satna: दूसरे चरण में भाजपा को गढ़ बचाने की चिंता, मैहर में पृथक विन्ध्य फैक्टर | satna: In the second phase, BJP worries about saving its stronghold | Patrika News h3>
नागौद में आमने सामने की लड़ाई नगर परिषद नागौद की अगर बात करें तो दूसरे चरण में सबसे टशन वाला मुकाबला यहीं है। यहां पर पूर्व मंत्री एवं विधायक नागेन्द्र सिंह और पूर्व विधायक यादवेन्द्र सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। भाजपा को जहां अपना गढ़ बचाने की चुनौती है वहीं कांग्रेस हर हाल में सत्ता की कमान किले से छीनना चाहती है। यहां अनाधिकारिक तौर पर अध्यक्ष पद की दावेदार नागौद राजघराने की बहूरानी कामाक्षा कुमारी भाजपा खेमे से दावेदार हैं। यहां अध्यक्ष गणित को देखते हुए टिकिट वितरण में कथित तौर पर विधायक का हस्तक्षेप तो रहा ही है वहीं अंतिम दौर पर एक टिकट बदली भी गई है। इससे स्पष्ट है कि यहां नागेन्द्र सिंह किस कदर संजीदा हैं। वहीं कांग्रेस खेमे से पूर्व विधायक यादवेन्द्र सिंह की बहू प्रतिमा सिंह चुनाव मैदान में हैं। माना जा रहा है कि अध्यक्ष पद के लिये अंत में इन्ही दो चेहरों के बीच मुकाबला होगा और दाव पर विधायक और पूर्व विधायक की प्रतिष्ठा होगी।
रामनगर में मंत्री की प्रतिष्ठा रामनगर में अभी भाजपा की सीट रही है। यहां लगातार रामसुशील का दबदबा रहा। डंडामार काण्ड के बाद भले ही ये पद से बेदखल हुए लेकिन चलती इनकी ही रही। इसके पीछे स्थानीय विधायक एवं मंत्री रामखेलावन पटेल का वरदहस्त होना है। कई बार मंत्री ने रामसुशील के लिये राजनीतिक वर्जनाएं भी लांघी है। इस बार महिला सामान्य सीट होने से रामसुशील की पत्नी सुनीता पटेल चुनाव मैदान में हैं। इन्हें ही अध्यक्ष पद का भाजपा खेमे से दावेदार माना जा रहा है। हालांकि सुधा गुप्ता भी बैकअप के तौर पर हैं। लेकिन भाजपा का पूरा फोकस सुनीता पर है। इनके लिये मंत्री अपनी पूरी ताकत लगाए हुए हैं। उधर कांग्रेस खेमे से अध्यक्ष की अघोषित दावेदार दीपा मिश्रा मानी जा रही हैं। और इनका बैकअप प्रेमा राकेश को माना जा रहा है। कांग्रेस के लिये पूर्व विस उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह की ताकत नजर आ रही है। उनकी भी कोशिश है कि किसी तरह से यहां की सीट भाजपा से छीन ली जाए। लिहाजा अघोषित तौर पर ही सही लेकिन यहां भी प्रतिष्ठा पूर्व मंत्री और पूर्व विस उपाध्यक्ष की लगी हुई है।
मैहर में नारायण का बैकडोर दाव मैहर में सीट कांग्रेस की रही है। इस बार पिछड़ा महिला सीट हो गई है। लिहाजा नामी चेहरे दौड़ से बाहर हो गए हैं। लेकिन इसके बाद भी मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच माना जा रहा है। लेकिन यहां विधायक नारायण त्रिपाठी का विन्ध्य प्रदेश फैक्टर काफी काम कर रहा है और बैकडोर से उन्होंने कई निर्दलीय प्रत्याशियों को अपना समर्थन दे रखा है। अभी तक की जो स्थिति नजर आ रही है उसमें कांग्रेस की ओर से दावेदारी संतोष चौरसिया की है तो भाजपा से गीता संतोष सोनी और सुषमा सत्यभान के नाम सामने आ रहे हैं। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ललिता सूर्यप्रकाश भी मैदान में है और इन्हें नारायण का समर्थन दिख रहा है। ऐसे में यहां त्रिकोणीय संघर्ष दिख रहा है, लेकिन नारायण की वजह से यहां कई खेल बनते और बिगड़ते नजर आ रहे हैं।
अमरपाटन में भी साख अमरपाटन में भी अध्यक्ष पद के लिये मंत्री रामखेलावन पटेल और पूर्व विस उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह पूरी ताकत अपनी अपनी पार्टी का अध्यक्ष बनाने के लिये लगाए हुए हैं। हालांकि अभी कांग्रेस से समर सिंह और भाजपा से संतोष तिवारी के नाम सामने आ रहे हैं लेकिन आगे की स्थिति पर बदलाव हो जाए तो कुछ कहा नहीं जा सकता है। लेकिन यहां भी प्रतिष्ठा की लड़ाई स्पष्ट नजर आ रही है।
नागौद में आमने सामने की लड़ाई नगर परिषद नागौद की अगर बात करें तो दूसरे चरण में सबसे टशन वाला मुकाबला यहीं है। यहां पर पूर्व मंत्री एवं विधायक नागेन्द्र सिंह और पूर्व विधायक यादवेन्द्र सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। भाजपा को जहां अपना गढ़ बचाने की चुनौती है वहीं कांग्रेस हर हाल में सत्ता की कमान किले से छीनना चाहती है। यहां अनाधिकारिक तौर पर अध्यक्ष पद की दावेदार नागौद राजघराने की बहूरानी कामाक्षा कुमारी भाजपा खेमे से दावेदार हैं। यहां अध्यक्ष गणित को देखते हुए टिकिट वितरण में कथित तौर पर विधायक का हस्तक्षेप तो रहा ही है वहीं अंतिम दौर पर एक टिकट बदली भी गई है। इससे स्पष्ट है कि यहां नागेन्द्र सिंह किस कदर संजीदा हैं। वहीं कांग्रेस खेमे से पूर्व विधायक यादवेन्द्र सिंह की बहू प्रतिमा सिंह चुनाव मैदान में हैं। माना जा रहा है कि अध्यक्ष पद के लिये अंत में इन्ही दो चेहरों के बीच मुकाबला होगा और दाव पर विधायक और पूर्व विधायक की प्रतिष्ठा होगी।
रामनगर में मंत्री की प्रतिष्ठा रामनगर में अभी भाजपा की सीट रही है। यहां लगातार रामसुशील का दबदबा रहा। डंडामार काण्ड के बाद भले ही ये पद से बेदखल हुए लेकिन चलती इनकी ही रही। इसके पीछे स्थानीय विधायक एवं मंत्री रामखेलावन पटेल का वरदहस्त होना है। कई बार मंत्री ने रामसुशील के लिये राजनीतिक वर्जनाएं भी लांघी है। इस बार महिला सामान्य सीट होने से रामसुशील की पत्नी सुनीता पटेल चुनाव मैदान में हैं। इन्हें ही अध्यक्ष पद का भाजपा खेमे से दावेदार माना जा रहा है। हालांकि सुधा गुप्ता भी बैकअप के तौर पर हैं। लेकिन भाजपा का पूरा फोकस सुनीता पर है। इनके लिये मंत्री अपनी पूरी ताकत लगाए हुए हैं। उधर कांग्रेस खेमे से अध्यक्ष की अघोषित दावेदार दीपा मिश्रा मानी जा रही हैं। और इनका बैकअप प्रेमा राकेश को माना जा रहा है। कांग्रेस के लिये पूर्व विस उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह की ताकत नजर आ रही है। उनकी भी कोशिश है कि किसी तरह से यहां की सीट भाजपा से छीन ली जाए। लिहाजा अघोषित तौर पर ही सही लेकिन यहां भी प्रतिष्ठा पूर्व मंत्री और पूर्व विस उपाध्यक्ष की लगी हुई है।
मैहर में नारायण का बैकडोर दाव मैहर में सीट कांग्रेस की रही है। इस बार पिछड़ा महिला सीट हो गई है। लिहाजा नामी चेहरे दौड़ से बाहर हो गए हैं। लेकिन इसके बाद भी मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच माना जा रहा है। लेकिन यहां विधायक नारायण त्रिपाठी का विन्ध्य प्रदेश फैक्टर काफी काम कर रहा है और बैकडोर से उन्होंने कई निर्दलीय प्रत्याशियों को अपना समर्थन दे रखा है। अभी तक की जो स्थिति नजर आ रही है उसमें कांग्रेस की ओर से दावेदारी संतोष चौरसिया की है तो भाजपा से गीता संतोष सोनी और सुषमा सत्यभान के नाम सामने आ रहे हैं। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ललिता सूर्यप्रकाश भी मैदान में है और इन्हें नारायण का समर्थन दिख रहा है। ऐसे में यहां त्रिकोणीय संघर्ष दिख रहा है, लेकिन नारायण की वजह से यहां कई खेल बनते और बिगड़ते नजर आ रहे हैं।
अमरपाटन में भी साख अमरपाटन में भी अध्यक्ष पद के लिये मंत्री रामखेलावन पटेल और पूर्व विस उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह पूरी ताकत अपनी अपनी पार्टी का अध्यक्ष बनाने के लिये लगाए हुए हैं। हालांकि अभी कांग्रेस से समर सिंह और भाजपा से संतोष तिवारी के नाम सामने आ रहे हैं लेकिन आगे की स्थिति पर बदलाव हो जाए तो कुछ कहा नहीं जा सकता है। लेकिन यहां भी प्रतिष्ठा की लड़ाई स्पष्ट नजर आ रही है।