Indian Railway news: रेलवे ने 19 लापरवाह अफसरों को किया जबरन रिटायर, 11 महीने में 96 अधिकारियों की हो चुकी है छुट्टी h3>
नई दिल्ली: काम में कोताही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ रेलवे (Railway) कड़ी कार्रवाई कर रहा है। इसी कड़ी में बुधवार को 19 सीनियर अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया गया। इनमें से दस अधिकारी जॉइंट सेक्रेटरी लेवल के हैं। जुलाई में रेल मंत्री बनने के बाद अश्विनी वैष्णव (Railway Minister Ashwini Vaishnaw) ने अधिकारियों से साफ कहा था कि काम करो या घर बैठो। उनके 11 महीने के कार्यकाल में 96 अधिकारियों को जबरन रिटायर किया जा चुका है। रेलवे ने सीसीएस रूल 56(J) के तहत यह कार्रवाई की है। इस नियम के तहत किसी सरकारी कर्मचारी को न्यूनतम तीन महीने का नोटिस देकर या इस अवधि का वेतन देकर रिटायर किया जा सकता है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे कर्मचारियों से निजात पाना चाहती है और इसी प्रयास के तहत यह कार्रवाई की गई है। जिन 19 अधिकारियों को रिटायर किया गया है उनमें इलेक्ट्रिकल एवं सिग्नल सेवाओं के चार-चार अधिकारी, मेडिकल एवं सिविल से तीन-तीन अधिकारी, कार्मिक से दो, स्टोर, यातायात एवं मेकेनिकल से एक-एक अधिकारी शामिल हैं। ये अधिकारी रेलवे के उपक्रमों जैसे पश्चिम रेलवे, मध्य रेलवे, पूर्व रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर रेलवे, सैंडकोच फैक्टरी कपूरथला, माडर्न कोच फैक्टरी, रायबरेली आदि से हैं।
11 महीने में 96 की छुट्टी
इससे पहले भी टीओआई ने 14 अप्रैल को खबर दी थी कि अश्विनी वैष्णव के रेल मंत्री बनने के बाद नौ महीने में 77 अधिकारियों को वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृति) लेने के लिए बाध्य किया गया। इनमें महाप्रबंधक एवं सचिव जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। मूलभूत नियमावली (एफआर) और सीसीएस (पेंशन) नियमावली, 1972 में समयपूर्व रिटायर से जुड़े प्रावधानों के तहत उपयुक्त प्राधिकार को किसी सरकारी कर्मी को सेवानिवृत करने का पूर्ण अधिकार है यदि ऐसा करना जन हित में जरूरी है। रेलवे ने 2019 में भी 50 साल से अधिक उम्र के 32 अधिकारियों को समय से पहले रिटायर कर दिया था।
रेलवे अधिकारियों पर परफॉर्म करने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। जुलाई में रेल मंत्री बनने के बाद अश्विनी वैष्णव ने अधिकारियों से साफ कहा था कि काम करो या घर बैठो। रेल मंत्री का साफ कहना है कि ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है जो काम नहीं करते हैं और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उनका कहना है कि ऐसे अधिकारियों को वीआरएस ले लेना चाहिए, नहीं तो उन्हें बाहर का दरवाजा दिखा दिया जाएगा। जिन अधिकारियों का सकारात्मक रवैया है और जो काम करने को तैयार हैं, उन्हें इनाम दिया जा रहा है।
कामकाज पर करीबी नजर
केवल जनवरी में 11 अधिकारियों ने वीआरएस ले लिया था। रेलवे के विभिन्न जोन में काम करने वाले सीनियर इंजीनियर्स ने कहा कि उन पर परफॉर्म करने का दबाव बढ़ गया है और मंत्रालय ने उनके लिए मुश्किल टारगेट रखे हैं। सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ महीनों से रेलवे में काफी चीजें बदल गई हैं। ऊपर स्तर से चीजों पर करीबी नजर रखी जा रही है। कुछ लोगों ने इसलिए भी वीआरएस लिया क्योंकि उन्हें ड्यू प्रमोशन नहीं मिला। एक मामले भी मामला है जिसमें रेल मंत्री ने ही अधिकारी को रिजाइन देने को कहा और वह लंबी छुट्टी पर चले गए।
फंडामेंटल रूट (एफआर) के सेक्शन-56 (जे) के तहत सरकार किसी भी अधिकारी को नौकरी से निकाल सकती है। इस प्रक्रिया के तहत रिटायर किए गए अधिकारी को दो से तीन महीने का वेतन दिया जाता है। पेंशन व अन्य देय का लाभ भी दिया जाता है। दूसरी ओर वीआरएस योजना में कर्मचारी को नौकरी के बचे हुए साल के हिसाब से प्रति वर्ष दो माह के हिसाब से वेतन दिया जाता है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति में यह लाभ नहीं मिलता है। आगे भी वीआरएस देने के लिए अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि जून-जुलाई में वीआरएस पर भेजे जाने वाले अधिकारियों की सूची तैयार हो रही है।
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आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे कर्मचारियों से निजात पाना चाहती है और इसी प्रयास के तहत यह कार्रवाई की गई है। जिन 19 अधिकारियों को रिटायर किया गया है उनमें इलेक्ट्रिकल एवं सिग्नल सेवाओं के चार-चार अधिकारी, मेडिकल एवं सिविल से तीन-तीन अधिकारी, कार्मिक से दो, स्टोर, यातायात एवं मेकेनिकल से एक-एक अधिकारी शामिल हैं। ये अधिकारी रेलवे के उपक्रमों जैसे पश्चिम रेलवे, मध्य रेलवे, पूर्व रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर रेलवे, सैंडकोच फैक्टरी कपूरथला, माडर्न कोच फैक्टरी, रायबरेली आदि से हैं।
11 महीने में 96 की छुट्टी
इससे पहले भी टीओआई ने 14 अप्रैल को खबर दी थी कि अश्विनी वैष्णव के रेल मंत्री बनने के बाद नौ महीने में 77 अधिकारियों को वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृति) लेने के लिए बाध्य किया गया। इनमें महाप्रबंधक एवं सचिव जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। मूलभूत नियमावली (एफआर) और सीसीएस (पेंशन) नियमावली, 1972 में समयपूर्व रिटायर से जुड़े प्रावधानों के तहत उपयुक्त प्राधिकार को किसी सरकारी कर्मी को सेवानिवृत करने का पूर्ण अधिकार है यदि ऐसा करना जन हित में जरूरी है। रेलवे ने 2019 में भी 50 साल से अधिक उम्र के 32 अधिकारियों को समय से पहले रिटायर कर दिया था।
रेलवे अधिकारियों पर परफॉर्म करने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। जुलाई में रेल मंत्री बनने के बाद अश्विनी वैष्णव ने अधिकारियों से साफ कहा था कि काम करो या घर बैठो। रेल मंत्री का साफ कहना है कि ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है जो काम नहीं करते हैं और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उनका कहना है कि ऐसे अधिकारियों को वीआरएस ले लेना चाहिए, नहीं तो उन्हें बाहर का दरवाजा दिखा दिया जाएगा। जिन अधिकारियों का सकारात्मक रवैया है और जो काम करने को तैयार हैं, उन्हें इनाम दिया जा रहा है।
कामकाज पर करीबी नजर
केवल जनवरी में 11 अधिकारियों ने वीआरएस ले लिया था। रेलवे के विभिन्न जोन में काम करने वाले सीनियर इंजीनियर्स ने कहा कि उन पर परफॉर्म करने का दबाव बढ़ गया है और मंत्रालय ने उनके लिए मुश्किल टारगेट रखे हैं। सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ महीनों से रेलवे में काफी चीजें बदल गई हैं। ऊपर स्तर से चीजों पर करीबी नजर रखी जा रही है। कुछ लोगों ने इसलिए भी वीआरएस लिया क्योंकि उन्हें ड्यू प्रमोशन नहीं मिला। एक मामले भी मामला है जिसमें रेल मंत्री ने ही अधिकारी को रिजाइन देने को कहा और वह लंबी छुट्टी पर चले गए।
फंडामेंटल रूट (एफआर) के सेक्शन-56 (जे) के तहत सरकार किसी भी अधिकारी को नौकरी से निकाल सकती है। इस प्रक्रिया के तहत रिटायर किए गए अधिकारी को दो से तीन महीने का वेतन दिया जाता है। पेंशन व अन्य देय का लाभ भी दिया जाता है। दूसरी ओर वीआरएस योजना में कर्मचारी को नौकरी के बचे हुए साल के हिसाब से प्रति वर्ष दो माह के हिसाब से वेतन दिया जाता है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति में यह लाभ नहीं मिलता है। आगे भी वीआरएस देने के लिए अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि जून-जुलाई में वीआरएस पर भेजे जाने वाले अधिकारियों की सूची तैयार हो रही है।
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