1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक के 19 आइटम पर लगेगा बैन, इस्तेमाल और बेचने पर भी लगेगा जुर्माना h3>
नई दिल्ली : दिल्ली पर्यावरण विभाग सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के सभी 19 प्रतिबंधित आइटमों को पूरी तरह आउट करने के लिए एक कैंपेन की शुरुआत करने जा रहा है। यह कैंपेन एक जुलाई से शुरू हो जाएगा। इस कैंपेन में इन उत्पादों को बनाने वाले, सप्लायर, स्टॉक करने वाले, डीलर और इन्हें बेचने वालों पर नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
1 जुलाई से इन आइटम्स पर बैन
1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक के आइटम जैसे ईयरबड्स, गुब्बारे की प्लास्टिक डंडी, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की प्लास्टिक डंडी, आइसक्रीम की प्लास्टिक डंडी, थर्माकॉल के सजावटी सामान, प्लास्टिक की प्लेट, कप, ग्लास, कांटे, चम्मच, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बे पैक करने वाली पन्नी, इनविटेशन कार्ड पर लगाई जाने वाली पन्नी, सिगरेट पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली पन्नी, 100 माइक्रोन से पतले पीवीसी व प्लास्टिक के बैनर आदि शामिल हैं।
स्टॉकिस्ट, सप्लायर और डिस्ट्रिब्यूशटरों को निर्देश
अधिकारियों के अनुसार पिछले काफी समय से इन उत्पादों के निर्माता, स्टॉकिस्ट, सप्लायर और डिस्ट्रिब्यूशन करने वालों को निर्देश दिए जा रहे हैं। जुलाई के पहले हफ्ते में जो नियम तोड़ेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो जाएगी। ऐसे उत्पादों का अवैध तरीके से निर्माण न हो पाए इसके लिए भी काम किया जाएगा। इतना ही नहीं डीपीसीसी ने श्रीराम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च से एक सर्वे के लिए भी कहा है। इसमें ऐसे हॉटस्पॉट की पहचान की जा रही है जहां इस तरह के उत्पादों का इस्तेमाल अधिक होता है। इस सर्वे में संस्थान सभी बड़े कमर्शल स्पेस, मॉल, मार्केट, शॉपिंग सेंटर, सिनेमा, रेस्तरां, टूरिस्ट स्पॉट, धार्मिक स्थल, कॉलेज, स्कूल, ऑफिस कॉम्प्लेक्स, अस्पताल और अन्य संस्थानों की पड़ताल करेगा।
प्लास्टिक का समर्थन नहीं लेकिन बैन के पक्ष में नहीं
एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के कई उत्पाद प्रतिबंधित हो रहे हैं। ऐसे में इनका इस्तेमाल करने वाले आम लोगों पर 500 से दो हजार रुपये और औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पाद व स्टोरेज करने वालों पर 20 हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना व सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। मौजूदा वक्त में मार्केट में इस तरह के उत्पाद भरे हुए हैं और इन्हें लेकर व्यापारियों में भी डर है। हालांकि व्यापारी संगठन यह कह रहे हैं कि वह प्लास्टिक के समर्थन में नहीं हैं, लेकिन इन उत्पादों पर अभी बैन के पक्ष में भी नहीं हैं।
व्यापारी संगठनों ने कहा- बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार होंगे
दिल्ली में व्यापारी संगठनों का कहना है कि इससे बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार होंगे। दूसरी तरफ ऐसे उत्पादों के निर्माण से जुड़ी लघु इकाइयों के लिए वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है। इन इकाइयों को पूरी तरह सपोर्ट किया जा रहा है ताकि यह एसयूपी के विकल्प बनाए। सीपीसीबी से मिली जानकारी के अनुसार 1 जुलाई से बैन हो रहे सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कंट्रोल रूम बनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
स्पेशल एनफोर्समेंट टीमें भी रखेंगी नजर
स्पेशल एनफोर्समेंट टीमें भी बनाई जा रहीं हैं। यह टीमें अवैध निर्माण, आयात, स्टोरिंग, सेल आदि पर नजर रखेंगी। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कहा गया है कि वह अपने बॉर्डर पर चेक पॉइंट बनाएं ताकि प्रतिबंधित आइटम एक जगह से दूसरी जगह न जा पाए। सीपीसीबी ने इसे लेकर एक ऐप भी लॉन्च किया है।
500 से दो हजार रुपये का जुर्माना होगा
एक जुलाई से आम लोगों पर प्रतिबंधित उत्पादों का इस्तेमाल करने पर 500 से दो हजार रुपये का जुर्माना होगा। वहीं औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पाद, आयात, भंडारण और बिक्री करने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत दंड का प्रावधान होगा। ऐसे लोगों पर 20 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर पांच साल की जेल या दोनों सजा भी दी जा सकती है। उत्पादों को सीज करना, पर्यावरण क्षति को लेकर जुर्माना लगाना, इनके उत्पादन से जुड़े उद्योगों को बंद करने जैसी कार्रवाई भी शामिल है।
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1 जुलाई से इन आइटम्स पर बैन
1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक के आइटम जैसे ईयरबड्स, गुब्बारे की प्लास्टिक डंडी, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की प्लास्टिक डंडी, आइसक्रीम की प्लास्टिक डंडी, थर्माकॉल के सजावटी सामान, प्लास्टिक की प्लेट, कप, ग्लास, कांटे, चम्मच, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बे पैक करने वाली पन्नी, इनविटेशन कार्ड पर लगाई जाने वाली पन्नी, सिगरेट पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली पन्नी, 100 माइक्रोन से पतले पीवीसी व प्लास्टिक के बैनर आदि शामिल हैं।
स्टॉकिस्ट, सप्लायर और डिस्ट्रिब्यूशटरों को निर्देश
अधिकारियों के अनुसार पिछले काफी समय से इन उत्पादों के निर्माता, स्टॉकिस्ट, सप्लायर और डिस्ट्रिब्यूशन करने वालों को निर्देश दिए जा रहे हैं। जुलाई के पहले हफ्ते में जो नियम तोड़ेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो जाएगी। ऐसे उत्पादों का अवैध तरीके से निर्माण न हो पाए इसके लिए भी काम किया जाएगा। इतना ही नहीं डीपीसीसी ने श्रीराम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च से एक सर्वे के लिए भी कहा है। इसमें ऐसे हॉटस्पॉट की पहचान की जा रही है जहां इस तरह के उत्पादों का इस्तेमाल अधिक होता है। इस सर्वे में संस्थान सभी बड़े कमर्शल स्पेस, मॉल, मार्केट, शॉपिंग सेंटर, सिनेमा, रेस्तरां, टूरिस्ट स्पॉट, धार्मिक स्थल, कॉलेज, स्कूल, ऑफिस कॉम्प्लेक्स, अस्पताल और अन्य संस्थानों की पड़ताल करेगा।
प्लास्टिक का समर्थन नहीं लेकिन बैन के पक्ष में नहीं
एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के कई उत्पाद प्रतिबंधित हो रहे हैं। ऐसे में इनका इस्तेमाल करने वाले आम लोगों पर 500 से दो हजार रुपये और औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पाद व स्टोरेज करने वालों पर 20 हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना व सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। मौजूदा वक्त में मार्केट में इस तरह के उत्पाद भरे हुए हैं और इन्हें लेकर व्यापारियों में भी डर है। हालांकि व्यापारी संगठन यह कह रहे हैं कि वह प्लास्टिक के समर्थन में नहीं हैं, लेकिन इन उत्पादों पर अभी बैन के पक्ष में भी नहीं हैं।
व्यापारी संगठनों ने कहा- बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार होंगे
दिल्ली में व्यापारी संगठनों का कहना है कि इससे बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार होंगे। दूसरी तरफ ऐसे उत्पादों के निर्माण से जुड़ी लघु इकाइयों के लिए वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है। इन इकाइयों को पूरी तरह सपोर्ट किया जा रहा है ताकि यह एसयूपी के विकल्प बनाए। सीपीसीबी से मिली जानकारी के अनुसार 1 जुलाई से बैन हो रहे सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कंट्रोल रूम बनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
स्पेशल एनफोर्समेंट टीमें भी रखेंगी नजर
स्पेशल एनफोर्समेंट टीमें भी बनाई जा रहीं हैं। यह टीमें अवैध निर्माण, आयात, स्टोरिंग, सेल आदि पर नजर रखेंगी। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कहा गया है कि वह अपने बॉर्डर पर चेक पॉइंट बनाएं ताकि प्रतिबंधित आइटम एक जगह से दूसरी जगह न जा पाए। सीपीसीबी ने इसे लेकर एक ऐप भी लॉन्च किया है।
500 से दो हजार रुपये का जुर्माना होगा
एक जुलाई से आम लोगों पर प्रतिबंधित उत्पादों का इस्तेमाल करने पर 500 से दो हजार रुपये का जुर्माना होगा। वहीं औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पाद, आयात, भंडारण और बिक्री करने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत दंड का प्रावधान होगा। ऐसे लोगों पर 20 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर पांच साल की जेल या दोनों सजा भी दी जा सकती है। उत्पादों को सीज करना, पर्यावरण क्षति को लेकर जुर्माना लगाना, इनके उत्पादन से जुड़े उद्योगों को बंद करने जैसी कार्रवाई भी शामिल है।