तेजस्वी को डिप्टी सीएम के साथ गृह विभाग, बैठक में RJD विधायकों की बड़ी मांग… नीतीश बने रहेंगे CM, ऐसा होगा नया कैबिनेट h3>
पटना: बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। बदलते माहौल के बीच भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करने की तैयारी हो गई है। भाजपा भी पूरे सियासी घटनाक्रम पर पिछले तीन दिनों से नजर बनाए हुए है। पार्टी के सूत्रों की ओर से जो आशंका पहले से जताई जा रही थी, वह सही साबित हुई। इसके बाद भी भाजपा की ओर से अभी तक पूरे मामले में कोई बयान सामने नहीं आया है। पार्टी के नेता नीतीश कुमार के पांचवीं बार पलटने के मामले को लेकर कोई भी बयान देने से बचते दिख रहे हैं। भले ही अभी प्रदेश में एनडीए की सरकार हो, लेकिन नई सरकार की रूपरेखा भी तय हो गई है। भाजपा से अलग होकर बनने वाली सरकार में तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम और गृह विभाग दिए जाने की चर्चा है। वहीं, सरकार गठन में 19-13-3-1 का फॉर्मूला मंत्री पद के बंटवारे में होने की बात कही जा रही है।
बिहार की सियासत का केंद्र बिंदु अभी राबड़ी आवास बना हुआ है। तेजस्वी यादव विधायकों की बैठक के दौरान ताजा बने राजनीतिक हालात के बारे में जानकारी दे रहे थे। इस दौरान राजद विधायकों की ओर से तेजस्वी को सीएम पद दिए जाने की मांग की गई। विधायकों का कहना था कि विधानसभा में राजद सबसे बड़ी पार्टी है। 2015 में राजद ने सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी त्याग किया था। इस बार नीतीश कुमार को त्याग करना चाहिए। हालांकि, तेजस्वी यादव ने विधायकों से कहा कि प्रदेश में राजनीतिक समीकरण में बदलाव समय की मांग है। इसलिए, हमें मिलकर आगे बढ़ना चाहिए। बैठक के बाद तेजस्वी यादव ने राजद के विधायकों की भावना से नीतीश कुमार को अवगत कराया। वहीं, गठबंधन टूटने का औपचारिक ऐलान जदयू संसदीय दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की ओर से हो गया है। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार को नए गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए बधाई दी।
तेजस्वी के त्याग की हो रही है चर्चा
बिहार के राजनीतिक गलियारे में इस समय तेजस्वी यादव के त्याग की चर्चा हो रही है। कहा यह जा रहा है कि वर्तमान परिस्थिति में अगर राजद चाहे तो जदयू में सेंध लगाकर खुद के दम पर सरकार बना सकती है। लेकिन, तेजस्वी ने कहा कि बिहार चुनाव 2020 में प्रदेश की जनता ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनने का मैंडेट दिया है। जनता के आदेश का सम्मान करते हुए नीतीश कुमार को ही सीएम पद पर रहना चाहिए। हालांकि, पहली बार राजद गृह विभाग पर अपना दावा ठोंक रहा है। माना जा रहा है कि तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम के साथ गृह विभाग की कमान मिल सकती है। वर्ष 2005 में सत्ता में आने के बाद से अधिकांश समय गृह विभाग नीतीश कुमार के पास ही रहा है। इसके अलावा बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद पर भी राजद की दावेदारी है।
विधायकों ने बैठक में सीएम को चेताया, कुशवाहा की बधाई
जदयू विधायक दल की बैठक के बीच से खबर निकल कर आ रही है कि विधायकों और विधान पार्षदों ने नीतीश कुमार को चेताया है। सूत्रों के हवाले कहा जा रहा है कि बैठक में जदयू के कई विधायकों, एमएलसी ने सीएम से कहा कि उनका वर्तमान गठबंधन वर्ष 2020 से उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। चिराग पासवान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि वह एक ऐसा उदाहरण रहे हैं। यह भी कहा गया कि अगर वे अभी सतर्क नहीं हुए तो यह पार्टी के लिए अच्छा नहीं होगा। वहीं, जदयू राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट कर नए गठबंधन के नेतृत्व के लिए नीतीश कुमार को बधाई दे दी है। उन्होंने कहा है कि नीतीश जी आप आगे बढ़िए, देश आपका इंतजार कर रहा है।
कुछ ऐसा हो सकता है मंत्रिमंडल का स्वरूप
बिहार में जदयू-राजद की संभावित सरकार का स्वरूप भी तय किया जाने लगा है। विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण राजद की दावेदारी सबसे अधिक मंत्री पद पर है। बिहार में मुख्यमंत्री समेत 36 मंत्री शपथ ले सकते हैं। राजद का दावा 19 से 20 मंत्री पद का है। हालांकि, जदयू की ओर से उन्हें 18 मंत्री पद दिए जाने की बात कही जा रही है। वहीं, कांग्रेस को 3 मंत्री पद मिल सकता है। जीतन राम मांझी की पार्टी हम को एक मंत्री पद मिल सकता है। वहीं, जदयू को मुख्यमंत्री समेत 13 से 14 मंत्री पद दिए जा सकते हैं। राजद की दावेदारी गृह के साथ-साथ वित्त, वाणिज्य, पथ निर्माण, स्वास्थ्य, परिवहन विभाग पर है। कांग्रेस को शिक्षा विभाग मिल सकता है। वहीं, जदयू के खाते में नगर विकास, खनन, कल्याण जैसे विभाग रह सकते हैं।
पशुपति पारस का क्या होगा?
जदयू के इस नए कदम ने सबसे मुश्किल स्थिति पशुपति कुमार पारस के सामने खड़ी कर दी है। माना जाता है कि लोजपा विभाजन में जदयू की अहम भूमिका थी। पशुपति कुमार पारस ने पार्टी को तोड़कर नया धड़ा बनाया। केंद्र सरकार में रामविलास पासवान की जगह पर मंत्री बने। अब अगर वे जदयू के साथ जाते हैं तो उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ेगा। अगर वे भाजपा के साथ रहते हैं तो उन्हें अपने भतीजे चिराग पासवान का सामना करना पड़ेगा। भाजपा ने भले ही चिराग पासवान को किनारे कर दिया था, लेकिन कभी उनसे रास्ते अलग नहीं किए।
राजद-जदयू विधायकों की बढ़ी चिंता
राजद और जदयू विधायक दल की बैठक में विधायकों की चिंता भी सामने आई है। राजद के अधिकांश विधायक जदयू के खिलाफ जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे हैं। वहीं, कुछ ऐसी ही स्थिति जदयू विधायकों की है। जदयू विधायक जिन सीटों पर जीते हैं, वहां पर उनका मुकाबला सीधे राजद से हुआ है। उन सीटों पर राजद मजबूत भी है। ऐसे में भाजपा के सहयोग के बाद उनको जीत मिली। 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर विधायकों ने अपनी-अपनी चिंता शीर्ष नेतृत्व के समक्ष जाहिर की। कुछ यही स्थिति जदयू सांसदों की है।
2014 के लोकसभा चुनाव में 2 सीटों पर सिमटने वाली जदयू के 16 सांसद लोकसभा चुनाव 2019 में चुने गए। वहां उनका मुकाबला राजद से था। अब इन सीटों पर जीत का समीकरण कैसे बनेगा? क्या विधायक-सांसदों को चुनाव में सीट मिल पाएगी। इस पर दोनों दलों के शीर्ष नेताओं ने अपने विधायक-सांसदों को बैठकर मसले का समाधान करने का भरोसा दिलाया है।
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बिहार की सियासत का केंद्र बिंदु अभी राबड़ी आवास बना हुआ है। तेजस्वी यादव विधायकों की बैठक के दौरान ताजा बने राजनीतिक हालात के बारे में जानकारी दे रहे थे। इस दौरान राजद विधायकों की ओर से तेजस्वी को सीएम पद दिए जाने की मांग की गई। विधायकों का कहना था कि विधानसभा में राजद सबसे बड़ी पार्टी है। 2015 में राजद ने सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी त्याग किया था। इस बार नीतीश कुमार को त्याग करना चाहिए। हालांकि, तेजस्वी यादव ने विधायकों से कहा कि प्रदेश में राजनीतिक समीकरण में बदलाव समय की मांग है। इसलिए, हमें मिलकर आगे बढ़ना चाहिए। बैठक के बाद तेजस्वी यादव ने राजद के विधायकों की भावना से नीतीश कुमार को अवगत कराया। वहीं, गठबंधन टूटने का औपचारिक ऐलान जदयू संसदीय दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की ओर से हो गया है। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार को नए गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए बधाई दी।
तेजस्वी के त्याग की हो रही है चर्चा
बिहार के राजनीतिक गलियारे में इस समय तेजस्वी यादव के त्याग की चर्चा हो रही है। कहा यह जा रहा है कि वर्तमान परिस्थिति में अगर राजद चाहे तो जदयू में सेंध लगाकर खुद के दम पर सरकार बना सकती है। लेकिन, तेजस्वी ने कहा कि बिहार चुनाव 2020 में प्रदेश की जनता ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनने का मैंडेट दिया है। जनता के आदेश का सम्मान करते हुए नीतीश कुमार को ही सीएम पद पर रहना चाहिए। हालांकि, पहली बार राजद गृह विभाग पर अपना दावा ठोंक रहा है। माना जा रहा है कि तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम के साथ गृह विभाग की कमान मिल सकती है। वर्ष 2005 में सत्ता में आने के बाद से अधिकांश समय गृह विभाग नीतीश कुमार के पास ही रहा है। इसके अलावा बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद पर भी राजद की दावेदारी है।
विधायकों ने बैठक में सीएम को चेताया, कुशवाहा की बधाई
जदयू विधायक दल की बैठक के बीच से खबर निकल कर आ रही है कि विधायकों और विधान पार्षदों ने नीतीश कुमार को चेताया है। सूत्रों के हवाले कहा जा रहा है कि बैठक में जदयू के कई विधायकों, एमएलसी ने सीएम से कहा कि उनका वर्तमान गठबंधन वर्ष 2020 से उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। चिराग पासवान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि वह एक ऐसा उदाहरण रहे हैं। यह भी कहा गया कि अगर वे अभी सतर्क नहीं हुए तो यह पार्टी के लिए अच्छा नहीं होगा। वहीं, जदयू राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट कर नए गठबंधन के नेतृत्व के लिए नीतीश कुमार को बधाई दे दी है। उन्होंने कहा है कि नीतीश जी आप आगे बढ़िए, देश आपका इंतजार कर रहा है।
कुछ ऐसा हो सकता है मंत्रिमंडल का स्वरूप
बिहार में जदयू-राजद की संभावित सरकार का स्वरूप भी तय किया जाने लगा है। विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण राजद की दावेदारी सबसे अधिक मंत्री पद पर है। बिहार में मुख्यमंत्री समेत 36 मंत्री शपथ ले सकते हैं। राजद का दावा 19 से 20 मंत्री पद का है। हालांकि, जदयू की ओर से उन्हें 18 मंत्री पद दिए जाने की बात कही जा रही है। वहीं, कांग्रेस को 3 मंत्री पद मिल सकता है। जीतन राम मांझी की पार्टी हम को एक मंत्री पद मिल सकता है। वहीं, जदयू को मुख्यमंत्री समेत 13 से 14 मंत्री पद दिए जा सकते हैं। राजद की दावेदारी गृह के साथ-साथ वित्त, वाणिज्य, पथ निर्माण, स्वास्थ्य, परिवहन विभाग पर है। कांग्रेस को शिक्षा विभाग मिल सकता है। वहीं, जदयू के खाते में नगर विकास, खनन, कल्याण जैसे विभाग रह सकते हैं।
पशुपति पारस का क्या होगा?
जदयू के इस नए कदम ने सबसे मुश्किल स्थिति पशुपति कुमार पारस के सामने खड़ी कर दी है। माना जाता है कि लोजपा विभाजन में जदयू की अहम भूमिका थी। पशुपति कुमार पारस ने पार्टी को तोड़कर नया धड़ा बनाया। केंद्र सरकार में रामविलास पासवान की जगह पर मंत्री बने। अब अगर वे जदयू के साथ जाते हैं तो उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ेगा। अगर वे भाजपा के साथ रहते हैं तो उन्हें अपने भतीजे चिराग पासवान का सामना करना पड़ेगा। भाजपा ने भले ही चिराग पासवान को किनारे कर दिया था, लेकिन कभी उनसे रास्ते अलग नहीं किए।
राजद-जदयू विधायकों की बढ़ी चिंता
राजद और जदयू विधायक दल की बैठक में विधायकों की चिंता भी सामने आई है। राजद के अधिकांश विधायक जदयू के खिलाफ जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे हैं। वहीं, कुछ ऐसी ही स्थिति जदयू विधायकों की है। जदयू विधायक जिन सीटों पर जीते हैं, वहां पर उनका मुकाबला सीधे राजद से हुआ है। उन सीटों पर राजद मजबूत भी है। ऐसे में भाजपा के सहयोग के बाद उनको जीत मिली। 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर विधायकों ने अपनी-अपनी चिंता शीर्ष नेतृत्व के समक्ष जाहिर की। कुछ यही स्थिति जदयू सांसदों की है।
2014 के लोकसभा चुनाव में 2 सीटों पर सिमटने वाली जदयू के 16 सांसद लोकसभा चुनाव 2019 में चुने गए। वहां उनका मुकाबला राजद से था। अब इन सीटों पर जीत का समीकरण कैसे बनेगा? क्या विधायक-सांसदों को चुनाव में सीट मिल पाएगी। इस पर दोनों दलों के शीर्ष नेताओं ने अपने विधायक-सांसदों को बैठकर मसले का समाधान करने का भरोसा दिलाया है।