इंग्लैंड, अमेरिका के सर्वर से चलता है सट्टा, हथियार व नशे की वेबसाइट | The website of betting, weapons and drugs runs from the servers of Eng | Patrika News h3>
डार्क नेट तो अवैध गतिविधियों का अड्डा बना हुआ है। यहां लोगों के क्रेडिट, डेबिट कार्ड को बोली लगाकर खरीदा जाता है। भुगतान भी बिटक्वाइन में होता है। ठगी होने के बाद लोगों को पता चलता है कि उनके कार्ड का इस्तेमाल हुआ है। विदेशों में खरीदी के लिए ओटीपी की जरूरत नहीं होने से भी इसका प्रचलन बढ़ गया है। दूसरी ओर इंटरनेट पर फर्जी नाम से वेबसाइट की बाढ़ आ गई है। इंटरनेट के शुरुआती दौर में रशियन वेबसाइट का गलत इस्तेमाल होता था, लेकिन अब तो विदेशी होस्टिंग प्रोवाइडर पर वेबसाइट का देश में कहीं से भी इस्तेमाल हो जाता है।
इंदौर के नाम से एस्कॉर्ट, हथियार व नशे की बिक्री की वेबसाइट के सर्वर पहले भी विदेश में होने की बात सामने आई है। साइबर एक्सपर्ट चातक वाजपेयी के मुताबिक, इस समय फ्रांस, इंग्लैंड, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया के सर्वर पूरे विश्व में चल रहे हैं। कोई भी 2 हजार से 20 हजार रुपए खर्च कर विदेशी प्रोवाइडर के सर्वर पर अपनी वेबसाइट चला सकता है। एस्कॉर्ट सर्विस से लेकर गेम्बलिंग (जुआ-सट्टा) इन वेबसाइट पर चल रही है। फ्रॉड में अधिकांश यह वेबसाइट काम आती हैं। नशा और हथियार समेत अन्य गैरकानूनी सामान बेचने के लिए भी वेबसाइट बनी है।
हर बॉल पर सट्टा
साइबर सेल ने अमित मजीठिया की गैंग को पकड़ा था। साथी पकड़े गए, लेकिन अमित मजीठिया दुबई भाग गया। वह दुबई से अपनी वेबसाइट पर आइपीएल मैच की हर बॉल पर सट्टा चला रहा था। दुबई व अन्य देशों से विदेशी लीग पर भी उसकी वेबसाइट पर सट्टा होता था, लेकिन कार्रवाई नहीं हो पाई। पाकिस्तान के नंबर व सर्वर से कौन बनेगा करोड़पति की नाम पर ठगी के केस लगातार आ रहे हैं, अधिकांश में आरोपियों का पता नहीं चला है।
एक्सपर्ट के मुताबिक, विदेशी वेबसाइट पर ई-मेल की सुविधा भी रहती है। अनैतिक गतिविधियां चलाने वाले फर्जी ई-मेल एड्रेस बना लेते हैं। साथ ही आइपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल), आइएसपी (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर) भी बदल लेते हैं। विदेश में सर्वर होने से आसानी से इनकी जानकारी नहीं मिल पाती है। यही कारण है कि हर दिन ऑनलाइन फ्रॉड हो रहे हैं, लेकिन अधिकांश आरोपी पकडे नहीं गए।
कार्रवाई का प्रावधान
विदेश में सर्वर होने पर पुलिस के पास कार्रवाई का प्रावधान है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के सबूत हों तो इन्वेस्टिगेशन एब्राड के प्रावधान के तहत सीबीआइ की मदद से जांच आगे बढ़ती है। आइटी एक्ट की धारा 166-ए, 166-बी में भी इसके प्रावधान हैं, लेकिन प्र₹िया जटिल है।
होती है कार्रवाई
एडिशनल डीसीपी गुरुप्रसाद पाराशर ने बताया, केस दर्ज होने के बाद केंद्रीय एजेंसी की मदद से कार्रवाई होती है। पाकिस्तानी सर्वर पर चल रही वेबसाइट बंद कराने की प्रक्रिया की जा रही है।
डार्क नेट तो अवैध गतिविधियों का अड्डा बना हुआ है। यहां लोगों के क्रेडिट, डेबिट कार्ड को बोली लगाकर खरीदा जाता है। भुगतान भी बिटक्वाइन में होता है। ठगी होने के बाद लोगों को पता चलता है कि उनके कार्ड का इस्तेमाल हुआ है। विदेशों में खरीदी के लिए ओटीपी की जरूरत नहीं होने से भी इसका प्रचलन बढ़ गया है। दूसरी ओर इंटरनेट पर फर्जी नाम से वेबसाइट की बाढ़ आ गई है। इंटरनेट के शुरुआती दौर में रशियन वेबसाइट का गलत इस्तेमाल होता था, लेकिन अब तो विदेशी होस्टिंग प्रोवाइडर पर वेबसाइट का देश में कहीं से भी इस्तेमाल हो जाता है।
इंदौर के नाम से एस्कॉर्ट, हथियार व नशे की बिक्री की वेबसाइट के सर्वर पहले भी विदेश में होने की बात सामने आई है। साइबर एक्सपर्ट चातक वाजपेयी के मुताबिक, इस समय फ्रांस, इंग्लैंड, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया के सर्वर पूरे विश्व में चल रहे हैं। कोई भी 2 हजार से 20 हजार रुपए खर्च कर विदेशी प्रोवाइडर के सर्वर पर अपनी वेबसाइट चला सकता है। एस्कॉर्ट सर्विस से लेकर गेम्बलिंग (जुआ-सट्टा) इन वेबसाइट पर चल रही है। फ्रॉड में अधिकांश यह वेबसाइट काम आती हैं। नशा और हथियार समेत अन्य गैरकानूनी सामान बेचने के लिए भी वेबसाइट बनी है।
हर बॉल पर सट्टा
साइबर सेल ने अमित मजीठिया की गैंग को पकड़ा था। साथी पकड़े गए, लेकिन अमित मजीठिया दुबई भाग गया। वह दुबई से अपनी वेबसाइट पर आइपीएल मैच की हर बॉल पर सट्टा चला रहा था। दुबई व अन्य देशों से विदेशी लीग पर भी उसकी वेबसाइट पर सट्टा होता था, लेकिन कार्रवाई नहीं हो पाई। पाकिस्तान के नंबर व सर्वर से कौन बनेगा करोड़पति की नाम पर ठगी के केस लगातार आ रहे हैं, अधिकांश में आरोपियों का पता नहीं चला है।
एक्सपर्ट के मुताबिक, विदेशी वेबसाइट पर ई-मेल की सुविधा भी रहती है। अनैतिक गतिविधियां चलाने वाले फर्जी ई-मेल एड्रेस बना लेते हैं। साथ ही आइपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल), आइएसपी (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर) भी बदल लेते हैं। विदेश में सर्वर होने से आसानी से इनकी जानकारी नहीं मिल पाती है। यही कारण है कि हर दिन ऑनलाइन फ्रॉड हो रहे हैं, लेकिन अधिकांश आरोपी पकडे नहीं गए।
कार्रवाई का प्रावधान
विदेश में सर्वर होने पर पुलिस के पास कार्रवाई का प्रावधान है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के सबूत हों तो इन्वेस्टिगेशन एब्राड के प्रावधान के तहत सीबीआइ की मदद से जांच आगे बढ़ती है। आइटी एक्ट की धारा 166-ए, 166-बी में भी इसके प्रावधान हैं, लेकिन प्र₹िया जटिल है।
होती है कार्रवाई
एडिशनल डीसीपी गुरुप्रसाद पाराशर ने बताया, केस दर्ज होने के बाद केंद्रीय एजेंसी की मदद से कार्रवाई होती है। पाकिस्तानी सर्वर पर चल रही वेबसाइट बंद कराने की प्रक्रिया की जा रही है।