‘लगान’ से ऊंचाइयों को छूने वालीं ग्रेसी सिंह को ‘घमंडी’ बताने लगे थे लोग, बी ग्रेड की फिल्म भी की h3>
बॉलीवुड में 20 के दशक में ग्रेसी सिंह ने आमिर खान की ‘लगान’ और संजय दत्त की ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ जैसी फिल्मों से जबरदस्त एंट्री मारी। यह एक ऐसा चेहरा था जिसकी मासूमियत और खूबसूरती देसी दर्शकों के दिलों को छू गई। उनकी फिल्म ‘लगान’ के बाद से ही ऐसा कहा जाने लगा था कि ग्रेसी सिंह बॉलीवुड में लंबी पारी खेलने आई हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा हुआ नहीं। हालात ऐसे हो गए कि करियर का ग्राफ गिरता देख ग्रेसी सिंह अपने लिए सही फैसले लेने में भी चूक गईं और उन्होंने बी ग्रेट की फिल्म तक करने का फैसला ले लिया।
ग्रेसी सिंह के हाथ लग गई सुपरस्टार आमिर खान की फिल्म
जुलाई 20, साल 1980 में जन्मीं Gracy singh दिल्ली की पैदाइश हैं। ग्रेसी सिंह ने भरतनाट्यम और ओडिसी डांस की ट्रेनिंग ली है और उन्होंने एक डांस ग्रुप ‘द प्लैनेट्स’ के साथ अपने करियर की शुरुआत की। अपनी कुछ शानदार फिल्मों के लिए जानी जानेवालीं ग्रेसी सिंह ने साल 1997 में टेलिविजन सीरियल ‘अमानत’ से ऐक्टिंग की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद साल 1999 में बंगाली फिल्म ‘सुन्दरी बोउ’ में नजर आईं। इसके बाद ग्रेसी सिंह के हाथ लग गई बॉलीवुड के सुपरस्टार आमिर खान की फिल्म लगान। इस फिल्म में आमिर की इस हिरोइन के रूप में एक सीधी-सादी गांव की लड़की के रोल के लिए ऐक्ट्रेस चाहिए थी, जो क्लासिकल डांस में माहिर हो। इस रोल के लिए सैकड़ों लड़कियों का ऑडिशन हुआ, जिसमें सबको ग्रेसी सिंह का चेहरा और अंदाज पसंज आया और वह इस किरदार में खूब जमीं। लोगों ने इनका देसी अंदाज खूब पसंद किया और उन्हें बेस्ट फीमेल डेब्यू के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट भी किया गया।
लोग कहने लगे थे घमंडी
ग्रेसी सिंह ने इसके बाद कुछ और सक्सेसफुल फिल्में कीं, जिनमें अजय देवगन की ‘गंगाजल’, संजय दत्त की ‘मुन्ना भाई एम. बी. बी. एस.’ जैसी फिल्में कीं। इसके बाद जहां फिल्मों का ग्राफ ऊपर बढ़ना था, वहीं चीजें पलट गईं। कहते हैं कि ग्रेसी सिंह इन फिल्मों के बाद सोचने लगी थीं कि फिल्म इंडस्ट्री में वह कुछ ऐसा करें ताकि उनका नाम हो जाए। बताया जाता है कि फिल्म ‘लगान’ के दौरान वह अपने रोल में इस कदर रम जातीं कि शूटिंग के दौरान फ्री होने पर भी किसी से बातें नहीं करतीं और लोगों को लगने लगा कि वह घमंडी हैं।
इंडस्ट्री में खेमेबाजी पर उंगली उठाई
उस दौरान उनका एक इंटरव्यू भी काफी चर्चा में था, जिसमें उन्होंने खुद पर लगे घमंडी के आरोपों पर जवाब दिया था। ग्रेसी ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि वह मेहनत करने से नहीं घबरातीं लेकिन चापलूसी नहीं कर सकती हैं। ऐक्ट्रेस ने तब इंडस्ट्री में खेमेबाजी पर उंगली उठाई थी और कहा था, ‘फिल्म इंडस्ट्री की खेमेबाजी मुझे समझ नहीं आती, रोल हासिल करने के लिए प्रड्यूसर के पास जाना, पार्टी अटेंड करना, ये सब मुझे पंसद नहीं था। मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरे पास काम आना बंद हो गया।’
टीवी शो में कर लिया कमबैक
इसके बाद ग्रेसी सिंह के पास काम की कमी होने लगी और उन्होंने बी ग्रेट फिल्म तक के लिए भी हामी भर दी। साल 2008 में ग्रेसी सिंह कमाल आर. खान (केआरके) की फिल्म ‘द्रेशद्रोही’ में नजर आईं और धीरे-धीरे स्थिति काफी डंवाडोल होती गई। फिल्में तो उन्होंने कई कीं, लेकिन वो सफलता फिर कभी नहीं मिल पाई जो उन्हें ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ और ‘लगान’ ने दी। फिल्मों में अपने लिए बेहतर गुंजाइश न देखते हुए ग्रेसी सिंह इससे दूर हो गईं। ग्रेसी सिंह की आखिरी फिल्म साल 2015 की ‘चूड़ियां’ थी, जो पंजाबी फिल्म थी। इस फिल्म में लीड रोल में विनोद खन्ना और सुधांशु पांडे थे। ग्रेसी सिंह ने फिल्मों के बाद एक बार फिर टेलिविजन की ओर रुख किया ‘संतोषी मां’ से छोटे पर्दे पर कमबैक किया।
जुलाई 20, साल 1980 में जन्मीं Gracy singh दिल्ली की पैदाइश हैं। ग्रेसी सिंह ने भरतनाट्यम और ओडिसी डांस की ट्रेनिंग ली है और उन्होंने एक डांस ग्रुप ‘द प्लैनेट्स’ के साथ अपने करियर की शुरुआत की। अपनी कुछ शानदार फिल्मों के लिए जानी जानेवालीं ग्रेसी सिंह ने साल 1997 में टेलिविजन सीरियल ‘अमानत’ से ऐक्टिंग की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद साल 1999 में बंगाली फिल्म ‘सुन्दरी बोउ’ में नजर आईं। इसके बाद ग्रेसी सिंह के हाथ लग गई बॉलीवुड के सुपरस्टार आमिर खान की फिल्म लगान। इस फिल्म में आमिर की इस हिरोइन के रूप में एक सीधी-सादी गांव की लड़की के रोल के लिए ऐक्ट्रेस चाहिए थी, जो क्लासिकल डांस में माहिर हो। इस रोल के लिए सैकड़ों लड़कियों का ऑडिशन हुआ, जिसमें सबको ग्रेसी सिंह का चेहरा और अंदाज पसंज आया और वह इस किरदार में खूब जमीं। लोगों ने इनका देसी अंदाज खूब पसंद किया और उन्हें बेस्ट फीमेल डेब्यू के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट भी किया गया।
लोग कहने लगे थे घमंडी
ग्रेसी सिंह ने इसके बाद कुछ और सक्सेसफुल फिल्में कीं, जिनमें अजय देवगन की ‘गंगाजल’, संजय दत्त की ‘मुन्ना भाई एम. बी. बी. एस.’ जैसी फिल्में कीं। इसके बाद जहां फिल्मों का ग्राफ ऊपर बढ़ना था, वहीं चीजें पलट गईं। कहते हैं कि ग्रेसी सिंह इन फिल्मों के बाद सोचने लगी थीं कि फिल्म इंडस्ट्री में वह कुछ ऐसा करें ताकि उनका नाम हो जाए। बताया जाता है कि फिल्म ‘लगान’ के दौरान वह अपने रोल में इस कदर रम जातीं कि शूटिंग के दौरान फ्री होने पर भी किसी से बातें नहीं करतीं और लोगों को लगने लगा कि वह घमंडी हैं।
इंडस्ट्री में खेमेबाजी पर उंगली उठाई
उस दौरान उनका एक इंटरव्यू भी काफी चर्चा में था, जिसमें उन्होंने खुद पर लगे घमंडी के आरोपों पर जवाब दिया था। ग्रेसी ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि वह मेहनत करने से नहीं घबरातीं लेकिन चापलूसी नहीं कर सकती हैं। ऐक्ट्रेस ने तब इंडस्ट्री में खेमेबाजी पर उंगली उठाई थी और कहा था, ‘फिल्म इंडस्ट्री की खेमेबाजी मुझे समझ नहीं आती, रोल हासिल करने के लिए प्रड्यूसर के पास जाना, पार्टी अटेंड करना, ये सब मुझे पंसद नहीं था। मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरे पास काम आना बंद हो गया।’
टीवी शो में कर लिया कमबैक
इसके बाद ग्रेसी सिंह के पास काम की कमी होने लगी और उन्होंने बी ग्रेट फिल्म तक के लिए भी हामी भर दी। साल 2008 में ग्रेसी सिंह कमाल आर. खान (केआरके) की फिल्म ‘द्रेशद्रोही’ में नजर आईं और धीरे-धीरे स्थिति काफी डंवाडोल होती गई। फिल्में तो उन्होंने कई कीं, लेकिन वो सफलता फिर कभी नहीं मिल पाई जो उन्हें ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ और ‘लगान’ ने दी। फिल्मों में अपने लिए बेहतर गुंजाइश न देखते हुए ग्रेसी सिंह इससे दूर हो गईं। ग्रेसी सिंह की आखिरी फिल्म साल 2015 की ‘चूड़ियां’ थी, जो पंजाबी फिल्म थी। इस फिल्म में लीड रोल में विनोद खन्ना और सुधांशु पांडे थे। ग्रेसी सिंह ने फिल्मों के बाद एक बार फिर टेलिविजन की ओर रुख किया ‘संतोषी मां’ से छोटे पर्दे पर कमबैक किया।