310 नई नौकरियां, 469 करोड़ खर्च… सात साल बाद एशिया की पहली पेपर मिल फिर से चल पड़ी, देखें तस्वीरें h3>
मध्यप्रदेश बुरहानपुर के नेपानगर में एशिया की सबसे पहली पेपर मिल की फिर से शुरूआत हो गई है। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्रनाथ पांडे ने मंगलवार को इसका लोकार्पण किया। हालांकि इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हिस्सा लेने वाले थे लेकिन आवश्यक कारणों के कारण नहीं आ सके। माना जा रहा है नेपानगर स्थित इस पेपर मिल से अखबारी दुनिया को नई संजीवनी मिलेगी। उम्मीद की जा रही है की कागजों की बढ़ रही कीमतों में कमी देखने को मिलेगी। 2015 में रिनोवेशन के लिए इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। सात साल बाद चालू किया गया है, इसके बाद इलाके में रोजगार की अपार संभावनाएं भी उत्पन्न होंगी।
469 करोड़ रुपये में हुआ है रिनोवेशन
केंद्र सरकार से मिले करीब 469 करोड़ रुपये के रिवाइवल पैकेज से मिल का नवीनीकरण किया गया है। 2015-16 में इसके रिनोवेशन का काम शुरू हुआ था और अब मिल के अंदर आधुनिक मशीनों को लगाया गया है, जो पूरी तरह से डिजिटल होगी और पेपर की गुणवत्ता में सुधार आएगा। इस मिल में पहले अखबार का कागज बनाने के लिए सलाई पेड़ की लकड़ी और बांस का यूज होता था। हालांकि उस वक्त इस क्षेत्र में सलाई के पेड़ और बांस बड़ी मात्रा में होते थे। इस मिल को एशिया के पहले ‘अखबारी कागज कारखाने’ के रूप में जाना जाता है।
मिल को चालू करने के लिए 310 लोगों की भर्तियां
नवंबर 2021 से कंपनी ने 310 लोगों की भर्तियां भी की हैं और इनमें अधिकतर आस-पास के इलाकों से हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारी उद्योग मंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि इस मिल से धुंआ जबतक निकलता रहेगा, तब तक नेपानगर के घरों में चूल्हा जलता रहेगा। देश के विभिन्न न्यूज पेपर मालिकों ने फोन किए और अपनी जरूरतों को भी बताया है। यह मील चलती रहनी चाहिए, धुआं जो उठा है, वो बढ़ता ही जाएगा। उन्होंने कहा कि कंपनी की पुनरुद्धार और मिल विकास योजना कई कारणों से महत्वपूर्ण है।
रद्दी कागजों से तैयार होता है यहां पेपर
उन्होंने कहा कि आज जब भारत सरकार प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिये नित नए कदम उठा रही है। वहीं, नेपा लिमिटेड प्रकृति को कोई हानि पहुंचाए बिना पुराने रद्दी कागज को रिसाइकल कर कागज का निर्माण कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए हमने नेपा मिल को तीन चरणों में 770 करोड़ रुपए पुनरुद्धार के लिए दिए हैं। नेपा लिमिटेड पहले से ही कागज निर्माण उद्योग में एक स्थापित ब्रांड है, इसलिए कंपनी के उत्पाद के लिए बाजार बनाना मुश्किल नहीं होगा।
एक लाख टन है सलाना क्षमता
नेपा लिमिटेड से मिली जानकारी के अनुसार, प्लांट की इंस्टॉल्ड क्षमता 1 लाख टन सालाना है, हालांकि 2016 में जब प्लांट बंद हुआ था, तब इसकी इंस्टॉल्ड क्षमता 88,000 टन सालाना थी। कंपनी का टर्नओवर 2015-16 में 72 करोड़ था। कंपनी ने न्यूज प्रिंट के साथ लेखन और प्रिंटिंग पेपर के उत्पादन में विविधीकरण की योजनाएं बनाई हैं। वहीं, 512.41 रुपये करोड़ की पुनरुद्धार और मिल विकास योजना के साथ नेपा लिमिटेड ने अपनी यूनिट को पूर्णतया स्वचालित बना लिया है। साथ ही विभिन्न दायित्वों को खत्म कर लागत कम की गई है, ऐसे में यह देश में फिर से संचालन शुरू करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ ही उपक्रमों में से एक है।
आसपास के लोगों को मिलेगा रोजगार
इसके साथ ही कंपनी ने अपनी वीआरएस आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रु 46 करोड़ प्राप्त किए, इसके अलावा वेतन और भत्तों के लिए अक्टूबर 2018 में 101 करोड़ एवं नवंबर 2021 में 31 करोड़ प्राप्त किए गए। मिल के शुरू होने से आसपास के क्षेत्र भी अब एक बार फिर से समृद्ध होंगे। नेपानगर में कागज सस्ता और अच्छी क्वालिटी का भी मिलता है, इसीलिए अधिकतर कागज खरीदने वाली कंपनियां नेपानगर का रुख करती हैं।
ये है कंपनी का इतिहास
दरअसल, नेपा लिमिटेड की शुरुआत 26 जनवरी 1947 को नायर प्रेस सिंडिकेट लिमिटेड ने एक निजी उद्यम के रूप में की थी। न्यूजप्रिंट उत्पादन के लिए ‘द नेशनल न्यूजप्रिंट एण्ड पेपर मिल्स लिमिटेड’ के नाम गठित यह कंपनी, 1981 तक यह भारत में एकमात्र न्यूजप्रिंट मैनुफैक्चरिंग यूनिट थी। अक्टूबर 1949 में कंपनी के प्रबंधन को मध्य प्रान्त और बरार (वर्तमान में मध्य प्रदेश) की तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहीत कर लिया गया। मिल में कमर्शियल उत्पादन शुरू होने के साथ ही, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 26 अप्रैल 1959 को इसे देश को समर्पित किया। 1958 में भारत सरकार ने कंपनी के कार्यभार अपने हाथों में ले लिया। वर्तमान में केन्द्र की हिस्सेदारी है। 21 फरवरी 1989 को कंपनी का नाम बदल कर नेपा लिमिटेड कर दिया गया।
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469 करोड़ रुपये में हुआ है रिनोवेशन
केंद्र सरकार से मिले करीब 469 करोड़ रुपये के रिवाइवल पैकेज से मिल का नवीनीकरण किया गया है। 2015-16 में इसके रिनोवेशन का काम शुरू हुआ था और अब मिल के अंदर आधुनिक मशीनों को लगाया गया है, जो पूरी तरह से डिजिटल होगी और पेपर की गुणवत्ता में सुधार आएगा। इस मिल में पहले अखबार का कागज बनाने के लिए सलाई पेड़ की लकड़ी और बांस का यूज होता था। हालांकि उस वक्त इस क्षेत्र में सलाई के पेड़ और बांस बड़ी मात्रा में होते थे। इस मिल को एशिया के पहले ‘अखबारी कागज कारखाने’ के रूप में जाना जाता है।
मिल को चालू करने के लिए 310 लोगों की भर्तियां
नवंबर 2021 से कंपनी ने 310 लोगों की भर्तियां भी की हैं और इनमें अधिकतर आस-पास के इलाकों से हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारी उद्योग मंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि इस मिल से धुंआ जबतक निकलता रहेगा, तब तक नेपानगर के घरों में चूल्हा जलता रहेगा। देश के विभिन्न न्यूज पेपर मालिकों ने फोन किए और अपनी जरूरतों को भी बताया है। यह मील चलती रहनी चाहिए, धुआं जो उठा है, वो बढ़ता ही जाएगा। उन्होंने कहा कि कंपनी की पुनरुद्धार और मिल विकास योजना कई कारणों से महत्वपूर्ण है।
रद्दी कागजों से तैयार होता है यहां पेपर
उन्होंने कहा कि आज जब भारत सरकार प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिये नित नए कदम उठा रही है। वहीं, नेपा लिमिटेड प्रकृति को कोई हानि पहुंचाए बिना पुराने रद्दी कागज को रिसाइकल कर कागज का निर्माण कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए हमने नेपा मिल को तीन चरणों में 770 करोड़ रुपए पुनरुद्धार के लिए दिए हैं। नेपा लिमिटेड पहले से ही कागज निर्माण उद्योग में एक स्थापित ब्रांड है, इसलिए कंपनी के उत्पाद के लिए बाजार बनाना मुश्किल नहीं होगा।
एक लाख टन है सलाना क्षमता
नेपा लिमिटेड से मिली जानकारी के अनुसार, प्लांट की इंस्टॉल्ड क्षमता 1 लाख टन सालाना है, हालांकि 2016 में जब प्लांट बंद हुआ था, तब इसकी इंस्टॉल्ड क्षमता 88,000 टन सालाना थी। कंपनी का टर्नओवर 2015-16 में 72 करोड़ था। कंपनी ने न्यूज प्रिंट के साथ लेखन और प्रिंटिंग पेपर के उत्पादन में विविधीकरण की योजनाएं बनाई हैं। वहीं, 512.41 रुपये करोड़ की पुनरुद्धार और मिल विकास योजना के साथ नेपा लिमिटेड ने अपनी यूनिट को पूर्णतया स्वचालित बना लिया है। साथ ही विभिन्न दायित्वों को खत्म कर लागत कम की गई है, ऐसे में यह देश में फिर से संचालन शुरू करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ ही उपक्रमों में से एक है।
आसपास के लोगों को मिलेगा रोजगार
इसके साथ ही कंपनी ने अपनी वीआरएस आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रु 46 करोड़ प्राप्त किए, इसके अलावा वेतन और भत्तों के लिए अक्टूबर 2018 में 101 करोड़ एवं नवंबर 2021 में 31 करोड़ प्राप्त किए गए। मिल के शुरू होने से आसपास के क्षेत्र भी अब एक बार फिर से समृद्ध होंगे। नेपानगर में कागज सस्ता और अच्छी क्वालिटी का भी मिलता है, इसीलिए अधिकतर कागज खरीदने वाली कंपनियां नेपानगर का रुख करती हैं।
ये है कंपनी का इतिहास
दरअसल, नेपा लिमिटेड की शुरुआत 26 जनवरी 1947 को नायर प्रेस सिंडिकेट लिमिटेड ने एक निजी उद्यम के रूप में की थी। न्यूजप्रिंट उत्पादन के लिए ‘द नेशनल न्यूजप्रिंट एण्ड पेपर मिल्स लिमिटेड’ के नाम गठित यह कंपनी, 1981 तक यह भारत में एकमात्र न्यूजप्रिंट मैनुफैक्चरिंग यूनिट थी। अक्टूबर 1949 में कंपनी के प्रबंधन को मध्य प्रान्त और बरार (वर्तमान में मध्य प्रदेश) की तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहीत कर लिया गया। मिल में कमर्शियल उत्पादन शुरू होने के साथ ही, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 26 अप्रैल 1959 को इसे देश को समर्पित किया। 1958 में भारत सरकार ने कंपनी के कार्यभार अपने हाथों में ले लिया। वर्तमान में केन्द्र की हिस्सेदारी है। 21 फरवरी 1989 को कंपनी का नाम बदल कर नेपा लिमिटेड कर दिया गया।