हाईप्रोफाइल पायल से पूछताछ करने में बच रही पुलिस | Mobile in jail: the responsible are waiting for the report | Patrika News h3>
जेल में मोबाइल: महिला कैदी के रसूख का खुलासा नहीं, जिम्मेदारों को रिपोर्ट का इंतजार
इंदौर
Published: August 30, 2022 11:15:34 pm
जेल में मोबाइल: महिला कैदी के रसूख का खुलासा नहीं, जिम्मेदारों को रिपोर्ट का इंतजार
इंदौर. जिला जेल की महिला जेल में बंद धोखाधड़ी की आरोपी हाइप्रोफाइल कैदी पायल के मोबाइल व चेटिंग का राज अब तक सामने नहीं आया है। उज्जैन जेल में कैदी जिस तरह से हैकिंग कर रहा था कुछ उसी तरह से पायल भी एंड्राइड मोबाइल चला रही थी। मामला पकड़ में आया लेकिन रसूखदारों व लोगों के साथ साइबर फ्रॉड के लिए हुई चेकिंग सामने नहीं आई। जेल ने पुलिस को मोबाइल दिया लेकिन प्रतिवेद नहीं दिया जिसके कारण पुलिस मोबाइल को हाथ भी नहीं लगा रही। नतीजन राज दबकर रह गया है।
22-23 अगस्त को जिला जेल की कैदी पायल के पास मोबाइल मिला था। सेनेटरी पैड में उसने मोबाइल छिपा रखा था। छोटे की पैड मोबाइल के बजाए वह एंड्राइड मोबाइल पर इंटरनेट चला रही थी। बात कम करती, चेटिंग ज्यादा करती थी। फर्जी नाम से बने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए लोगों के संपर्क में थी। वाट्सऐप चेकिंग में नेता व अन्य रसूखदारों से चेटिंग कर रही थी। आशंका है कि चेटिंग के जरिए कई लोगों को धमकाकर पैसा वसूलने जैसा साइबर फ्रॉड जेल में बैठकर अंजाम दिया गया। कुछ समय पहले उज्जैन जेल में भी ऐसा ही मामला सामने आया था जहां एक हैकर आरोपी जेल अधिकारियों की मदद से लोगों के साथ फ्रॉड कर रहा था।
जेल में मोबाइल कांड तो खुला लेकिन उसमें शामिल अधिकारियों वे चेटिंग का राज दबा दिया गया है। जेल प्रबंधन ने मोबाइल पुलिस को दिया लेकिन पुलिस ने उसे हाथ नहीं लगाया और न केस दर्ज किया। टीआइ तहजीब काजी को जेल के जांच प्रतिवेदन व सीसीटीवी रिपोर्ट का इंतजार है। जेल प्रबंधन ने महिला प्रहरी को सस्पैंड किया लेकिन यह बात साफ हुई कि वरिष्ठ अफसरों की सांठगांठ से एंड्राइड फोन जेल में चल रहा था। पूरी बैरेक की 12-13 कैदी उसका इस्तेमाल कर रही थी। भय्यू महाराज केस की आरोपी भी वहीं है। जेल से महिला कैदियों को नेटवर्क चल रहा था लेकिन गाज सिर्फ प्रहरी पर गिरी। सेंट्रल जेल अधीक्षक अलका सोनकर जांच कर रही है लेकिन उनके मुताबिक, अभी एक-दो दिन और लगेंगे।
एडिशनल डीसीपी राजेश रघुवंशी के मुताबिक, कारावास अधिनियन में जेल प्रबंधन की रिपोर्ट के आधार पर ही केस दर्ज हो सकता है। जेल प्रबंधन से रिपोर्ट व सीसीटीवी फुटैज मांगे है, उसके मिलते ही केस दर्ज कर मोबाइल की साइबर लैब में जांच कराएंगे। डिलीट चेटिंग भी सामने आ जाएगी।
जेल अधीक्षक अजमेरसिंह ठाकुर का कहना है, हमने सीडीआर के लिए मोबाइल पुलिस को दिया है। पुलिस का हमारी जांच रिपोर्ट से क्या लेना-देना। जहां तक फुटैज की बात है तो महिला बैरेक में कहीं भी सीसीटीवी नहीं लगे है।
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जेल में मोबाइल: महिला कैदी के रसूख का खुलासा नहीं, जिम्मेदारों को रिपोर्ट का इंतजार
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Published: August 30, 2022 11:15:34 pm
जेल में मोबाइल: महिला कैदी के रसूख का खुलासा नहीं, जिम्मेदारों को रिपोर्ट का इंतजार
इंदौर. जिला जेल की महिला जेल में बंद धोखाधड़ी की आरोपी हाइप्रोफाइल कैदी पायल के मोबाइल व चेटिंग का राज अब तक सामने नहीं आया है। उज्जैन जेल में कैदी जिस तरह से हैकिंग कर रहा था कुछ उसी तरह से पायल भी एंड्राइड मोबाइल चला रही थी। मामला पकड़ में आया लेकिन रसूखदारों व लोगों के साथ साइबर फ्रॉड के लिए हुई चेकिंग सामने नहीं आई। जेल ने पुलिस को मोबाइल दिया लेकिन प्रतिवेद नहीं दिया जिसके कारण पुलिस मोबाइल को हाथ भी नहीं लगा रही। नतीजन राज दबकर रह गया है।
22-23 अगस्त को जिला जेल की कैदी पायल के पास मोबाइल मिला था। सेनेटरी पैड में उसने मोबाइल छिपा रखा था। छोटे की पैड मोबाइल के बजाए वह एंड्राइड मोबाइल पर इंटरनेट चला रही थी। बात कम करती, चेटिंग ज्यादा करती थी। फर्जी नाम से बने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए लोगों के संपर्क में थी। वाट्सऐप चेकिंग में नेता व अन्य रसूखदारों से चेटिंग कर रही थी। आशंका है कि चेटिंग के जरिए कई लोगों को धमकाकर पैसा वसूलने जैसा साइबर फ्रॉड जेल में बैठकर अंजाम दिया गया। कुछ समय पहले उज्जैन जेल में भी ऐसा ही मामला सामने आया था जहां एक हैकर आरोपी जेल अधिकारियों की मदद से लोगों के साथ फ्रॉड कर रहा था।
जेल में मोबाइल कांड तो खुला लेकिन उसमें शामिल अधिकारियों वे चेटिंग का राज दबा दिया गया है। जेल प्रबंधन ने मोबाइल पुलिस को दिया लेकिन पुलिस ने उसे हाथ नहीं लगाया और न केस दर्ज किया। टीआइ तहजीब काजी को जेल के जांच प्रतिवेदन व सीसीटीवी रिपोर्ट का इंतजार है। जेल प्रबंधन ने महिला प्रहरी को सस्पैंड किया लेकिन यह बात साफ हुई कि वरिष्ठ अफसरों की सांठगांठ से एंड्राइड फोन जेल में चल रहा था। पूरी बैरेक की 12-13 कैदी उसका इस्तेमाल कर रही थी। भय्यू महाराज केस की आरोपी भी वहीं है। जेल से महिला कैदियों को नेटवर्क चल रहा था लेकिन गाज सिर्फ प्रहरी पर गिरी। सेंट्रल जेल अधीक्षक अलका सोनकर जांच कर रही है लेकिन उनके मुताबिक, अभी एक-दो दिन और लगेंगे।
एडिशनल डीसीपी राजेश रघुवंशी के मुताबिक, कारावास अधिनियन में जेल प्रबंधन की रिपोर्ट के आधार पर ही केस दर्ज हो सकता है। जेल प्रबंधन से रिपोर्ट व सीसीटीवी फुटैज मांगे है, उसके मिलते ही केस दर्ज कर मोबाइल की साइबर लैब में जांच कराएंगे। डिलीट चेटिंग भी सामने आ जाएगी।
जेल अधीक्षक अजमेरसिंह ठाकुर का कहना है, हमने सीडीआर के लिए मोबाइल पुलिस को दिया है। पुलिस का हमारी जांच रिपोर्ट से क्या लेना-देना। जहां तक फुटैज की बात है तो महिला बैरेक में कहीं भी सीसीटीवी नहीं लगे है।
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