लगातार हारने के बाद World Cup में गोल्ड मेडल, Olympics के लिए पीछे छोड़ा घर, दोस्ती यारी | motivational story of First indian Skeet Gold Medalist Mairaj Ahmad Khan of UP | Patrika News h3>
दुनिया में पोटरी नगर के नाम से विख्यात बुलंदशहर के खुर्जा में पैदा हुए और पले बढ़े 46 वर्षीय मेराज खान, चागवान में आयोजित विश्वकप निशानेबाजी प्रतियोगिता में सबसे उम्रदराज प्रतियोगी हैं। चागवान में आयोजित फाइनल में 40 में से 37 सटीक निशाने लगाकर कोरिया के मिंनसू किम को दूसरे स्थान पर धकेल कर गोल्ड मेडल अपनी झोली में डाल दिया।
क्रिकेटर बनना चाहते थे मेराज मेराज की शिक्षा खुर्जा में ही हुई है। उनके पिता का इंतकाल हो चुका है, जबकि उनके दो भाई और उनकी मां खुर्जा में ही रहकर खेतीवाड़ी का काम करते हैं। मेराज बताते हैं कि बचपन में वह क्रिकेटर बनने का ख्वाब देखते थे। लेकिन टीम सिलेक्शन न होते के चलते उन्होंने अपनी राहें बदलकर शूटिंग गेम की तरफ कर लीं। धीरे-धीरे उनका जुनून निशानेबाजी में बदल गया और देश के लिए मेडल जीतना उनका सपना बन गया। अब मेराज पेरिस ओलंपिक्स की तैयारी कर रहे हैं।
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खुद का हूं रोल मॉडल पिछले दो दशक में मेराज ने वर्ल्ड कप शूटिंग से लेकर कई अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में पदक जीते हैं। नवंबर 2019 में दोहा में हुई एशियाई चैंपियनशिप में हमवतन अंगद बाजवा को हराते हुए ओलंपिक्स के लिए अपनी जगह बनाई थी। इससे पहले 2016 में रियो ओलंपिक्स में स्कीट शूटिंग में क्वालिफाई करने वाले एकमात्र भारतीय स्कीट शूटर थे। लेकिन एक अंक से वह फाइनल तक पहुंचने में चूक गए।
विदेशी कोच से सीखे शूटिंग के गुण स्वर्ण पदक विजेता मेराज ने कहा, ‘मैंने अपने कोच रिकार्डो फिलिपेली के साथ ट्रेनिंग शुरू की तो उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे शून्य से शुरुआत करनी होगी। भारत और इटली में कई दौर के प्रशिक्षण के बाद जब मैं आईएसएसएफ विश्व कप के लिए कोरिया पहुंचा तो मैं बहुत आश्वस्त था। फाइनल के दौरान काफी अंधेरा था क्योंकि शाम हो रही थी और बारिश हो रही थी और बहुत हवा चल रही थी, लेकिन मैं अच्छे अभ्यास के कारण स्वर्ण जीतने में सफल रहा। हालांकि, यह सब आसान नहीं था। मेराज ने बताया कि मैं चाहता था कि एक अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी कोच मुझे प्रशिक्षित करे लेकिन मेरे लिए पैसे की बड़ी समस्या थी। तब उद्योगपति नवीन जिंदल ने मुझे खेल में अपना प्रशिक्षण जारी रखने में मदद की।
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पहले और अब में जमीन आसमान का फर्क मेराज कहते हैं कि पहले और अब में देश में स्पोर्ट्स की कंडीशन में जमीन आसमान का फर्क आ चुका है। आज लोग शूटिंग गोम के बारे में ज्यादा जानते हैं। सरकार इस तरह के खेलों को आगे बढ़ाने में प्रयास कर रही है। आने वाले समय में यह और बेहतर होगा।
रणवीर सिंह या शाहिद कपूर करें बायोपिक बॉलीवुड में बायोपिक फिल्मों का चलन काफी ज्यादा है। मेराज कहते हैं कि अगर कभी उन पर बायोपिक बनती है, तो वह रणवीर सिंह या शाहिद कपूर को अपना रोल करते हुए देखना पसंद करेंगे।
दुनिया में पोटरी नगर के नाम से विख्यात बुलंदशहर के खुर्जा में पैदा हुए और पले बढ़े 46 वर्षीय मेराज खान, चागवान में आयोजित विश्वकप निशानेबाजी प्रतियोगिता में सबसे उम्रदराज प्रतियोगी हैं। चागवान में आयोजित फाइनल में 40 में से 37 सटीक निशाने लगाकर कोरिया के मिंनसू किम को दूसरे स्थान पर धकेल कर गोल्ड मेडल अपनी झोली में डाल दिया।
क्रिकेटर बनना चाहते थे मेराज मेराज की शिक्षा खुर्जा में ही हुई है। उनके पिता का इंतकाल हो चुका है, जबकि उनके दो भाई और उनकी मां खुर्जा में ही रहकर खेतीवाड़ी का काम करते हैं। मेराज बताते हैं कि बचपन में वह क्रिकेटर बनने का ख्वाब देखते थे। लेकिन टीम सिलेक्शन न होते के चलते उन्होंने अपनी राहें बदलकर शूटिंग गेम की तरफ कर लीं। धीरे-धीरे उनका जुनून निशानेबाजी में बदल गया और देश के लिए मेडल जीतना उनका सपना बन गया। अब मेराज पेरिस ओलंपिक्स की तैयारी कर रहे हैं।
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विदेशी कोच से सीखे शूटिंग के गुण स्वर्ण पदक विजेता मेराज ने कहा, ‘मैंने अपने कोच रिकार्डो फिलिपेली के साथ ट्रेनिंग शुरू की तो उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे शून्य से शुरुआत करनी होगी। भारत और इटली में कई दौर के प्रशिक्षण के बाद जब मैं आईएसएसएफ विश्व कप के लिए कोरिया पहुंचा तो मैं बहुत आश्वस्त था। फाइनल के दौरान काफी अंधेरा था क्योंकि शाम हो रही थी और बारिश हो रही थी और बहुत हवा चल रही थी, लेकिन मैं अच्छे अभ्यास के कारण स्वर्ण जीतने में सफल रहा। हालांकि, यह सब आसान नहीं था। मेराज ने बताया कि मैं चाहता था कि एक अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी कोच मुझे प्रशिक्षित करे लेकिन मेरे लिए पैसे की बड़ी समस्या थी। तब उद्योगपति नवीन जिंदल ने मुझे खेल में अपना प्रशिक्षण जारी रखने में मदद की।
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