Navjot Singh Sidhu Surrender: 1988 के ‘रोड रेज’ केस में नवजोत सिंह सिद्धू ने पटियाला कोर्ट में क‍िया सरेंडर

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Navjot Singh Sidhu Surrender: 1988 के ‘रोड रेज’ केस में नवजोत सिंह सिद्धू ने पटियाला कोर्ट में क‍िया सरेंडर

Navjot Singh Sidhu Surrender: 1988 के ‘रोड रेज’ केस में नवजोत सिंह सिद्धू ने पटियाला कोर्ट में क‍िया सरेंडर

चंडीगढ़: पट‍ियाला: कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को यहां एक अदालत में आत्मसमर्पण किया। 1988 के रोड-रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से उन्हें एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को उन्‍होंने सरेंडर क‍िया। दोपहर में वह नवतेज सिंह चीमा सहित पार्टी के कुछ नेताओं के साथ जिला अदालत पहुंचे। चीमा सिद्धू को एसयूवी से कोर्ट तक ले गए। कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के मीडिया सलाहकार सुरिंदर दल्ला ने बताया क‍ि उन्‍होंने (नवजोत सिंह सिद्धू) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। वह न्यायिक हिरासत में है। मेडिकल जांच और अन्य कानूनी प्रक्रियाएं अपनाई जाएंगी।

इससे पहले शुक्रवार की सुबह कुछ समर्थक सिद्धू के आवास पर पहुंचे थे। पटियाला जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नरिंदर पाल लाली ने गुरुवार रात पार्टी समर्थकों को एक संदेश में कहा था कि सिद्धू सुबह 10 बजे अदालत पहुंचेंगे। उन्होंने उनसे सुबह करीब साढ़े नौ बजे अदालत परिसर पहुंचने का आग्रह किया था। क्रिकेटर से नेता बनीं नवजोत कौर सिद्धू गुरुवार रात पटियाला स्थित आवास पर पहुंची थीं।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रोड रेज मामले में सिद्धू को एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और कहा था कि अपर्याप्त सजा देने में किसी भी तरह की अनुचित सहानुभूति न्याय प्रणाली को और नुकसान पहुंचाएगी और कानून की प्रभावशीलता में जनता के विश्वास को कमजोर करेगी। रोड रेज की घटना में 65 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सिद्धू ने ट्वीट किया था कि वह कानून का सम्‍मान करते हैं।

यह है पूरा मामला

सिद्धू और उनके सहयोगी रूपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में शेरांवाला गेट क्रॉसिंग के पास एक सड़क के बीच में खड़ी एक जिप्सी में थे। उस समय गुरनाम सिंह और दो अन्य लोग पैसे निकालने के लिए बैंक जा रहे थे। जब वे चौराहे पर पहुंचे तो मारुति कार चला रहे गुरनाम सिंह ने जिप्सी को सड़क के बीच में पाया और सिद्धू और संधू को इसे हटाने के लिए कहा। इससे दोनों पक्षों में बहस हो गई और बात हाथापाई तक पहुंच गई। गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई।

निचली अदालत ने सिद्धू को हत्या के आरोपों से कर दिया था बरी

सितंबर 1999 में निचली अदालत ने सिद्धू को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया था। हालांकि, हाई कोर्ट ने फैसले को उलट दिया और दिसंबर 2006 में सिद्धू और संधू को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया। उन्हें तीन साल के कारावास की सजा सुनाई थी और उन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।

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