satna: पटवारियों ने गायब कर दी 2271 जल संरचनाएं | satna: 2271 water structures disappeared by patwaris | Patrika News

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satna: पटवारियों ने गायब कर दी 2271 जल संरचनाएं | satna: 2271 water structures disappeared by patwaris | Patrika News


satna: पटवारियों ने गायब कर दी 2271 जल संरचनाएं | satna: 2271 water structures disappeared by patwaris | Patrika News

यह है मामला भारत सरकार ने लघु सिंचाई गणना एवं जल निकायों की गणना वर्ष 2017-18 के संदर्भ में कराया था। सर्वे और गणना का काम राजस्व विभाग के पटवारियों ने किया था। भारत सरकार ने मध्यप्रदेश शासन को अवगत कराया है कि जल निकायों की गणना में प्रदेश से सिर्फ 4989 जल निकायों का ही डाटा प्राप्त हुआ है। जबकि रिमोट सेंसिंग सर्वे के आधार पर प्रदेश में जल निकायों की संख्या लगभग 97334 है। इस तरह से पटवारियों द्वारा किये गये सर्वे में प्रदेश की 92345 जल निकाय गायब है। इस पर गंभीर आपत्ति जाहिर की गई। इसके बाद रिमोट सेंसिंग का डाटा देते हुए इसके आधार पर नये सिरे से सर्वे कराने के निर्देश कलेक्टर को दिये गये हैं।

रीवा संभाग में यह है गड़बड़झाला रीवा संभाग की गणना में भी बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। सतना जिले में पटवारियों ने अपने सर्वे में जिले में 54 जल निकाय बताए हैं जबकि रिमोट सेंसिंग डाटा में यह संख्या 2325 आई है। इस तरह से सतना जिले में 2271 जननिकाय गायब पाए गये। रीवा जिले में 47 जल निकाय बताए गये जबकि रिमोट सेंसिंग में 600 जल निकाय दिखे हैं। यहां 553 जल निकाय गायब है। सिंगरौली जिले में 115 जल निकाय पटवारी सर्वे में बताए गए थे जबकि रिमोट सेंसिंग में जल निकायों की संख्या 1520 पाई गई है। यहां भी 1405 जल निकाय गायब मिले हैं। इसी तरह से सीधी जिले में पटवारी सर्वे में 23 जल निकाय बताए गए हैं जबकि रिमोट सेंसिंग में 1660 जल निकाय बताए गए हैं। यहां 1637 जल निकाय गायब मिले हैं।

इनकी होना है गणना लघु सिंचाई संगणना में शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाकों के जल स्त्रोत तालाब, हौज, झील, जलाशय, जल संरक्षण योजना, जल रिसाव हौज, चेकडैम आदि की जानकारी दर्ज की जाएगी। इसके लिये रिमोट सेंसिंग से मिले डाटा की एक्सल शीट भेजी गई है। जिसमें जल स्रोतों का पूरा विवरण दिया गया है। पटवारियों को अब इसके अधार पर नये सिरे से सर्वे कर जानकारी तैयार करनी होगी। अब इस जानकारी को क्रास चेक किया जाएगा। इसके लिये कलेक्टर को निरीक्षण अधिकारी तैनात करने कहा गया है। अब यह भी देखा जाएगा कि गणना करने वाले पटवारी ने कितनी गलती की है और कितने सुधार कराए हैं।

गड़बड़झाला एक नजर में जिला – पटवारी सर्वे रिपोर्ट – रिमोट सेंसिंग में जल स्रोत- अंतर सतना – 54 – 2325 – 2271 रीवा – 47 – 600 – 553 सिंगरौली – 115 – 1520 – 1405

सीधी – 23 – 1660 – 1637 यह है लघु सिंचाई संगणना हमारे देश में जिस तरह आबादी की गणना होती है उसी तरह जल संसाधनों की क्षमता की भी गणना होती है। मध्यम व बड़ी सिंचाई परियोजनाएं तैयार होने पर इनके रिकार्ड अपडेट कर लिये जाते हैं। लेकिन लघु एवं सूक्ष्म परियोजनाओं की सिंचाई क्षमता का नियमित रिकार्ड रख पाना संभव नहीं हो पाता है क्योंकि कुएं, नलकूप तलाब आदि स्रोत संस्थागत या निजी तौर पर नियमित बनते रहते हैं। ऐसे में हर 5 साल में लघु सिंचाई योजनाओं की गणना की जाती है। इन योजनाओं को पांच श्रेणियों में अर्थात खुदे हुए कुंए, उथले नलकूप, गहरे नलकूप, सतही प्रवाह योजनाएं, सतही लिफ्ट योजनाओं के अंतर्गत बांटा गया है। लघु सिंचाई परियोजनाओं की पहली गणना सन 1986-87 में की गई।





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