Why Rishi Sunak Lost, Truss Won: सांसदों के Vote में सबसे आगे रहे Rishi Sunak आखिर कैसे हार गए जीती हुई लड़ाई? 10 बड़े कारण | Why Rishi Sunak Lost, Truss Won: How did Rishi Sunak lost, truss won | Patrika News h3>
आखिर क्यों कंजर्वेटिव पार्टी के सांसदों के बीच सबसे लोकप्रिय ऋषि सुनक अंतिम चरण में लिज ट्रस से पिछड़ गए? आइये जानते हैं इसकी वजह क्या है…
Thank you to everyone who voted for me in this campaign.
I’ve said throughout that the Conservatives are one family.
It’s right we now unite behind the new PM, Liz Truss, as she steers the country through difficult times.
— Rishi Sunak (@RishiSunak) September 5, 2022
I am honoured to be elected Leader of the Conservative Party.
Thank you for putting your trust in me to lead and deliver for our great country.
I will take bold action to get all of us through these tough times, grow our economy, and unleash the United Kingdom’s potential. pic.twitter.com/xCGGTJzjqb— Liz Truss (@trussliz) September 5, 2022
2019 में बोरिस जॉनसन चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बने। इसके बाद ब्रिटेन के वित्त मंत्रालय का प्रभार ऋषि सुनक के पास आया। हालांकि, 2020 में ही पूरी दुनिया की तरह ब्रिटेन में भी कोरोना की जबरदस्त लहर आई। आलम यह था कि देश में लॉकडाउन लग गया और लाखों लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी। इस दौरान सुनक पर बेरोजगारों को आर्थिक मदद और टैक्स दरों में कटौती करने का काफी दबाव पड़ा। जहां कोरोनाकाल के दौरान ब्रिटेन को वित्तीय तौर पर मजबूत करने में सुनक ने अहम भूमिका निभाई, वहीं टैक्स दरों में कमी न करने को लेकर लेबर पार्टी से लेकर उनकी अपनी पार्टी के कुछ नेताओं ने उन पर सवाल उठाए।
करों को कम करने के वादे ने जनता को लुभाया
पीएम पद की डिबेट में भी सुनक ने टैक्स कटौती के विरोध में बयान दिए, जिनसे वोटरों के पास नकारात्मक संदेश गया। दूसरी तरफ लिज ट्रस ने टैक्स कटौती से लेकर मुश्किल हालात में ज्यादा खर्च की बात भी कही। ट्रस ने मुफ्त सामान या फ्री में सुविधाएं देने से मना किया है लेकिन टैक्स कम करने की बात लगातार कही । उन्होंने तर्क दिया है कि कठिन समय में वित्तीय घाटे के बावजूद सरकार को ज्यादा खर्च करना चाहिए। उनके इस संदेश को मतदाताओं ने महंगाई के खिलाफ कदम माना। हालांकि, अर्थशास्त्रियों ने जहां सुनक की तारीफ की है, तो वहीं ट्रस के वादों को खोखला करार दिया।
2. नस्लभेद की भावनाएं
ऋषि सुनक मूल रूप से इंग्लैंड या ब्रिटेन के किसी देश से नहीं हैं। ब्रिटेन में प्रधानमंत्री बनने के लिहाज से यह दोनों ही बातें काफी अहम हैं। दरअसल, इस देश के इतिहास में आज तक अंग्रेजों से इतर किसी को प्रधानमंत्री पद नहीं मिला है। जानकारों का मानना है कि ब्रिटेन जैसे पुराने लोकतंत्र में अब तक इस तरह की विविधता न आ पाना काफी चौंकाने वाली है।
सुनक और ट्रस की ओर से पीएम पद के लिए उम्मीदवारी पेश करने के बाद जहां सांसदों द्वारा की गई वोटिंग में सुनक लगातार बाकी प्रतिद्वंदियों पर बढ़त बनाए रहे, वहीं जैसे ही पीएम पद के अंतिम चुनाव के लिए वोटिंग का जिम्मा कंजर्वेटिव पार्टी के दो लाख कार्यकर्ताओं के हाथों में आया, वैसे ही सुनक सभी सर्वे में ट्रस से पिछड़ते चले गए। रिपोर्ट्स की मानें तो ब्रिटेन के बुजुर्ग और अनुभवी कार्यकर्ताओं के बीच सुनक को काफी कम समर्थन मिला। उनका समर्थन सिर्फ युवा करते हैं, जिनकी कंजर्वेटिव पार्टी में संख्या छह फीसदी के करीब है।
3.पत्नी के साथ जुड़े टैक्स विवाद हाल ही में खुलासा हुआ था कि सुनक की पत्नी अक्षता ने करीब 20 मिलियन पाउंड (197 करोड़ रुपये) का टैक्स नहीं दिया है। दरअसल, अक्षता के पास अपने पिता नारायण मूर्ति की कंपनी इन्फोसिस में 0।93 फीसदी हिस्सेदारी है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, अपनी हिस्सेदारी से अक्षता सालाना करीब 11।65 करोड़ रुपये का डिविडेंड पाती हैं। अक्षता पर इसी कमाई से होने वाली आय पर टैक्स न देने का आरोप लगा।
वित्त मंत्री रहते हुए सुनक ने बाद में इस मामले में जांच कराने की बात कही। उन्होंने तर्क दिया कि उनकी पत्नी की कमाई ब्रिटेन से बाहर होती है, इसलिए वे ब्रिटेन में कर नहीं देतीं। हालांकि, बाद में अक्षता ने इंफोसिस से होने वाली कमाई पर भी टैक्स देने का वादा किया। हालांकि, जब तक उनकी तरफ से यह सफाई आई, तब तक सुनक को नुकसान हो चुका था।
4.जॉनसन के खिलाफ जाने के आरोप ऋषि सुनक पर जो एक बड़ा और गंभीर आरोप लगा है, वह है वित्त मंत्री रहते हुए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के खिलाफ जाने का। दरअसल, कंजर्वेटिव पार्टी के कार्यकर्ता बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के पीछे सुनक को कारण मानते हैं। उनका मानना है कि ऋषि सुनक ने बोरिस जॉनसन के खिलाफ सबसे पहले इस्तीफा देकर पूरी कैबिनेट में उनके खिलाफ माहौल बनाया। देखते ही देखते कई मंत्रियों ने जॉनसन पर दबाव बनाने के लिए अपने पद छोड़ दिए। आखिरकार खुद जॉनसन को पीएम पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
ब्रिटेन के राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, सुनक का इस तरह से जॉनसन के विरोध में इस्तीफा देना और उसके बाद खुद को पीएम पद के लिए पेश करने का वोटरों के बीच में गलत संदेश गया। एक विशेषज्ञ ने तो यहां तक कह दिया कि सुनक की छवि इस वक्त इटली के शासक जूलियस सीजर की धोखे से हत्या करने वाले ब्रूटस जैसी है। उन्हें इसका खामियाजा ट्रस के खिलाफ उठाना पड़ा।
5. अमेरिकी नागरिकता लेने की कोशिश के आरोप चुनाव अभियान के दौरान सुनक पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने अमरीकका में पढ़ाई के बाद ब्रिटेन लौटने के बावजूद अपना ग्रीन कार्ड नहीं छोड़ा। दरअसल, साउथैम्पटन में पैदा हुए सुनक ने अमेरिका में पढ़ाई की थी। यहीं उनकी मुलाकात अक्षता मूर्ति से हुई थी। दोनों ने 2009 में शादी के बाद अमेरिका में ही काम करना जारी रखा। सुनक-अक्षता के पास कैलिफोर्निया में एक 50 लाख पाउंड का पेंटहाउस भी है।
वैसे तो ब्रिटेन में दोहरी नागरिकता मान्य है, लेकिन कंजर्वेटिव पार्टी में सुनक के विरोधियों ने इसे गंभीर मुद्दा माना। कई नेताओं ने सवाल उठाए कि अगर देश का अगला प्रधानमंत्री ही अमेरिका में रहने के मौके खोज रहा है, तो यह खेदपूर्ण है। खुद सुनक ने भी माना था कि उन्होंने वित्त मंत्री रहने के 18 महीने बाद तक ग्रीन कार्ड अपने पास रखा और अक्तूबर 2021 में इसे सरेंडर किया।
Thank you to everyone who voted for me in this campaign.
I’ve said throughout that the Conservatives are one family.
It’s right we now unite behind the new PM, Liz Truss, as she steers the country through difficult times.
— Rishi Sunak (@RishiSunak) September 5, 2022
I am honoured to be elected Leader of the Conservative Party.
Thank you for putting your trust in me to lead and deliver for our great country.
I will take bold action to get all of us through these tough times, grow our economy, and unleash the United Kingdom’s potential. pic.twitter.com/xCGGTJzjqb— Liz Truss (@trussliz) September 5, 2022
2019 में बोरिस जॉनसन चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बने। इसके बाद ब्रिटेन के वित्त मंत्रालय का प्रभार ऋषि सुनक के पास आया। हालांकि, 2020 में ही पूरी दुनिया की तरह ब्रिटेन में भी कोरोना की जबरदस्त लहर आई। आलम यह था कि देश में लॉकडाउन लग गया और लाखों लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी। इस दौरान सुनक पर बेरोजगारों को आर्थिक मदद और टैक्स दरों में कटौती करने का काफी दबाव पड़ा। जहां कोरोनाकाल के दौरान ब्रिटेन को वित्तीय तौर पर मजबूत करने में सुनक ने अहम भूमिका निभाई, वहीं टैक्स दरों में कमी न करने को लेकर लेबर पार्टी से लेकर उनकी अपनी पार्टी के कुछ नेताओं ने उन पर सवाल उठाए।
करों को कम करने के वादे ने जनता को लुभाया
2. नस्लभेद की भावनाएं
ऋषि सुनक मूल रूप से इंग्लैंड या ब्रिटेन के किसी देश से नहीं हैं। ब्रिटेन में प्रधानमंत्री बनने के लिहाज से यह दोनों ही बातें काफी अहम हैं। दरअसल, इस देश के इतिहास में आज तक अंग्रेजों से इतर किसी को प्रधानमंत्री पद नहीं मिला है। जानकारों का मानना है कि ब्रिटेन जैसे पुराने लोकतंत्र में अब तक इस तरह की विविधता न आ पाना काफी चौंकाने वाली है।
सुनक और ट्रस की ओर से पीएम पद के लिए उम्मीदवारी पेश करने के बाद जहां सांसदों द्वारा की गई वोटिंग में सुनक लगातार बाकी प्रतिद्वंदियों पर बढ़त बनाए रहे, वहीं जैसे ही पीएम पद के अंतिम चुनाव के लिए वोटिंग का जिम्मा कंजर्वेटिव पार्टी के दो लाख कार्यकर्ताओं के हाथों में आया, वैसे ही सुनक सभी सर्वे में ट्रस से पिछड़ते चले गए। रिपोर्ट्स की मानें तो ब्रिटेन के बुजुर्ग और अनुभवी कार्यकर्ताओं के बीच सुनक को काफी कम समर्थन मिला। उनका समर्थन सिर्फ युवा करते हैं, जिनकी कंजर्वेटिव पार्टी में संख्या छह फीसदी के करीब है।
3.पत्नी के साथ जुड़े टैक्स विवाद हाल ही में खुलासा हुआ था कि सुनक की पत्नी अक्षता ने करीब 20 मिलियन पाउंड (197 करोड़ रुपये) का टैक्स नहीं दिया है। दरअसल, अक्षता के पास अपने पिता नारायण मूर्ति की कंपनी इन्फोसिस में 0।93 फीसदी हिस्सेदारी है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, अपनी हिस्सेदारी से अक्षता सालाना करीब 11।65 करोड़ रुपये का डिविडेंड पाती हैं। अक्षता पर इसी कमाई से होने वाली आय पर टैक्स न देने का आरोप लगा।
वित्त मंत्री रहते हुए सुनक ने बाद में इस मामले में जांच कराने की बात कही। उन्होंने तर्क दिया कि उनकी पत्नी की कमाई ब्रिटेन से बाहर होती है, इसलिए वे ब्रिटेन में कर नहीं देतीं। हालांकि, बाद में अक्षता ने इंफोसिस से होने वाली कमाई पर भी टैक्स देने का वादा किया। हालांकि, जब तक उनकी तरफ से यह सफाई आई, तब तक सुनक को नुकसान हो चुका था।
4.जॉनसन के खिलाफ जाने के आरोप ऋषि सुनक पर जो एक बड़ा और गंभीर आरोप लगा है, वह है वित्त मंत्री रहते हुए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के खिलाफ जाने का। दरअसल, कंजर्वेटिव पार्टी के कार्यकर्ता बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के पीछे सुनक को कारण मानते हैं। उनका मानना है कि ऋषि सुनक ने बोरिस जॉनसन के खिलाफ सबसे पहले इस्तीफा देकर पूरी कैबिनेट में उनके खिलाफ माहौल बनाया। देखते ही देखते कई मंत्रियों ने जॉनसन पर दबाव बनाने के लिए अपने पद छोड़ दिए। आखिरकार खुद जॉनसन को पीएम पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
ब्रिटेन के राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, सुनक का इस तरह से जॉनसन के विरोध में इस्तीफा देना और उसके बाद खुद को पीएम पद के लिए पेश करने का वोटरों के बीच में गलत संदेश गया। एक विशेषज्ञ ने तो यहां तक कह दिया कि सुनक की छवि इस वक्त इटली के शासक जूलियस सीजर की धोखे से हत्या करने वाले ब्रूटस जैसी है। उन्हें इसका खामियाजा ट्रस के खिलाफ उठाना पड़ा।
5. अमेरिकी नागरिकता लेने की कोशिश के आरोप चुनाव अभियान के दौरान सुनक पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने अमरीकका में पढ़ाई के बाद ब्रिटेन लौटने के बावजूद अपना ग्रीन कार्ड नहीं छोड़ा। दरअसल, साउथैम्पटन में पैदा हुए सुनक ने अमेरिका में पढ़ाई की थी। यहीं उनकी मुलाकात अक्षता मूर्ति से हुई थी। दोनों ने 2009 में शादी के बाद अमेरिका में ही काम करना जारी रखा। सुनक-अक्षता के पास कैलिफोर्निया में एक 50 लाख पाउंड का पेंटहाउस भी है।
वैसे तो ब्रिटेन में दोहरी नागरिकता मान्य है, लेकिन कंजर्वेटिव पार्टी में सुनक के विरोधियों ने इसे गंभीर मुद्दा माना। कई नेताओं ने सवाल उठाए कि अगर देश का अगला प्रधानमंत्री ही अमेरिका में रहने के मौके खोज रहा है, तो यह खेदपूर्ण है। खुद सुनक ने भी माना था कि उन्होंने वित्त मंत्री रहने के 18 महीने बाद तक ग्रीन कार्ड अपने पास रखा और अक्तूबर 2021 में इसे सरेंडर किया।