इनसाइड स्टोरीः कैसे सिक लीव डाल AI की खुली भर्ती में ‘उड़े’ इंडिगो के आधे से ज्यादा कर्मचारी और कई फ्लाइट्स फंस गईं

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इनसाइड स्टोरीः कैसे सिक लीव डाल AI की खुली भर्ती में ‘उड़े’ इंडिगो के आधे से ज्यादा कर्मचारी और कई फ्लाइट्स फंस गईं

इनसाइड स्टोरीः कैसे सिक लीव डाल AI की खुली भर्ती में ‘उड़े’ इंडिगो के आधे से ज्यादा कर्मचारी और कई फ्लाइट्स फंस गईं

नई दिल्ली: छुट्टी सभी लेते हैं, लेकिन शनिवार को जो कुछ हुआ, उसने देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस इंडिगो के पसीने छुड़ा दिए। इंडिगो के कई कर्मचारी एक साथ छुट्टी पर चले गए। ना ना, वे हड़ताल पर नहीं गए थे। दरअसल सभी एयर इंडिया की खुली भर्ती में इंटरव्यू देने पहुंच गए थे। इसके लिए अधिकतर ने सिक लीव डाल दी। नतीजा यह हुआ कि इसकी करीब 55 फीसदी फ्लाइटों पर इसका असर पड़ा। कई ने देर से उड़ान भरी तो कुछ को रद्द करना पड़ा। पैसेंजर अलग से परेशान हुए। इंडिगो रोजाना 1,600 घरेलू और अंतरराष्‍ट्रीय उड़ानों का ऑपरेशन करती है।

टाटा ग्रुप के स्‍वामित्‍व वाली कंपनी ने देश के कई शहरों में वॉक-इन इंटरव्‍यू रखा था। इनमें दिल्‍ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद और बेंगलुरु शामिल हैं। नई नौकरी की चाह में इंडिगो के कई कर्मचारी ‘बीमार’ हो गए। कई क्रू मेंबर अपनी कंपनी में बीमारी का बहाना बनाकर इंटरव्‍यू देने पहुंचे। कर्मचारियों के अचानक गुम होने से इंडिगो के पसीने छूट गए। टाटा के प्लान से इंडस्‍ट्री में खलबली मची हुई है। आलम यह है कि इंडिगो सहित कुछ एयरलाइनों ने एयर इंडिया से अनुरोध किया है वह उनके क्रू को एनओसी के बगैर भर्ती नहीं करे। नतीजा यह हुआ कि इंडिगो के कई विमान हवाई अड्डे पर ही जमे रह गए। इससे यात्रियों को भारी मुश्किल का सामना करना पड़ा। सूत्रों ने बताया कि कुछ फ्लाइटों को कैंसिल भी करना पड़ा।

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विमानन नियामक तक पहुंचा मसला
विमानन नियामक डीजीसीए ने इस मामले में रिपोर्ट तलब की है। देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो से अचानक आई इस गिरावट का कारण बताने के लिए कहा गया है। इंडिगो की समय से उड़ानें संचालित करने की मजबूत छवि रही है। इस प्रकरण ने उस छवि को भी नुकसान पहुंचाया है।

टाटा ग्रुप में क्‍यों भागा स्‍टाफ?
पिछले कुछ महीनों के दौरान इंडिगो में असंतोष बढ़ा है। विमानन कंपनी ने कोरोना की महामारी के दौरान कर्मचारियों की सैलरी में कटौती की थी। देश में कोरोना की दस्‍तक से पहले तक इंडिगो एकमात्र एयरलाइंस थी जो मुनाफे में चल रही थी। अप्रैल से स्थितियां ज्‍यादा बिगड़ीं। तब कई पायलटों ने एक साथ छुट्टी लेने की योजना बनाई थी। कंपनी ने नौकरी की शर्तों को तोड़ने के लिए इनमें से कुछ पायलटों को सस्‍पेंड कर दिया था। इससे दूसरे कर्मचारियों में भी असंतोष फैला था। अब देखना यह होगा कि प्रबंधन केबिन क्रू के कदम पर किस तरह की कार्रवाई करता है।

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इंडिगो पर ही पड़ा सबसे ज्‍यादा असर
एयर इंडिया की मास हायरिंग का सबसे ज्‍यादा असर इंडिगो पर ही पड़ा। शनिवार को उसकी 45 फीसदी उड़ानें ही समय पर चल सकीं। आंकड़ों का विश्‍लेषण करने से पता लगता है कि दूसरी विमान कंपनियों पर इसका ज्‍यादा असर नहीं हुआ है। शनिवार को एयर एशिया इंडिया की 98.3 फीसदी, गोफर्स्‍ट की 88 फीसदी, विस्‍तारा की 86.3 फीसदी, स्‍पाइसजेट की 80.4 फीसदी और एयर इंडिया की 77.1 फीसदी उड़ानें समय से चलीं।

एयर इंडिया ने पैदा कर दिया है खतरा, कंपनियों ने किया अनुरोध
टाटा ग्रुप के एक्‍सपैंशन प्‍लान ने दूसरी विमानन कंपनियों के लिए कर्मचारियों खतरा पैदा कर दिया है। उधर, राकेश झुनझुनवाला की एयरलाइन कंपनी आकासा को भी कई आवेदन मिले हैं। एयरलाइन इंडस्‍ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए इसने मौके ही मौके तैयार कर दिए हैं। हालांकि, जमी-जमाई कंपनियों को अचानक बड़ी संख्‍या में कर्मचारियों के जाने का डर भी सता रहा है। इंडिगो सहित कुछ एयरलाइनों ने एयर इंडिया से अनुरोध किया है। उन्‍होंने कहा है कि एनओसी के बगैर विमानन कंपनी उनके केबिन क्रू की भर्ती नहीं करे।

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