पीसीसी मुख्यालय में मंत्री दरबार को लेकर गंभीर नहीं राजस्थान कांग्रेस, 2 दिन फिर जन सुनवाई स्थगित | Public hearing postponed again for 2 days in PCC headquarters | Patrika News h3>
हैरत की बात तो यह है कि इसी सप्ताह में कांग्रेस ने तीसरी बार जन सुनवाई को स्थगित किया है, जिससे दूर-दराज से अपनी शिकायतें लेकर आने वाले फरियादियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस की ओर पीसीसी मुख्यालय में लगने वाले मंत्री दरबार महज खानापूर्ति बनकर रह गया है।
12 और 13 जुलाई को जन सुनवाई स्थगित
इधर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में 12 और 13 जुलाई को जनसुनवाई का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। 12 जुलाई को मंत्री बीड़ी कल्ला और सुखराम विश्नोई को जनसुनवाई करनी थी और 13 जुलाई को महेंद्रजीत सिंह मालवीय और राजेंद्र गुढ़ा को जनसुनवाई करनी थी लेकिन दोनों दिन जनसुनवाई के कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं। इससे पहले 6 जुलाई को भी प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में जनसुनवाई कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था।
सप्ताह में सिर्फ 3 दिन जनसुनवाई, उसमें भी गंभीर नहीं
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में केवल सोमवार से बुधवार 3 दिन ही जनसुनवाई का कार्यक्रम रखा गया है। उसमें भी प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय की लापरवाही सामने आती है। पूरे 3 दिन जनसुनवाई के कार्यक्रम नहीं हो पाते हैं, ऐसे में जनसुनवाई कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस गलियारों में कई तरह की चर्चाएं चल पड़ी हैं। चर्चाएं यह भी है कि जनसुनवाई कार्यक्रम केवल दिखावे के तौर पर ही किए जा रहे हैं न तो इसे लेकर मंत्रियों में कोई दिलचस्पी है नही सत्ता और संगठन में।
जून माह में राज्यसभा चुनाव और ईडी के विरोध में भी हुई थी जन सुनवाई स्थगित
वहीं बीते जून माह में भी पहले राज्यसभा चुनाव में मंत्रियों-विधायकों की उदयपुर में बाड़ेबंदी के चलते जनसुनवाई कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था और उसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर ईडी की कार्रवाई के विरोध में भी जनसुनवाई कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए थे।
13 जून को पीसीसी मुख्यालय में जनसुनवाई कार्यक्रम को स्थगित करके ईडी की कार्रवाई के विरोध में प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय ने विरोध मार्च निकाला था और ईडी कार्यालय के बाहर धरना दिया था। उसके बाद तमाम मंत्री-विधायक राहुल गांधी के समर्थन में दिल्ली कूच कर गए थे और करीब 1 सप्ताह तक दिल्ली में ही रहे थे। उस दौरान भी जनसुनवाई के कार्यक्रम नहीं हो पाए।
जुलाई माह में केवल 10 दिन होनी हैं जनसुनवाई उसमें भी 3 दिन स्थगित
वहीं दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय की ओर से जुलाई माह में जनसुनवाई का जो रोस्टर जारी किया गया है उसके मुताबिक केवल 10 दिन ही जनसुनवाई होनी हैं लेकिन उसमें भी 3 दिन जनसुनवाई का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। ऐसे में अब केवल 7 दिन ही जनसुनवाई होगी उसे लेकर भी अब संशय बरकरार है।
कोरोना काल में भी लंबे समय तक स्थगित रही थी जनसुनवाई
कोरोना की पहली दूसरी और तीसरी लहर के दौरान भी पीसीसी मुख्यालय में जनसुनवाई कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए थे। लंबे समय तक जनसुनवाई के कार्यक्रम नहीं हो पाए। इस कारण कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ साथ आमजन को भी अपनी शिकायतें लेकर दर-दर भटकना पड़ा था।
तत्कालीन पीसीसी चीफ पायलट के समय शुरू हुई जनसुनवाई
दरअसल प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पहली बार तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट के समय अक्टूबर 2019 में जनसुनवाई कार्यक्रम पहली बार पीसीसी मुख्यालय में शुरू किया गया था। उसके बाद प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने गोविंद सिंह डोटासरा ने भी जनसुनवाई कार्यक्रम को जारी रखते हुए जनसुनवाई के कार्यक्रम शुरू किए थे लेकिन बार-बार जनसुनवाई कार्यक्रम स्थगित होने से जनसुनवाई कार्यक्रम का उद्देश्य भी पूरा नहीं हो पा रहा है।
हैरत की बात तो यह है कि इसी सप्ताह में कांग्रेस ने तीसरी बार जन सुनवाई को स्थगित किया है, जिससे दूर-दराज से अपनी शिकायतें लेकर आने वाले फरियादियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस की ओर पीसीसी मुख्यालय में लगने वाले मंत्री दरबार महज खानापूर्ति बनकर रह गया है।
12 और 13 जुलाई को जन सुनवाई स्थगित
इधर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में 12 और 13 जुलाई को जनसुनवाई का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। 12 जुलाई को मंत्री बीड़ी कल्ला और सुखराम विश्नोई को जनसुनवाई करनी थी और 13 जुलाई को महेंद्रजीत सिंह मालवीय और राजेंद्र गुढ़ा को जनसुनवाई करनी थी लेकिन दोनों दिन जनसुनवाई के कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं। इससे पहले 6 जुलाई को भी प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में जनसुनवाई कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था।
सप्ताह में सिर्फ 3 दिन जनसुनवाई, उसमें भी गंभीर नहीं
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में केवल सोमवार से बुधवार 3 दिन ही जनसुनवाई का कार्यक्रम रखा गया है। उसमें भी प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय की लापरवाही सामने आती है। पूरे 3 दिन जनसुनवाई के कार्यक्रम नहीं हो पाते हैं, ऐसे में जनसुनवाई कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस गलियारों में कई तरह की चर्चाएं चल पड़ी हैं। चर्चाएं यह भी है कि जनसुनवाई कार्यक्रम केवल दिखावे के तौर पर ही किए जा रहे हैं न तो इसे लेकर मंत्रियों में कोई दिलचस्पी है नही सत्ता और संगठन में।
जून माह में राज्यसभा चुनाव और ईडी के विरोध में भी हुई थी जन सुनवाई स्थगित
वहीं बीते जून माह में भी पहले राज्यसभा चुनाव में मंत्रियों-विधायकों की उदयपुर में बाड़ेबंदी के चलते जनसुनवाई कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था और उसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर ईडी की कार्रवाई के विरोध में भी जनसुनवाई कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए थे।
13 जून को पीसीसी मुख्यालय में जनसुनवाई कार्यक्रम को स्थगित करके ईडी की कार्रवाई के विरोध में प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय ने विरोध मार्च निकाला था और ईडी कार्यालय के बाहर धरना दिया था। उसके बाद तमाम मंत्री-विधायक राहुल गांधी के समर्थन में दिल्ली कूच कर गए थे और करीब 1 सप्ताह तक दिल्ली में ही रहे थे। उस दौरान भी जनसुनवाई के कार्यक्रम नहीं हो पाए।
जुलाई माह में केवल 10 दिन होनी हैं जनसुनवाई उसमें भी 3 दिन स्थगित
वहीं दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय की ओर से जुलाई माह में जनसुनवाई का जो रोस्टर जारी किया गया है उसके मुताबिक केवल 10 दिन ही जनसुनवाई होनी हैं लेकिन उसमें भी 3 दिन जनसुनवाई का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। ऐसे में अब केवल 7 दिन ही जनसुनवाई होगी उसे लेकर भी अब संशय बरकरार है।
कोरोना काल में भी लंबे समय तक स्थगित रही थी जनसुनवाई
कोरोना की पहली दूसरी और तीसरी लहर के दौरान भी पीसीसी मुख्यालय में जनसुनवाई कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए थे। लंबे समय तक जनसुनवाई के कार्यक्रम नहीं हो पाए। इस कारण कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ साथ आमजन को भी अपनी शिकायतें लेकर दर-दर भटकना पड़ा था।
तत्कालीन पीसीसी चीफ पायलट के समय शुरू हुई जनसुनवाई
दरअसल प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पहली बार तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट के समय अक्टूबर 2019 में जनसुनवाई कार्यक्रम पहली बार पीसीसी मुख्यालय में शुरू किया गया था। उसके बाद प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने गोविंद सिंह डोटासरा ने भी जनसुनवाई कार्यक्रम को जारी रखते हुए जनसुनवाई के कार्यक्रम शुरू किए थे लेकिन बार-बार जनसुनवाई कार्यक्रम स्थगित होने से जनसुनवाई कार्यक्रम का उद्देश्य भी पूरा नहीं हो पा रहा है।