ERCP को लेकर सड़क पर उतरे सांसद किरोड़ीलाल मीणा, 48 घंटे का दिया अल्टीमेटम, गहलोत बोले – प्रधानमंत्री के पास जाना चाहिए

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ERCP को लेकर सड़क पर उतरे सांसद किरोड़ीलाल मीणा, 48 घंटे का दिया अल्टीमेटम, गहलोत बोले – प्रधानमंत्री के पास जाना चाहिए

ERCP को लेकर सड़क पर उतरे सांसद किरोड़ीलाल मीणा, 48 घंटे का दिया अल्टीमेटम, गहलोत बोले – प्रधानमंत्री के पास जाना चाहिए

जयपुर: राजस्‍थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (cm ashok gehlot) ने जिस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (gajendra singh shekhawat) को ‘निकम्मा’ तक डाला था अब उसी पर फिर से सियासत तेज हो गई है। मंगलवार को बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा (kirodilal meena) ने दौसा जयपुर तक अपने समर्थकों के साथ कूच किया। वाहन रैली में उनके साथ जमकर भीड़ जुटी। 13 ज‍िलों के लिए महत्‍वपूर्ण मानी जा रही पूर्वी राजस्‍थान नहर परियोजना (ERCP) को लेकर सांसद मीणा ने राज्य सरकार से इस परियोजना में ‘तकनीकी खामियों’ को दूर करने की मांग की। दूसरी तरफ, मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने इस परियोजना को लेकर मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात की। चौहान ने इस मुद्दे को लेकर मुख्‍यमंत्री स्‍तर की बैठक करने पर सहम‍त‍ि जताई।

राज्य सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया

राज्यसभा सदस्य मीणा ने अपने समर्थकों के साथ वाहन रैली दौसा के नांगल प्‍यारीवास से शुरू की जो जयपुर जि‍ले के झटवाड़ा के पास पहुंची तो पुल‍िस ने उसे रोक लिया। यहां राज्‍य सरकार की ओर से पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह और वरिष्ठ अधिकारी बातचीत के लिए पहुंचे। वार्ता के बाद मीणा ने राज्य सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की जाए। उन्होंने कहा कि कमेटी नहीं बनी तो दौसा में धरना शुरू करेंगे।

48 घंटे में कमेटी नहीं बनी तो वह दौसा में धरना शुरू कर देंगे

इस अवसर पर राज्य विधानसभा में विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ और राज्य भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी भी मौजूद थे। रैली शुरू करने से पहले, मीणा ने परियोजना में ‘तकनीकी खामियों’ की ओर इशारा करते हुए लोगों को बताया कि जिन जिलों के लिए परियोजना प्रस्‍ताव‍ित है उनमें से कुछ बांध छोड़ दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने इससे पहले मध्य प्रदेश सरकार को परियोजना के वास्ते अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के लिए पत्र लिखा था, जो नहीं दिया गया। मीणा ने मंत्री विश्वेंद्र सिंह से बातचीत के बाद संवाददाताओं से कहा कि 48 घंटे में कमेटी नहीं बनी तो वह दौसा में धरना शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को मध्य प्रदेश से एनओसी प्राप्त करना चाहिए तथा अन्य तकनीकी समस्याओं का समाधान कर ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने के लिए नया प्रस्ताव केंद्र को भेजना चाहिए।
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ताकि परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया जा सके

भाजपा नेता ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो इस साल नवंबर में श्री महावीरजी (करौली) में व्यापक धरना होगा। पर्यटन मंत्री सिंह ने आश्वासन दिया कि मीणा द्वारा उठाई गई मांगों को पूरा किया जाएगा। इससे पहले, अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि राज्य सरकार को तकनीकी मुद्दों को संबोधित करने के बाद केंद्र सरकार को एक नया प्रस्ताव भेजना चाहिए ताकि परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया जा सके।
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उधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रैली करने को लेकर मीणा पर निशाना साधा और कहा कि भाजपा के सभी सांसदों को प्रधानमंत्री के पास जाना चाहिए और ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने के लिए उनसे बात करनी चाहिए। गहलोत ने उदयपुर में संवाददाताओं से कहा, ‘इन सभी नेताओं को प्रधानमंत्री के पास जाना चाहिए और मांग करनी चाहिए कि ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया जाना चाहिए।’ गहलोत ने कहा कि कांग्रेस एवं उसकी राज्‍य सरकार इस परियोजना को राष्‍ट्रीय परियोजना का दर्जा दिए जाने को लेकर प्रधानमंत्री पर दबाव बनाए रखेगी।

इससे पहले मुख्‍यमंत्री गहलोत ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को लेकर मध्‍य प्रदेश के मुख्यमंत्री से बात की है। गहलोत के अनुसार चौहान ने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री स्तर की बैठक करने पर सहमति जताई है। गहलोत ने एक बयान में कहा, ‘पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के संबंध में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से वार्ता कर उन्हें अवगत करवाया कि 2005 में राजस्थान-मध्य प्रदेश अन्तर्राज्यीय नियंत्रण मण्डल की 13वीं बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार ही इस योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।’’
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चौहान ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के स्तर पर एक बैठक रखने पर सहमति जताई

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘राजस्थान में चंबल की सहायक नदियों से प्राप्त हो रहे पानी पर आधारित इस पर‍ियोजना में मध्य प्रदेश से बहकर आने वाले पानी के 10 प्रतिशत से कम हिस्से का उपयोग होगा। अत: वर्ष 2005 में लिए गए निर्णय के अनुसार ऐसी परियोजनाओं के लिए मध्य प्रदेश की सहमति की आवश्यकता नहीं है। पहले राजस्थान ने भी मध्य प्रदेश की ओर से इस प्रकार चंबल एवं सहायक नदियों पर बनाई गई परियोजनाओं में आपत्ति प्रकट नहीं की थी तथा मध्य प्रदेश ने उन नदियों पर बांधों का निर्माण कर लिया। इसी प्रकार ईआरसीपी पर भी मध्य प्रदेश का सहयोग अपेक्षित है।’

उन्होंने कहा,‘चौहान ने दोनों राज्यों के सभी मुद्दों पर चर्चा एवं सहमति बनाने के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के स्तर पर एक बैठक रखने पर सहमति जताई है।’ उल्लेखनीय है कि राजस्‍थान सरकार ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग लगातार कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करने की वकालत की। यह 37,247 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिससे राज्य के 13 जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर और धौलपुर को लाभ होगा। (भाषा इनपुट के साथ)

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