Amazon latest news: देश में कहीं भी सामान डिलीवर कर सकती है ऐमजॉन, जानिए कैसे हुआ यह चमत्कार h3>
उपासना वर्मा, नई दिल्लीः ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते चलन के बीच ऐमजॉन (Amazon) लगातार इस कोशिश में लगी हुई है कि दूर दराज इलाकों में भी ऑर्डर समय से लोगों को डिलीवर हो जाए। इन्हीं कोशिशों की मदद से आज ऐमजॉन इंडिया (Amazon India) देश के दूर दराज इलाकों में भी 100 फीसदी पिन कोड पर सामान डिलीवर करने में सक्षम है। ऐमजॉन इंडिया के लास्ट माइल ऑपरेशंस डायरेक्टर डॉ. करुणा शंकर पांडे ने एनबीटी संग खास बातचीत में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि ऐमजॉन के लास्ट माइल डिलीवरी प्रोग्रामों के चलते यह मुमकिन हो सकता है। इन प्रोग्रामों के जरिए ऑनलाइन ऑर्डर की प्रक्रिया से जुड़े छोटे-छोटे से स्टेप से लेकर बड़े से बड़े पहलुओं पर काम किया गया है। मसलन, ऑर्डर के लिए दिए गए अड्रेस में होने वाली गलतियों को दूर करने के प्रयास से लेकर डिलीवरी पार्टनर्स की उपलब्धता, इन्फ्रा और डिलीवरी नेटवर्क की मजबूती।
पांडे ने बताया कि आज ऐमजॉन के पास 15 राज्यों में 60 से ज्यादा फुलफिलमेंट सेंटर्स हैं। जो सेलर्स को 43 करोड़ क्यूबिक फीट स्टोरेज स्पेस की सुविधा दे रहे हैं। 19 राज्यों में सॉर्टेशन सेंटर्स भी हैं। 1850 से ज्यादा ऐमजॉन के मालिकाना हक वाले और पार्टनरशिप में शुरू डिलीवरी स्टेशंस के साथ मिलकर लास्ट माइल डिलीवरी नेटवर्क तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि हम हमेशा से देश के दूर दराज इलाकों तक डिलीवरी पहुंचाना चाहते थे। इस डिलीवरी नेटवर्क ने यह सपना पूरा करने में मदद की है। आज ऐमजॉन उत्तर में लेह-लद्दाख से लेकर उत्तर पूर्व के चम्फाई, लामडिंग और मोकोकचुंग जैसे सुदूर इलाकों में बसे जिलों तक डिलीवरी पहुंचा रही है। दक्षिण में भी अंडमान निकोबार जैसे द्वीपसमूह से लेकर केरल, कर्नाटक के टियर-3 और टियर-4 शहरों में भी ऑर्डर डिलीवर होना काफी आसान हो गया है। इस मुकाम को हासिल करने में डिलीवरी सर्विस पार्टनर्स, ट्रकिंग पार्टनर, भारतीय रेल के साथ साझेदारी और टेक्नॉलजी का भी बड़ा योगदान रहा है।
अंडमान एंड निकोबार में भी डिलीवरी
अंडमान और निकोबार में डिलीवरी से जुड़ी समस्याओं पर उन्होंने कहा कि यह द्वीपसमूह भारत के मुख्य क्षेत्रों से कटा हुआ है। वहां बीते कुछ सालों में स्थिति सुधरी तो है मगर इंटरनेट और ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी अब भी चुनौती बने हुए हैं। कंपनी आगे भी टेक्नॉलजी, लॉजिस्टिक्स और इंफ्रा में निवेश करना जारी रखेगी ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों तक डिलीवरी पहुंचाई जा सके। इस उपायों से ऐमजॉन को तो फायदा हुआ ही है साथ ही बड़ी संख्या में खासकर महिलाओं को रोजगार के मौके मिले हैं।
मिसाल के तौर पर सबीहा मुल्ला हमसे 2015 में अंडमान में बतौर डिलीवरी सर्विस पार्टनर जुड़ीं। सबीहा चाहती थीं कि वहां के लोगों के पास लोकल दुकानों के अलावा खरीदारी के और भी विकल्प मौजूद हों। पिछले साल 7 सालों में सबीहा ने जितना अनुमान था उससे भी ज्यादा काम कर किया है। सबीहा को अंडमान और निकोबार में बिजनेस के लिहाज से काफी संभावनाएं नजर आती हैं। उनका कहना है कि पोर्ट ब्लेयर में अगले कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट चालू होते ही यहां बिजनेस के और मौके खुल जाएंगे। मैं ऐमजॉन की मदद से इस क्षेत्र में इन अवसरों को भुनाना चाहती हूं। उन्होंने कहा कि सबीहा के अलावा और भी कई ऐसी महिलाएं हैं जो हमारे लास्ट माइल डिलीवरी प्रोग्रामों से जुड़ी हुई हैं और अपने घर परिवार के लिए सहारा बन रही हैं।
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अंडमान एंड निकोबार में भी डिलीवरी
अंडमान और निकोबार में डिलीवरी से जुड़ी समस्याओं पर उन्होंने कहा कि यह द्वीपसमूह भारत के मुख्य क्षेत्रों से कटा हुआ है। वहां बीते कुछ सालों में स्थिति सुधरी तो है मगर इंटरनेट और ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी अब भी चुनौती बने हुए हैं। कंपनी आगे भी टेक्नॉलजी, लॉजिस्टिक्स और इंफ्रा में निवेश करना जारी रखेगी ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों तक डिलीवरी पहुंचाई जा सके। इस उपायों से ऐमजॉन को तो फायदा हुआ ही है साथ ही बड़ी संख्या में खासकर महिलाओं को रोजगार के मौके मिले हैं।
मिसाल के तौर पर सबीहा मुल्ला हमसे 2015 में अंडमान में बतौर डिलीवरी सर्विस पार्टनर जुड़ीं। सबीहा चाहती थीं कि वहां के लोगों के पास लोकल दुकानों के अलावा खरीदारी के और भी विकल्प मौजूद हों। पिछले साल 7 सालों में सबीहा ने जितना अनुमान था उससे भी ज्यादा काम कर किया है। सबीहा को अंडमान और निकोबार में बिजनेस के लिहाज से काफी संभावनाएं नजर आती हैं। उनका कहना है कि पोर्ट ब्लेयर में अगले कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट चालू होते ही यहां बिजनेस के और मौके खुल जाएंगे। मैं ऐमजॉन की मदद से इस क्षेत्र में इन अवसरों को भुनाना चाहती हूं। उन्होंने कहा कि सबीहा के अलावा और भी कई ऐसी महिलाएं हैं जो हमारे लास्ट माइल डिलीवरी प्रोग्रामों से जुड़ी हुई हैं और अपने घर परिवार के लिए सहारा बन रही हैं।
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