रोपवे हादसाः ‘महिलाएं चीख-चीख कर रोने लगीं, समझ नहीं आ रहा था कि अगले पल क्या होगा’ h3>
अनूप पाण्डेय, ईस्ट दिल्लीः हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के परवाणू टिंबर ट्रेल में फंसने वालों में दिल्ली के विवेक विहार के आनंद गोयल भी थे। उन्होंने बताया कि एक ही परिवार के हम 10 लोग हिमाचल घूमने गए थे। हम सभी आपस के रिश्ते में समधी-समधन हैं और सभी की उम्र 50 से 55 साल के बीच की है। सोमवार को हमलोगों ने 10 बजे परवाणू के मोक्ष होटल चेक आउट किया। इसके बाद नीचे आने के लिए होटल के ही रेप-वे कार में साथ बैठे। तकनीकी खराबी की वजह से रोप-वे कार बीच में रुक गई। इसके बाद हम काफी परेशान हो गए। होटल में बार-बार फोन कर रहे थे, लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही थी। होटल के पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था तक नहीं थी।
‘हमारी जिंदगी के साथ क्या होने वाला है’
उन्होंने बताया कि साथ महिलाएं थीं। महिलाएं चीख-चीख कर रोने लगीं। हमलोग खुद भी बहुत डरे हुए थे, लेकिन बहुत मुश्किल से महिलाओं को हिम्मत दे रहे थे। हमलोगों ने अपनी विडियो बना कर अपने रिश्तेदारों को भेजी। फिर यहां के लोकल अधिकारियों का फोन नंबर इंटरनेट की मदद से खोजकर उन्हें फोन किया। हमलोगों को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अगले पल हमारी जिंदगी के साथ क्या होने वाला है। फिर हम लोगों के पास मदद के लिए कॉल आने लगी। राहत-बचाव की टीम ने एक-एक कर बेल्ट और रस्सी के सहारे नीचे उतरा, जो काफी डरावना था। ऐसा लग रहा था कि क्या पता नीचे सही सलामत उतर पाएंगे या नहीं, क्योंकि हमलोगों में से काफी हॉर्ट, डायबिटीज और बीपी के मरीज हैं। लेकिन सभी लोग सही सलामत उतर पाए।
‘ऐसा लगा जैसे सांसे रुक गईं’
आनंद विहार के रहने वाले गोपाल गुप्ता ने बताया कि कोई 30 से 40 साल के बीच के युवाओं को रस्सी के सहारे नीचे उतारा जाना तो फिर भी संभव है। लेकिन हमसभी लोग 50 से 55 साल के बीच के हैं। कोई कल्पना कर सकता है और हमलोगों ने खुद इसको भोगा है। उन्होंने बताया कि हम काफी डरे हुए थे। छह घंटे तक डायबिटीज के मरीजों के लिए शौच को रोके रखना काफी मुश्किल था। पेट दर्द से फटे जा रहा था। रोप-वे के रुकने के बाद हमलोगों को ऐसा लग रहा था कि सांस रुक रुकने लगी। जब राहत बचाव की टीम पहुंची तो, कोई भी सदस्य रस्सी के सहारे इतनी ऊंचाई से नीचे जाने को तैयार नहीं था। लेकिन हमलोगों ने एक-दूसरे को हिम्मत दी। तब काफी देर के बाद एक- एक करके नींचे आए। उन्होंने बताया कि इतना डरावना पल अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा है। ऊपर वाले का शुक्र है कि हम लोग बच गए।
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‘हमारी जिंदगी के साथ क्या होने वाला है’
उन्होंने बताया कि साथ महिलाएं थीं। महिलाएं चीख-चीख कर रोने लगीं। हमलोग खुद भी बहुत डरे हुए थे, लेकिन बहुत मुश्किल से महिलाओं को हिम्मत दे रहे थे। हमलोगों ने अपनी विडियो बना कर अपने रिश्तेदारों को भेजी। फिर यहां के लोकल अधिकारियों का फोन नंबर इंटरनेट की मदद से खोजकर उन्हें फोन किया। हमलोगों को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अगले पल हमारी जिंदगी के साथ क्या होने वाला है। फिर हम लोगों के पास मदद के लिए कॉल आने लगी। राहत-बचाव की टीम ने एक-एक कर बेल्ट और रस्सी के सहारे नीचे उतरा, जो काफी डरावना था। ऐसा लग रहा था कि क्या पता नीचे सही सलामत उतर पाएंगे या नहीं, क्योंकि हमलोगों में से काफी हॉर्ट, डायबिटीज और बीपी के मरीज हैं। लेकिन सभी लोग सही सलामत उतर पाए।
‘ऐसा लगा जैसे सांसे रुक गईं’
आनंद विहार के रहने वाले गोपाल गुप्ता ने बताया कि कोई 30 से 40 साल के बीच के युवाओं को रस्सी के सहारे नीचे उतारा जाना तो फिर भी संभव है। लेकिन हमसभी लोग 50 से 55 साल के बीच के हैं। कोई कल्पना कर सकता है और हमलोगों ने खुद इसको भोगा है। उन्होंने बताया कि हम काफी डरे हुए थे। छह घंटे तक डायबिटीज के मरीजों के लिए शौच को रोके रखना काफी मुश्किल था। पेट दर्द से फटे जा रहा था। रोप-वे के रुकने के बाद हमलोगों को ऐसा लग रहा था कि सांस रुक रुकने लगी। जब राहत बचाव की टीम पहुंची तो, कोई भी सदस्य रस्सी के सहारे इतनी ऊंचाई से नीचे जाने को तैयार नहीं था। लेकिन हमलोगों ने एक-दूसरे को हिम्मत दी। तब काफी देर के बाद एक- एक करके नींचे आए। उन्होंने बताया कि इतना डरावना पल अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा है। ऊपर वाले का शुक्र है कि हम लोग बच गए।