Monsoon update: एक झटके में निपट जाएगी महंगाई, बिजली संकट और गर्मी! यहां जानिए क्या है वजह

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Monsoon update: एक झटके में निपट जाएगी महंगाई, बिजली संकट और गर्मी! यहां जानिए क्या है वजह

Monsoon update: एक झटके में निपट जाएगी महंगाई, बिजली संकट और गर्मी! यहां जानिए क्या है वजह

नई दिल्ली: मॉनसून ने शनिवार को केरल में दस्तक (monsoon arrived in Kerala) दे दी है। मौसम विभाग (India Meteorological Department) का इस बार मॉनसून सामान्य से तीन दिन पहले ही आ गया। इससे देश में इस बार अच्छी बारिश होने की संभावना है। माना जा रहा है इससे खानेपीने की चीजों के दाम (food inflation) घटेंगे। देश में महंगाई कई महीनों के रेकॉर्ड पर है। इसकी मुख्य वजह तेल और खानेपीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी है। महंगाई के साथ ही बारिश से लोगों को भीषण गर्मी से भी निजात मिलेगी और साथ ही बिजली की मांग में भी गिरावट आएगी। मार्च और अप्रैल में भीषण गर्मी के कारण बिजली की खपत बढ़ गई थी और कई राज्यों में बिजली का संकट पैदा हो गया था।

अमूमन मॉनसून एक जून को केरल पहुंचता है और जुलाई के दूसरे हफ्ते तक पूरे देश में फैल जाता है। देश की आधी से अधिक खेती मॉनसूनी बारिश पर निर्भर है। आईएमडी ने कहा कि 29 मई को साउथवेस्ट मॉनसून दक्षिणी अरब सागर के बाकी हिस्सों, लक्षद्वीप, केरल के अधिकांश हिस्सों, तमिलनाडु के कुछ दक्षिणी हिस्सों, मन्नार की खाड़ी के कुछ हिस्सों और बंगाल की खाड़ी के साउथवेस्ट में फैल चुका है। अगले तीन से चार दिन में यह केरल और तमिलनाडु के बाकी हिस्सों, कर्नाटक के कुछ हिस्सों और पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुंच जाएगा।

लगातार चौथे साल सामान्य रहेगा मॉनसून
आईएमडी ने देश में लगातार चौथी बार मॉनसून के सामान्य रहने की भविष्यवाणी की है। यह खेती के लिए अच्छी खबर है और इससे महंगाई में कमी आने की उम्मीद है। देश में रिटेल महंगाई (retail inflation) अप्रैल में 7.79% पहुंच गई जो इसका आठ साल का उच्चतम स्तर है। तेल और खाने-पीने की चीजों की कीमत में तेजी से महंगाई बेकाबू हुई है। देश में सालभर में होने वाली कुल बारिश में मॉनसूनी बारिश का योगदान 74.9 फीसदी है। इसका इकॉनमी के लिए खास महत्व है क्योंकि इससे ग्रामीण इलाकों में मांग में तेजी आती है।

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अच्छे मॉनसून से किसानों की आय बढ़ती है और ग्रामीण इलाकों में कंज्यूमर गुड्स, गोल्ड, कार, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर और फार्म इक्विपमेंट्स की मांग बढ़ जाती है। साथ ही पेस्टीसाइड्स, फर्टिलाइजर्स और बीजों की मांग में भी इजाफा होता है। यानी कुल मिलाकर इकॉनमी को ओवरऑल बूस्ट मिलता है। हाल के वर्षों में सामान्य मॉनसून से एग्रीकल्चर सेक्टर ने अच्छा प्रदर्शन किया है जबकि महामारी के दौरान इकॉनमी के दूसरे सेक्टर्स पर काफी असर पड़ा है। वित्त वर्ष 2021 और 2022 में एग्रीकल्चर, फोरेस्ट्री और फिशिंग में 3.3 फीसदी की तेजी आई। वित्त वर्ष 2021 में इकॉनमी में 6.6 फीसदी गिरावट आई जबकि वित्त वर्ष 2022 में इसमें 8.9 फीसदी की तेजी आई।

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