सिटी सर्विलेंस की तीसरी नजर पर ग्रहण | Most of the police cameras got damaged | Patrika News

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सिटी सर्विलेंस की तीसरी नजर पर ग्रहण | Most of the police cameras got damaged | Patrika News

सिटी सर्विलेंस की तीसरी नजर पर ग्रहण | Most of the police cameras got damaged | Patrika News

अपराध व अपराधियों की निगरानी तथा वारदात के बाद बदमाशों का सुराग लगाने के उद्देश्य से सिटी सर्विलेंस योजना बनी थी। सबसे पहले ट्रैफिक नियम तोडऩे वालों पर निगरानी के लिए 28 चौराहों पर आरएलवीडी कैमरे लगवाए गए। इसके बाद जिला पुलिस ने अपने स्तर पर कैमरे लगवाए जो कुछ दिन काम आए और अब सभी बंद है। भोपाल से भी कैमरे लगे लेकिन मेट्रो प्रोजेक्ट, सड़कों की खुदाई जैसे विकास कामोंं के कारण करीब 15 से 20 प्रतिशत बंद ही रहते है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद यह स्थिति है। अब वारदात होती है तो सरकारी कैमरे बंद होने से निजी की तलाश शुरू होती है। पलासिया में नया कंट्रोल रूम बन गया लेकिन अभी ज्यादा इस्तेमाल नहीं हो रहा। ट्रैफिक पुलिस का कंट्रोल अलग ही चल रहा है।

बंद कैमरे के कारण नहीं मिलता सुराग केस 1: सुदामानगर मेें पिछले दिनों चेन स्नेचिंग हुई तो हवा बंगाला चौराहे पर लगे पुलिस के कैमरों की जांच की गई। पता चला कि कैमरे तो लगे है लेकिन बंद है। जब सरकारी कैमरे बंद मिले तो निजी की रिकार्डिंग देखकर जांच शुरू की गई।
केस 2: खजराना इलाके में एमआर-10 पर पेट्रोल पंप के पीछे महिला की हत्या कर शव जला दिया गया। बायपास पर पुलिस के कैमरे लगे थे लेकिन बंद निकले। नतीजा महीनों बाद भी न महिला की शिनाख्त हुई और न ही सुराग लगा।
केस 3: हीरानगर में बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। सरकारी कैमरों की व्यवस्था होने के बाद भी पुलिस को पता नहीं चल पाया कि आरोपी कार में किस तरफ भागे।

इतने कैमरे लगे है शहर में
– सबसे पहले जिला बल ने अपने स्तर पर 59 लोकेशन पर 312 कैमरे लगाएं, सभी बंद है।
– राज्य शासन ने 125 लोकेशन पर 608 कैमरे लगे है, करीब 100 से ज्यादा बंद है।
– 28 चौराहों पर आरएलवीडी कैमरे लगे, बंगाली, पीपल्याहाना सहित 6 चौराहों के बंद है।

हर थाने में 13-13 कैमरे, डेढ़ साल की रिकार्डिंग सुरक्षित
कोर्ट के निर्देशन का पालन करने हर थाने में नए 13-13 कैमरे लगाए जा रहे है, इसमें बातचीत भी कैद होगी। डेढ़ साल तक रिकार्डिंग भी सुरक्षित रहेगी। थाना प्रभारी के साथ कंट्रोल रूम से भी निगरानी का दावा है। 28 थानों में कैमरे लग गए है।

निगम ने कंट्रोल रूम बनाया, कैमरे नहीं लगे
स्मार्ट सिटी कंपनी ने भी तीसरी नजर के जरिए निगरानी की जिम्मेदारी ली थी। करोड़ों खर्च कर एआइसीटीएसएल परिसर में आधुनिक कैमरा कंट्रोल रूम तो बना दिया लेकिन शहर में कैमरे नहीं लगाए। नतीजन इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा। स्मार्ट सिटी कंपनी सीइओ ऋषभ गुप्ता के मुताबिक, 50 चौराहों पर कैमरे लगाने का टैंडर जारी किया है। कैमरे लगेंगे तो कंट्रोल रूम से निगरानी होगी।

अब बनाई एक हजार कैमरों की नई योजना, चार सर्विलेंस व्हीकल का भी प्रस्ताव डीसीपी इंटेलीजेंस, रजत सकलेचा ने माना कि 312 कैमरे बंद है लेकिन निजी कंपनी की मदद से सीएसआर योजना में 2 करोड़ से इन्हें चालू करने की तैयारी पर काम हो रहा है। भोपाल से लगे कुछ कैमरे विकास योजनाओं के कारण बंद हो जाते है जिन्हें सुधारने का काम चल रहा है। मैंटनेंस के लिए निजी फर्म को शासन ने काम दिया है। शहर के अंदर करीब 750 जगह, बायपास-रिंग रोड पर सीमा क्षेत्र में भी कैमरे लगाना है। एक हजार कैमरे का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। चार सर्विलेंस व्हीकल तैयार किए जा रहे है जो आधुनिक कैमरे से लैैंस रहेंगे। जगह जगह भेजकर इनके जरिए निगरानी रखी जाएगी।



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