मैन ऑफ हैप्पीनेस : दिल में दुखों को समेटकर दुनिया में इस तरह खुशियां बांट रहे गुरमीत | man of happiness | Patrika News

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मैन ऑफ हैप्पीनेस : दिल में दुखों को समेटकर दुनिया में इस तरह खुशियां बांट रहे गुरमीत | man of happiness | Patrika News

मैन ऑफ हैप्पीनेस : दिल में दुखों को समेटकर दुनिया में इस तरह खुशियां बांट रहे गुरमीत | man of happiness | Patrika News

इस शख्स का नाम है डॉ. गुरमीत सिंह नारंग। डॉ. नारंग अपने परिवार को खोने के बाद उन लोगों की सेवा में लग गए जो कम उम्र में ही अपने प्रियजनों को खो देते हैं और जीवन की खुशियों को खो देते हैं। जो अवसाद से घिर जाते हैं या जिनकी जीवन जीने की इच्छा खत्म हो जाती है। डॉ. नारंग ने बताया मैंने अपनी 15 वर्षीय बेटी (तवलीन) को कैंसर के कारण और बाद में बेटे व पत्नी को भी खो दिया। बेटी की याद में ‘तवलीन फाउंडेशन’ की स्थापना की और जिसके जरिए दुनियाभर में ‘मिशन हैप्पीनेस’ के द्वारा निस्वार्थ सेवा हो रही है। डॉ. नारंग लोगों को अपनी ‘हैपीनेस टॉक्स’ के जरिए जीवन की शिक्षा और शाश्वत खुशी पाने के तरीके बताते हैं। दुनियाभर में लोग उन्हें अब ‘मैन ऑफ हैप्पीनेस फ्रॉम इंडिया’ के नाम से पुकारते है। वह अपने फाउंडेशन के जरिए कई ऐसी मुहीम चला रहे हैं जिससे लोगों के जीवन में ख़ुशियां शामिल हो सकें और लोगों को जीवन और इसकी यात्रा के जरिए खुशियां पाने की कला समझाते हैं। स्वयं मुस्कराना और दूसरों के जीवन में मुस्कराहट लाना, इसे ही वो ईश्वर की इबादत मानते हैं। उन्होंने कहा परिवार खोने के बाद मैं डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम साहब सहित कई ऐसे लोगों से मिला, जिन्होंने मुझे अपने जीवन का मिशन दिया। वो था मिशन हैप्पीनेस। जब मैं कलाम साहब से मिला तो मैंने उन्हें बताया कि मैं अपना परिवार खो चुका हूं अब मैं क्या करूं? मेरे जीवन का कोई मकसद नहीं बचा। तब उन्होंने मुझे मकसद दिया। डॉ. कलाम ने मुझे कहा दूसरों के जीवन में खुशियां बिखेरने से बड़ा कोई नहीं है। मैंने कहा मेरे पास खुशियां ही नहीं हैं तो मैं कैसे बांटू? मैंने फिर एक साल तक खुशियां पाने की कोशिश की और फिर लोगों को बताया कि हैप्पीनेस क्या होती है। डॉ. कलाम के अलावा मैं दलाईलामा, भाई जसपाल सिंह और हैप्पीनेस पर्सन ऑफ अर्थ डॉ. मैथ्यु व स्वामी समर्पणानंदा जी से भी मिला। उन्होंने कहा जब तक हमारा सामना अंधकार से नहीं होगा तब तक हम प्रकाश की अहमियत नहीं जान पाएंगे, ठीक इसी तरह जब तक हम जीवन के दर्द या दुख को नहीं जान लेते हम जीवन की वास्तविक खुशियों को नहीं जान पाएंगे।

कुछ खास जानकारी
-वल्र्ड हैप्पीनेस कांग्रेस से सम्मानित हो चुके हैं।
-डॉ. नारंग को दुनियाभर में मैन ऑफ हैप्पीनेस फ्राम इंडिया के नाम से जाना जाता है।
-अब तक 1500 से ज्यादा इंटरनेशनल टॉक, सेमिनार और कई कॉर्पोरेट हाउस में ले चुके हैं वर्कशॉप।
-अब तक लिख चुके हैं सात पुस्तकें, इनमें 4 किताबें बेस्ट सेलर बन चुकी हैं।
-साल 2020 में वर्ल्ड हैप्पीनेस कांग्रेस ने मोस्ट फेब्युलस ग्लोबल हैप्पीनेस लीडर का अवार्ड दिया।
-एक इंस्टीट्यूट के जरिए हैप्पीनेस को सीखने के तीन माह से लेकर एक साल तक के शुरू किए कोर्स।
-एक लाख से भी ज्यादा चेहरों पर बिखेर चुके हैं खुशियां, नि:शुल्क लेते हैं सेमिनार



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