MGNREGA- सबसे कम मजदूरी देने में सबसे आगे है यह राज्य, देखें रिपोर्ट | MGNREGA Madhya Pradesh is most stingy in paying wages | Patrika News h3>
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ‘मनरेगा’ के तहत एक वर्ष में 100 दिनों के काम की गारंटी दी जाती है। देश में जहां रोजमर्रा की चीजें महंगी होती जा रही है, उस हिसाब से मजदूरी में इजाफा नहीं हो रहा है। इसके अलावा देश में सबसे अधिक मजदूरी देने वाला हरियाणा है, यहां 331 रुपए प्रतिदिन मजदूरी मिलती है। इसके अलावा गोवा राज्य ऐसा है, जो 2022-23 में ज्यादा मजदूरी बढ़ाने में सबसे आगे रहा। इसने 7.4 प्रतिशत बढ़ाए थे।
सरकार ने हाल ही में मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी के राज्यवार आंकड़े जारी किए गए थे। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्रालय हर साल के लिए निर्धारित मनरेगा मजदूरी की रिपोर्ट जारी करता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 34 में से 21 ऐसे राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश हैं, जिन्होंने पिछले वर्ष की तुलना में 5 फीसदी से कम की बढ़ोतरी की है। इसके साथ ही 10 राज्य ऐसे भी हैं, जिन्होंने 5 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी की है। इसके अलावा सबसे अधिक चौंकाने वाले आंकड़े मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा के हैं, जिन्होंने पिछले वर्ष के आंकड़ों में कुछ बदलाव नहीं किया है।
सिर्फ 11 रुपए बढ़ाई मजदूरी
मध्यप्रदेश राष्ट्रीय औसत महंगाई में भी सबसे आगे हैं। देश में खुदरा महंगाई दर 7.9 फीसदी है, एमपी में इसकी दर 9.10 हैं। भारत में महंगाई का अनुमान फूड, फ्यूल और कोल के मापदंडों को आधार बनाकार किया जाता है। यहां पेट्रोल लगभग 118 रुपए है और डीजल 100 रुपए के पार है। इसके अलावा रोजमर्रा में इस्तेमाल होनी वाली चीजों जैसे खाद पदार्थों, तेल, घी, यात्रा करना भी मंहगा हुआ है। मनरेगा की मजदूरी में पिछले वित्तीय वर्ष की अपेक्षा में 5.7 फीसदी यानी 11 रुपए का ही इजाफा हुआ। यानी सरकार ने कुल कार्य दिवस के हिसाब से 1100 रुपए की वृद्धि की है जबकि एक माह के खर्चों में इससे ज्यादा बोझ बढ़ा है।
मनरेगा मजदूरी तय करने में पारदर्शिता नहीं
देश के अलग-अलग राज्यों में मनरेगा की मजदूरी के उतार चढ़ाव के पीछे कृषि मजदूरी इंडेक्स जिम्मेदार है। इस इंडेक्स में कृषि संबंधित और ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई दर को आंका जाता है। हालांकि इसको लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि केन्द्र कैसे बढ़ी महंगाई के बाद भी राज्यों के मनरेगा मजदूरी बढ़ाने की सिफारिश नहीं करता है। इस रिपोर्ट में कई राज्य ऐसे भी है जो स्वयं द्वारा तय न्यूनतम दर के हिसाब से मनरेगा की मजदूरी का भुगतान नहीं कर पाते हैं। ऐसा ही हाल मध्यप्रदेश, राजस्थान, यूपी और छत्तीसगढ़ जैसे अधिकतर राज्यों का हैं. जो अपने द्वारा निर्धारित अकुशल श्रमिकों की मजदूरी नही देते हैं।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ‘मनरेगा’ के तहत एक वर्ष में 100 दिनों के काम की गारंटी दी जाती है। देश में जहां रोजमर्रा की चीजें महंगी होती जा रही है, उस हिसाब से मजदूरी में इजाफा नहीं हो रहा है। इसके अलावा देश में सबसे अधिक मजदूरी देने वाला हरियाणा है, यहां 331 रुपए प्रतिदिन मजदूरी मिलती है। इसके अलावा गोवा राज्य ऐसा है, जो 2022-23 में ज्यादा मजदूरी बढ़ाने में सबसे आगे रहा। इसने 7.4 प्रतिशत बढ़ाए थे।
सरकार ने हाल ही में मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी के राज्यवार आंकड़े जारी किए गए थे। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्रालय हर साल के लिए निर्धारित मनरेगा मजदूरी की रिपोर्ट जारी करता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 34 में से 21 ऐसे राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश हैं, जिन्होंने पिछले वर्ष की तुलना में 5 फीसदी से कम की बढ़ोतरी की है। इसके साथ ही 10 राज्य ऐसे भी हैं, जिन्होंने 5 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी की है। इसके अलावा सबसे अधिक चौंकाने वाले आंकड़े मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा के हैं, जिन्होंने पिछले वर्ष के आंकड़ों में कुछ बदलाव नहीं किया है।
सिर्फ 11 रुपए बढ़ाई मजदूरी
मध्यप्रदेश राष्ट्रीय औसत महंगाई में भी सबसे आगे हैं। देश में खुदरा महंगाई दर 7.9 फीसदी है, एमपी में इसकी दर 9.10 हैं। भारत में महंगाई का अनुमान फूड, फ्यूल और कोल के मापदंडों को आधार बनाकार किया जाता है। यहां पेट्रोल लगभग 118 रुपए है और डीजल 100 रुपए के पार है। इसके अलावा रोजमर्रा में इस्तेमाल होनी वाली चीजों जैसे खाद पदार्थों, तेल, घी, यात्रा करना भी मंहगा हुआ है। मनरेगा की मजदूरी में पिछले वित्तीय वर्ष की अपेक्षा में 5.7 फीसदी यानी 11 रुपए का ही इजाफा हुआ। यानी सरकार ने कुल कार्य दिवस के हिसाब से 1100 रुपए की वृद्धि की है जबकि एक माह के खर्चों में इससे ज्यादा बोझ बढ़ा है।
मनरेगा मजदूरी तय करने में पारदर्शिता नहीं
देश के अलग-अलग राज्यों में मनरेगा की मजदूरी के उतार चढ़ाव के पीछे कृषि मजदूरी इंडेक्स जिम्मेदार है। इस इंडेक्स में कृषि संबंधित और ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई दर को आंका जाता है। हालांकि इसको लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि केन्द्र कैसे बढ़ी महंगाई के बाद भी राज्यों के मनरेगा मजदूरी बढ़ाने की सिफारिश नहीं करता है। इस रिपोर्ट में कई राज्य ऐसे भी है जो स्वयं द्वारा तय न्यूनतम दर के हिसाब से मनरेगा की मजदूरी का भुगतान नहीं कर पाते हैं। ऐसा ही हाल मध्यप्रदेश, राजस्थान, यूपी और छत्तीसगढ़ जैसे अधिकतर राज्यों का हैं. जो अपने द्वारा निर्धारित अकुशल श्रमिकों की मजदूरी नही देते हैं।