घोटाले में गजब की सजा…अफसर करेंगे मजा | Scam in Excise Department, officer suspended | Patrika News h3>
इंदौर। पर्यटन को लेकर प्रदेश सरकार का विज्ञापन था… एमपी गजब है। ये बात बिलकुल सही है। १५ करोड़ रुपए का आबकारी घोटाला होता है। उसके बाद प्रथमदृष्टया ही दोषी नजर आने वाले अफसर को एक माह बाद सस्पेंड किया जाता है। बड़ी बात ये है कि इंदौर में घोटाला हुआ। सस्पेंड करने पर पद स्थापना भी यहीं कर दी गई।
जून में आबकारी विभाग ने एमआईजी व खजरानी के शराब दुकान के ग्रुप की फिर से नीलामी की। उससे पहले ये ठेका बेंगलुरू व झारखंड के मोहन राय व अनिल सिन्हा को दिया गया था। दोनों ने आबकारी विभाग को 15 करोड़ रुपए से ज्यादा का चूना लगा दिया। अप्रैल 2022 की दूसरी पक्ष की निर्धारित न्यूनतम ड्युटी की राशि जमा नहीं कराई, जिसके चलते 11 मई को वह बकायेदार हो गया था। इसकी सूची सूचना तत्काल राजनारायण सोनी सहायक आयुक्त आबकारी विभाग को कलेक्टर मनीष सिंह को देनी थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
ये सिलसिला मई तक चलता रहा और ठेकेदार दुकान से माल बेचता रहा। इतना बड़ा कांड सोनी की नाक के निचे हो रहा था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं गई। चौंकाने वाली बात ये भी थी कि जब सरकारी वेयर हाउस से ठेकेदारों को शराब नहीं मिल रही थी तो वे किसकी शराब लाकर बेच रहे थे। इतना बड़ा खेल चल रहा था लेकिन सोनी मौन थे। घोटाला उजागर होने के बाद ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर हाथ झटकने का प्रयास किया।
फिर भी बात नहीं बनी तो विभाग के सहायक आयुक्त राजीव उपाध्याय को सस्पेंड कर दिया जबकि कलेक्टर द्वारा दिए नोटिस के जवाब में उन्होंने सारी स्थिति स्पष्ट कर दी। साफ कर दिया कि पल-पल की जानकारी सोनी को थी। इस मामले में कल वाणिज्यिक कर विभाग के उप सचिव कैलाश वानखेड़े ने सोनी को भी सस्पेंड कर दिया। चौंकाने वाली बात ये है कि कार्रवाई के साथ में उन्हें मुख्यालय कार्यालय उपायुक्त आबकारी संभागीय उडऩदस्ता इंदौर में पद स्थापना कर दी।
माल देने वाले ठेकेदार से हो वसूली
दोनों ही दुकान पर सरकार ने जब माल नहीं दिया तो दो माह तक कहां से माल आया और दुकान पर बिक्री हुई। इसका ध्यान क्षेत्रीय आबकारी अधिकारी को रखना था लेकिन वे भी सांठगांठ के चलते आंखें मूंदकर बैठे हुए थे। उन्हें मालूम है कि दोनों दुकानों पर किन किन शराब ठेकेदारों ने माल खपाया और मोटी कमाई की। दोनों पर वसूली की कार्रवाई की जाना चाहिए ताकि सरकार को हुए राजस्व के नुकसान की भरपाई की जा सके।
ये कैसी सजा
उस पर अब सवाल खड़े हो रहे है। घोटाला भी इंदौर में और सजा के दौर पर भी इंदौर में पदस्थ कर दिया गया। ये कार्रवाई करने में भी सरकार को एक माह से अधिक लग गया जबकि सारी स्थिति स्पष्ट थी। कायदे से सख्त कार्रवाई की जाना चाहिए थी। इस प्रकरण के भी हाल 42 करोड़ के आबकारी विभाग घोटाले की तरह होते नजर आ रहे है जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की बात कर रहे है।