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रदेश में 2100 से ज्यादा स्टार्टअप हैं। इनके लिए नीति बनाई गई है। इनमें निवेश के लिए निवेशक आकर्षित किए जाएंगे। इसके अलावा आइटी के लिए भी 5जी और गीगा बाइट सिटी जैसे प्रयास कर रहे हैं।
ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में नई टेक्नॉलाजी आधारित बड़े उद्योगों से रहेगी निवेश की आस
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