यहां घर नहीं, व्यवस्था जर्जर है…जानिए गाजियाबाद में कितनी इमारतें रहने लायक नहीं

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यहां घर नहीं, व्यवस्था जर्जर है…जानिए गाजियाबाद में कितनी इमारतें रहने लायक नहीं

यहां घर नहीं, व्यवस्था जर्जर है…जानिए गाजियाबाद में कितनी इमारतें रहने लायक नहीं

किरनपाल राणा, गाजियाबाद: दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग शहरों में पिछले कुछ साल में जर्जर इमारतों के गिरने से लोगों की मौत के कई मामले सामने आ चुके हैं, हर घटना के बाद गाजियाबाद जिला प्रशासन भी एक्टिव होता है और यहां जर्जर मकानों चिह्नित कर उचित कार्रवाई की बात कही जाती है, लेकिन इन पर काम कितनी गंभीरता से होता है इसका अंदाजा बुधवार को आई नगर निगम की एक सर्वे रिपोर्ट से लगाया जा सकता है, जिसमें गाजियाबाद में 122 भवन और आवासीय टावरों को जर्जर बताया गया है। इसमें कहा गया है कि ये इमारतें खतरनाक हैं और कभी भी गिर सकती हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि इतने साल से इमारतें बदहाल हैं तो इन्हें खाली कराने के लिए किसका इंतजार किया जा रहा है।

हजारों की संख्या में रहते हैं लोग
दरअसल, गाजियाबाद नगर निगम ने शहर के 122 मकानों और आवासीय टावर को जर्जर घोषित करते हुए इसकी रिपोर्ट केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को भेजी है। नगर निगम द्वारा जोन वार कराए गए सर्वे के आधार पर बनाई गई रिपोर्ट में कहा गया है कि यह निर्माण इस स्थिति में हैं जो कभी भी ढह सकते हैं। इससे इनमें रहने वालों की जान और माल का भी खतरा हो सकता है। रिपोर्ट में मकान और आवासीय टावर के अलावा जीडीए द्वारा तैयार की गई तुलसी निकेतन कॉलोनी का नाम भी शामिल है। अकेले इस कॉलोनी में ढाई हजार से ज्यादा मकान जर्जर हो चुके हैं। इसकी सूचना जीडीए को भी दी गई है।

हर बार नगर निगम का कहना है नगर निगम एक्ट की धारा 231 के तहत इन जर्जर मकानों में रह रहे लोगों को फिर से नोटिस जारी कर अपने इन मकानों की मरम्मत कराने के लिए या फिर उन्हें खाली करने के लिए कहा जाएगा। ताकि समय रहते हादसे को टाला जा सके। इस धारा के अंतर्गत हर बार जर्जर मकानों में रह रहे लोगों को निगम नोटिस जारी करता है। अपर नगर आयुक्त अरुण कुमार यादव का कहना है की इस बार जर्जर मकानों और आवासीय टावर आदि की जो रिपोर्ट तैयार की गई है उसकी कॉपी केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को भी भेजी गई है। हालांकि कार्रवाई करने का अधिकार नगर निगम को ही है ।

क्या कहते हैं नगर आयुक्त
वहीं, नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर का कहना है की तुलसी निकेतन कॉलोनी के जर्जर मकानों को लेकर जीडीए को इस संबंध में पहले ही पत्र लिखा गया है। इस कॉलोनी में करीब ढाई हजार मकान हैं। जीडीए 90 के दशक में बनाकर इसे बेच चुका है, मगर अब वह जर्जर अवस्था में हैं। इसके लिए जीडीए से इन्हें खाली कराने या इनकी मरम्मत कराने के लिए कहा गया है।

कहां कितने हैं जर्जर मकान

– वाल्मीकि कुंज में 15
-नंद ग्राम डी और बी ब्लॉक में 11,
-वैंबे आवासीय योजना में 39
– उत्तर प्रदेश पश्चिमांचल विद्युत विभाग के वैशाली स्थित करीब 12 भवन और अपार्टमेंट
– जीडीए द्वारा निर्मित अलकनंदा, मंदाकिनी टावर और सरयू टावर के जर्जर भवन

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