किसी अपराधी को हिस्ट्रीशीटर कैसे घोषित करती है पुलिस, जानिए हिस्ट्रीशीट खोलने की पूरी कहानी h3>
नई दिल्ली : हिस्ट्रीशीटर का नाम आते ही दिमाग के बड़े दुर्दांत अपराधी की छवि आती है। ऐसा लगता है कि जिस व्यक्ति के नाम की हिस्ट्रीशीट निकल जाए तो उससे बड़ा कोई अपराधी ही नहीं है। आखिर यह हिस्ट्रीशीटर होते कौन हैं, पुलिस किसी भी अपराधी को किस तरह से हिस्ट्रीशीटर घोषित करती है। अगर किसी अपराधी को हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया जाए तो इसका क्या फायदा होता है। हिस्ट्रीशीटर घोषित होने के बाद अपराधी को क्या करना होता है। ऐसे ही कई सवाल हैं जिनका जवाब हम यहां जानेंगे।
कई अपराधों में शामिल शख्स हो सकता है हिस्ट्रीशीटर
दरअसल हिस्ट्रीशीटर एक पुलिस की तरफ से अपराधियों के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला शब्द है। यह उस अपराधी के लिए प्रयोग में लाया जाता है जो कई अपराधों में लिप्त रहा हो और पुलिस ने उसके अपराधों का ब्यौरा थाने में दर्ज कर लिया हो। पुलिस किस भी अपराधी की हिस्ट्री शीट खोलने से पहले उसके वर्तमान आपराधिक स्थिति की पुष्टि करती है। हाल ही में दिल्ली पुलिस ने 14,000 से अधिक व्यक्तियों की पहचान की है जिन्हें दो या इससे अधिक आपराधिक कृत्यों में दोषी ठहराया गया है। पुलिस के अनुसार, ये लोग स्नैचिंग और सेंधमारी सहित जघन्य मामलों और स्ट्रीट क्राइम में शामिल थे। पुलिस उनकी वर्तमान आपराधिक स्थिति की पुष्टि करेगी और उनके नाम पर हिस्ट्री शीट खोलेगी।
पुलिस किस आधार पर खोलती है हिस्ट्रीशीट
जब व्यक्ति एक अपराधी एक से अधिक मामलों में दोषी साबित हो गया है। इसके अलावा वह बार-बार आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है। इस स्थिति में एसएचओ की तरफ से एसएसपी या एसपी को रिपोर्ट भेजी जाती है। इसके बाद आदेश आने पर अपराधी की हिस्ट्री शीट खोली जाती है। हिस्ट्रीशीट में अपराधी की पूरी कुंडली होती है। इसमें उसके दोस्तों से लेकर ज्ञात रिश्तेदारों की डिटेल भी होती है। इसके अलावा ऐसे मामले जब लोग संगठित रैकेट चलाने या जबरन वसूली में शामिल लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए पुलिस से संपर्क करने से डरते हैं। इस स्थिति में पुलिस स्थानीय स्रोतों की मदद से हमेशा ऐसे अपराधियों पर नज़र रखती है। पुलिस कंट्रोल रूम में कॉल और डेली डायरी एंट्री के आधार पर, ऐसे व्यक्तियों की हिस्ट्रीशीट खोली जा सकती है जो समाज के लिए खतरा हैं। साथ ही उन्हें भविष्य में बाहर भी किया जा सकता है।
हिस्ट्रीशीटर को थाने में लगानी पड़ती है हाजिरी
हिस्ट्रीशीटर की दो कैटेगरी होती है। कैटेगरी ए में चोरी, लूट, डकैती से संबंधित क्राइम से जुड़े अपराधी होते हैं। वहीं, कैटेगरी बी में पेशेवर अपराधियों को रखा जाता है। पुलिस ने कहा कि हिस्ट्रीशीट अपराधियों के लिए एक निवारक के रूप में कार्य करता है क्योंकि उन्हें एहसास होता है कि इसका मतलब है कि वे पुलिस की निरंतर निगरानी में रहेंगे। एक अधिकारी ने बताया हिस्ट्रीशीट खुलने के बाद, अपराधी को रेगुलर तौर पर पुलिस स्टेशन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए। ऐसा नहीं करने पर पुलिस उसकी उपस्थिति की जांच करने के लिए उसके घर जाएगी।
अपराधियों की इनकम का पता लगाने में मदद
पुलिस के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि हिस्ट्री शीट अपराधियों की आय के स्रोत को ट्रैक करने में मदद करता है। अधिकारी ने कहा कि हम जांच सकते हैं कि क्या अपराधी ने अपराध करना बंद कर दिया है और वैध तरीकों से पैसा कमा रहा है। ऐसी संभावना है कि कानून तोड़ने वाला बेरोजगार है लेकिन फिर भी एक शानदार जीवन शैली जी रहा है। यह इस बात के संकेत देता है कि व्यक्ति हो सकता है अवैध तरीकों से कमाई कर रहा हो।
स्थानीय पुलिस भी रखती है नजर
एक बार पकड़े जाने के बाद पुलिस को चकमा देने के लिए, शातिर अपराधी को अपने पता बदलते रहते हैं। दूसरे जिलों में रहने के साथ ही वे फिर से अपनी आपराधिक गतिविधियों को शुरू कर देते हैं। ऐसे में राज्य विशेष की पुलिस दूसरे राज्यों या जिले की स्थानीय पुलिस को उन इलाकों की सूचना देते हैं जहां ये लोग हो सकते हैं। साथ ही स्थानीय पुलिस से उन पर कड़ी नजर रखने के लिए कहते हैं। अपराध पर अंकुश लगाने के लिए, पुलिस अक्सर शहर में क्राइम मैपिंग, हॉट स्पॉट की पहचान और एक्टिव क्राइम रोकने के लिए कई तरह की रणनीतियों का सहारा लेती है।
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कई अपराधों में शामिल शख्स हो सकता है हिस्ट्रीशीटर
दरअसल हिस्ट्रीशीटर एक पुलिस की तरफ से अपराधियों के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला शब्द है। यह उस अपराधी के लिए प्रयोग में लाया जाता है जो कई अपराधों में लिप्त रहा हो और पुलिस ने उसके अपराधों का ब्यौरा थाने में दर्ज कर लिया हो। पुलिस किस भी अपराधी की हिस्ट्री शीट खोलने से पहले उसके वर्तमान आपराधिक स्थिति की पुष्टि करती है। हाल ही में दिल्ली पुलिस ने 14,000 से अधिक व्यक्तियों की पहचान की है जिन्हें दो या इससे अधिक आपराधिक कृत्यों में दोषी ठहराया गया है। पुलिस के अनुसार, ये लोग स्नैचिंग और सेंधमारी सहित जघन्य मामलों और स्ट्रीट क्राइम में शामिल थे। पुलिस उनकी वर्तमान आपराधिक स्थिति की पुष्टि करेगी और उनके नाम पर हिस्ट्री शीट खोलेगी।
पुलिस किस आधार पर खोलती है हिस्ट्रीशीट
जब व्यक्ति एक अपराधी एक से अधिक मामलों में दोषी साबित हो गया है। इसके अलावा वह बार-बार आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है। इस स्थिति में एसएचओ की तरफ से एसएसपी या एसपी को रिपोर्ट भेजी जाती है। इसके बाद आदेश आने पर अपराधी की हिस्ट्री शीट खोली जाती है। हिस्ट्रीशीट में अपराधी की पूरी कुंडली होती है। इसमें उसके दोस्तों से लेकर ज्ञात रिश्तेदारों की डिटेल भी होती है। इसके अलावा ऐसे मामले जब लोग संगठित रैकेट चलाने या जबरन वसूली में शामिल लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए पुलिस से संपर्क करने से डरते हैं। इस स्थिति में पुलिस स्थानीय स्रोतों की मदद से हमेशा ऐसे अपराधियों पर नज़र रखती है। पुलिस कंट्रोल रूम में कॉल और डेली डायरी एंट्री के आधार पर, ऐसे व्यक्तियों की हिस्ट्रीशीट खोली जा सकती है जो समाज के लिए खतरा हैं। साथ ही उन्हें भविष्य में बाहर भी किया जा सकता है।
हिस्ट्रीशीटर को थाने में लगानी पड़ती है हाजिरी
हिस्ट्रीशीटर की दो कैटेगरी होती है। कैटेगरी ए में चोरी, लूट, डकैती से संबंधित क्राइम से जुड़े अपराधी होते हैं। वहीं, कैटेगरी बी में पेशेवर अपराधियों को रखा जाता है। पुलिस ने कहा कि हिस्ट्रीशीट अपराधियों के लिए एक निवारक के रूप में कार्य करता है क्योंकि उन्हें एहसास होता है कि इसका मतलब है कि वे पुलिस की निरंतर निगरानी में रहेंगे। एक अधिकारी ने बताया हिस्ट्रीशीट खुलने के बाद, अपराधी को रेगुलर तौर पर पुलिस स्टेशन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए। ऐसा नहीं करने पर पुलिस उसकी उपस्थिति की जांच करने के लिए उसके घर जाएगी।
अपराधियों की इनकम का पता लगाने में मदद
पुलिस के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि हिस्ट्री शीट अपराधियों की आय के स्रोत को ट्रैक करने में मदद करता है। अधिकारी ने कहा कि हम जांच सकते हैं कि क्या अपराधी ने अपराध करना बंद कर दिया है और वैध तरीकों से पैसा कमा रहा है। ऐसी संभावना है कि कानून तोड़ने वाला बेरोजगार है लेकिन फिर भी एक शानदार जीवन शैली जी रहा है। यह इस बात के संकेत देता है कि व्यक्ति हो सकता है अवैध तरीकों से कमाई कर रहा हो।
स्थानीय पुलिस भी रखती है नजर
एक बार पकड़े जाने के बाद पुलिस को चकमा देने के लिए, शातिर अपराधी को अपने पता बदलते रहते हैं। दूसरे जिलों में रहने के साथ ही वे फिर से अपनी आपराधिक गतिविधियों को शुरू कर देते हैं। ऐसे में राज्य विशेष की पुलिस दूसरे राज्यों या जिले की स्थानीय पुलिस को उन इलाकों की सूचना देते हैं जहां ये लोग हो सकते हैं। साथ ही स्थानीय पुलिस से उन पर कड़ी नजर रखने के लिए कहते हैं। अपराध पर अंकुश लगाने के लिए, पुलिस अक्सर शहर में क्राइम मैपिंग, हॉट स्पॉट की पहचान और एक्टिव क्राइम रोकने के लिए कई तरह की रणनीतियों का सहारा लेती है।