Bihar News : ‘अगर पीड़िता ने विरोध नहीं किया तो इसका मतलब ये नहीं रेप के लिए सहमति दी’, पटना हाईकोर्ट ने फैसले में की बड़ी टिप्पणी

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Bihar News : ‘अगर पीड़िता ने विरोध नहीं किया तो इसका मतलब ये नहीं रेप के लिए सहमति दी’, पटना हाईकोर्ट ने फैसले में की बड़ी टिप्पणी

Bihar News : ‘अगर पीड़िता ने विरोध नहीं किया तो इसका मतलब ये नहीं रेप के लिए सहमति दी’, पटना हाईकोर्ट ने फैसले में की बड़ी टिप्पणी

पटना: रुड़की में मां और 6 साल की बेटी से गैंगरेप की खबर सुनते ही पूरा देश दहल उठा। उत्तराखंड (Uttarakhand) के रुड़की में 24 जून को घटी खौफनाक गैंगरेप की घटना (Roorkee Gangrape Case) में एक बड़ा मोड़ आया है। अब यह बात सामने आई है कि इस घटना में छह साल की बच्ची के साथ ही दरिंदगी नहीं हुई, उसकी मां को भी बदमाशों ने अपना शिकार बनाया। बच्ची की मां के साथ भी गैंगरेप का मामला सामने आने के बाद घटना की भयावहता को समझा जा सकता है। चलती कार में बच्ची से रेप का मामला पहले दर्ज किया गया था। पुलिस ने शुरुआत में एक आरोपी बताया। बाद में चार आरोपियों के नाम जोड़े गए। अब कार में लिफ्ट लेने वाली मां के साथ भी रेप का मामला सामने आने के बाद पुलिस की ओर से इसे भी मूल एफआईआर में जोड़ने की बात कही जा रही है। इसी बीच रेप के ही एक मामले में पटना हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है।

पटना हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी
पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर बलात्कार पीड़िता अपराध के दौरान प्रतिरोध नहीं कर पाती तो इसका मतलब ये नहीं है कि उसने रेप के लिए सहमति दी थी। पटना उच्च न्यायालय ने 2015 के एक मामले की सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की। इस केस में पीड़ित महिला को एक कमरे में घसीटा गया और उसके रेप किया गया। न्यायमूर्ति एएम बदर ने निचली अदालत में दोषी पाए गए शख्स की अपील को खारिज करते हुए कहा कि ‘आईपीसी की धारा 375 का प्रावधान यह स्पष्ट करता है कि केवल इसलिए कि एक महिला ऐसे कृत्य का शारीरिक रूप से विरोध नहीं करती है, इसे यौन गतिविधि के लिए सहमति नहीं माना जा सकता है।’
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अदालत ने पीड़िता के बयान में कोई खामी नहीं पाई, जिसे निचली अदालत में अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में पेश किया गया था। पीड़िता, जो अपीलकर्ता के ईंट भट्ठे में काम करने वाली मजदूर थी और जमुई जिले के एक गांव में रहती थी, ने 9 अप्रैल, 2015 को मालिक से मजदूरी मांगी थी। उसे बताया गया कि भुगतान बाद में किया जाएगा और उसी रात, जब पीड़िता अपने घर में खाना बना रही थी, तो आरोपी आया, उसके बेटे का ठिकाना पूछा। बाद में वह उसे खींचकर दूसरे कमरे में ले गया और दरवाजे बंद करने के बाद चुप रहने के लिए उसका मुंह दबाया और उसके साथ दुष्कर्म किया।
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मजदूरी मांगने पर मालिक ने किया था रेप
पीड़िता के शोर मचाने पर ग्रामीण उसे बचाने आए। अगली सुबह एक प्राथमिकी दर्ज की गई और उसने पुलिस के सामने अपराध की जगह की पहचान की। उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि पीड़िता ने अपनी जिरह में कहा था कि उसका पति आजीविका कमाने के लिए स्टेशन से बाहर था और उसका बेटा सिर्फ चार साल का था। अदालत ने कहा कि ‘ऐसी परिस्थितियों में, उसके लिए प्रतिरोध करना संभव नहीं था।’
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दोषी को एससीएसटी एक्ट से किया गया था बरी
अदालत ने निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की जहां अपीलकर्ता को आईपीसी की धारा 376 और 452 के तहत क्रमशः बलात्कार और आपराधिक अतिचार का दोषी ठहराया गया था और 10 साल के कठोर कारावास (आरआई) और 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा दी गई थी। हालांकि आरोपी को चोट पहुंचाने (धारा 323 आईपीसी) आपराधिक धमकी (धारा 506 आईपीसी) और एससी एंड एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत अपराधों के आरोपों से बरी कर दिया गया था।

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