Flower Makhana: रक्षाबंधन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की मांग, फूल मखाना फिर तेज | Rakshabandhan, demand for Shri Krishna Janmashtami, Flower Makhana aga | Patrika News

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Flower Makhana: रक्षाबंधन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की मांग, फूल मखाना फिर तेज | Rakshabandhan, demand for Shri Krishna Janmashtami, Flower Makhana aga | Patrika News

Flower Makhana: रक्षाबंधन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की मांग, फूल मखाना फिर तेज | Rakshabandhan, demand for Shri Krishna Janmashtami, Flower Makhana aga | Patrika News


फूल मखाने की फसल में देरी होने और श्रावणी तीज त्योहारों की मांग निकलने से मखाने की कीमतों की कीमतों में फिर से तेजी का दौर शुरू हो गया हैं। राजभोग फूल मखाना 420 रुपए प्रति किलो तक पहुंचने की खबर है। उल्लेखनीय है कि पिछले छह माह के दौरान फूल मखाने के भाव चौतरफा बिकवाली के चलते न्यूनतम स्तर पर आ गए थे। दीनानाथ की गली में किराना एवं ड्राई फ्रूट मार्केट स्थित कारोबारी हंसराज अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में बालभोग फूल मखाना 625 रुपए प्रति किलो बिकने लगा है। जानकारों का कहना है कि गुलाब बाग, दरभंगा, हरदा, फोरबिसगंज एवं पूर्णिया आदि मंडियों में कारोबारी माल बेचने से पीछे हट गए हैं, क्योंकि मखाने की निकासी में पड़ता नहीं लग रहा है। फसल के प्रेशर में विलंब तथा रक्षाबंधन एवं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की खपत को देखते हुए फूल मखाने में और तेजी के आसार बन गए हैं। हालांकि अभी तक मखाने की फसल अच्छी बताई जा रही है। पिछले दिनों मखाने के भाव सीजन की तुलना में काफी नीचे आ गए थे। वर्तमान में खपत वाली मंडियों में माल नहीं है। परिणामस्वरूप फूल मखाने में और तेजी बन सकती है। कारोबारी सूत्रों के मुताबिक जयपुर, दिल्ली, आगरा तथा कानपुर आदि मंडियों में फूल मखाने की ग्राहकी निकलने लगी है। वैसे भी पिछले दिनों मखाने के भाव तीन साल के निचले स्तर पर आ गए थे। इस कारण भी फूल मखाने का बाजार त्योहारी लिवाली को देखते हुए तेज ही रहने के आसार हैं।

यूपी में भी हो रही मखाना की खेती

मखाना किसानों की आर्थिक सेहत भी दुरुस्त कर रहा है। मखाना उत्पादन के लिए वैसे तो बिहार मशहूर है, लेकिन उत्तर प्रदेश के किसान भी इस पर मेहनत कर रहे हैं। हरदोई जिले में मखाना की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। यूपी में इसकी खेती से किसान 4 लाख रुपए प्रति एकड़ तक की कमाई कर रहे हैं। इसकी बेल को घसीटा, कमल ककड़ी, भसीड़ा और मुराल नाम से भी जाना जाता है। बिहार के दरभंगा जिले से शुरू हुई यह खेती पूर्णिया, कटिहार, सहरसा से होते हुए उत्तर प्रदेश, बंगाल, असम, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर और मध्य प्रदेश के ज्यादातर जिलों में पहुंच चुकी है।

मखाना का कितना लाभ
भारत में तकरीबन 20 हजार हेक्टेयर खेत में मखाने की खेती की जा रही है। सरकार इसकी खेती को प्रोत्साहन देने के लिए 7 साल के लिए पट्टे पर जगह दे रही है। बैंक भी मखाना उत्पादकों को सब्सिडी दे रहे हैं। मखाने का इस्तेमाल सांस की समस्या, पाचन शक्ति, मूत्र विकार और शारीरिक कमजोरी से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने में सहायक है।

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