Rajasthan : मदरसों के पांचवीं बोर्ड के विद्यार्थियों का परीक्षा शुल्क माफ किया जाना पड़ सकता है गहलोत सरकार को भारी, BJP ने उठाए सवाल | Gehlot government may have to pay the cost of waiving of exam fees | Patrika News h3>
पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने दिखाए सख्त तेवर पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने तुरंत प्रभाव से इस फैसले को वापस लेने की सरकार को चेतावनी तक दे डाली है। देवनानी ने कहा है कि नहीं तो इसका परिणाम आगामी चुनावों में भुगतने के लिए सरकार को तैयार रहना होगा। गौरतबल है कि प्रदेश में इस साल 5वीं बोर्ड की परीक्षा के समय सरकारी स्कूलों में परीक्षा शुल्क पूरी तरह से माफ रखा गया था, लेकिन निजी स्कूलों और मदरसों में 5वीं बोर्ड के लिए 40 रुपये परीक्षा शुल्क वसूला गया था। वहीं निजी और सरकारी स्कूलों में 8वीं बोर्ड का परीक्षा शुल्क पूरी तरह से माफ रखा गया था। ऐसे में अब सरकार स्कूलों और मदरसों में 5वीं बोर्ड का परीक्षा शुल्क माफ है तो वहीं, निजी स्कूलों के विद्यार्थी ही सिर्फ 5वीं बोर्ड परीक्षा शुल्क के दायरे में आ रहे हैं, जिसके चलते अब इस आदेश का विरोध देखने को मिल रहा है।
पिछले तीन सालों से तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है प्रदेश सरकार पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा पिछले तीन सालों से तुष्टिकरण की राजनीति की जा रही है। देवनानी ने कहा कि प्रदेश के मदरसों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को ही बोर्ड परीक्षा शुल्क से मुक्त करने का सरकार का फैसला तुगलकी है। सरकार मुस्लिम तुष्टीकरण के लिबास मे लिपटे इस फैसले को तत्काल वापिस ले, नहीं तो आगामी विधानसभा चुनाव में परिणाम भुगतने को तैयार रहे।
हिंदू और मुस्लिम त्योहारों के लिए सरकार की अलग नीति देवनानी ने कहा कि, कांग्रेस सरकार द्वारा हिन्दू त्यौहारों पर धारा 144 लगाई जाती है। रामनवमी और महावीर जयंती पर शोभायात्राओं को निकालने की अनुमति नहीं मिलती है। विजयादशमी पर संघ के पथ संचलन को निकालने की अनुमति नहीं दी जाती है। जबकि इसके विपरीत रमजान के महीने में मुस्लिम बहुल्य क्षेत्रों में बिजली नहीं काटने का आदेश दिया जाता है और कोटा में एक मुस्लिम संगठन को मार्चफास्ट निकालने की अनुमति दी जाती है।
शिक्षा के मंदिरों को भी तुष्टीकरण की आग में झोंकने से नहीं चूकी सरकार हिन्दू विरोधी दर्जनों निर्णय ऐसे हैं, जो यह दर्शाते हैं कि प्रदेश सरकार ने मुस्लिम तुष्टिकरण की सारी हदें पार कर दी हैं। निजी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों से परीक्षा शुल्क वसूलना और मदरसों में पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले मुस्लिम विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा शुल्क से मुक्त करना इसका जीता-जागता प्रमाण है। सरकार शिक्षा के मंदिरों को भी तुष्टीकरण की आग में झोंकने से नहीं चूकी। विद्यार्थी तो सब एक ही और सबके लिए समान होते हैं, तो फिर मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को इससे मुक्त करना कहां का न्याय है। देवनानी ने कहा कि कांग्रेस का तुष्टीकरण का घड़ा अब पूरी तरह से भर चुका है। प्रदेश की जनता अगले विधानसभा चुनाव में इस घड़े को फोड़ कर कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने का इंतजार कर रही है।
पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने दिखाए सख्त तेवर पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने तुरंत प्रभाव से इस फैसले को वापस लेने की सरकार को चेतावनी तक दे डाली है। देवनानी ने कहा है कि नहीं तो इसका परिणाम आगामी चुनावों में भुगतने के लिए सरकार को तैयार रहना होगा। गौरतबल है कि प्रदेश में इस साल 5वीं बोर्ड की परीक्षा के समय सरकारी स्कूलों में परीक्षा शुल्क पूरी तरह से माफ रखा गया था, लेकिन निजी स्कूलों और मदरसों में 5वीं बोर्ड के लिए 40 रुपये परीक्षा शुल्क वसूला गया था। वहीं निजी और सरकारी स्कूलों में 8वीं बोर्ड का परीक्षा शुल्क पूरी तरह से माफ रखा गया था। ऐसे में अब सरकार स्कूलों और मदरसों में 5वीं बोर्ड का परीक्षा शुल्क माफ है तो वहीं, निजी स्कूलों के विद्यार्थी ही सिर्फ 5वीं बोर्ड परीक्षा शुल्क के दायरे में आ रहे हैं, जिसके चलते अब इस आदेश का विरोध देखने को मिल रहा है।
पिछले तीन सालों से तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है प्रदेश सरकार पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा पिछले तीन सालों से तुष्टिकरण की राजनीति की जा रही है। देवनानी ने कहा कि प्रदेश के मदरसों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को ही बोर्ड परीक्षा शुल्क से मुक्त करने का सरकार का फैसला तुगलकी है। सरकार मुस्लिम तुष्टीकरण के लिबास मे लिपटे इस फैसले को तत्काल वापिस ले, नहीं तो आगामी विधानसभा चुनाव में परिणाम भुगतने को तैयार रहे।
हिंदू और मुस्लिम त्योहारों के लिए सरकार की अलग नीति देवनानी ने कहा कि, कांग्रेस सरकार द्वारा हिन्दू त्यौहारों पर धारा 144 लगाई जाती है। रामनवमी और महावीर जयंती पर शोभायात्राओं को निकालने की अनुमति नहीं मिलती है। विजयादशमी पर संघ के पथ संचलन को निकालने की अनुमति नहीं दी जाती है। जबकि इसके विपरीत रमजान के महीने में मुस्लिम बहुल्य क्षेत्रों में बिजली नहीं काटने का आदेश दिया जाता है और कोटा में एक मुस्लिम संगठन को मार्चफास्ट निकालने की अनुमति दी जाती है।
शिक्षा के मंदिरों को भी तुष्टीकरण की आग में झोंकने से नहीं चूकी सरकार हिन्दू विरोधी दर्जनों निर्णय ऐसे हैं, जो यह दर्शाते हैं कि प्रदेश सरकार ने मुस्लिम तुष्टिकरण की सारी हदें पार कर दी हैं। निजी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों से परीक्षा शुल्क वसूलना और मदरसों में पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले मुस्लिम विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा शुल्क से मुक्त करना इसका जीता-जागता प्रमाण है। सरकार शिक्षा के मंदिरों को भी तुष्टीकरण की आग में झोंकने से नहीं चूकी। विद्यार्थी तो सब एक ही और सबके लिए समान होते हैं, तो फिर मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को इससे मुक्त करना कहां का न्याय है। देवनानी ने कहा कि कांग्रेस का तुष्टीकरण का घड़ा अब पूरी तरह से भर चुका है। प्रदेश की जनता अगले विधानसभा चुनाव में इस घड़े को फोड़ कर कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने का इंतजार कर रही है।