64 साल से सिनेमा की शान है मराठा मंदिर, सेक्स वर्कर्स-ट्रांसजेंडर्स को यहां मिलती है ये खास सुविधा

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64 साल से सिनेमा की शान है मराठा मंदिर, सेक्स वर्कर्स-ट्रांसजेंडर्स को यहां मिलती है ये खास सुविधा

64 साल से सिनेमा की शान है मराठा मंदिर, सेक्स वर्कर्स-ट्रांसजेंडर्स को यहां मिलती है ये खास सुविधा

कहते हैं भारत में सिर्फ तीन चीजें बिकती हैं क्रिकेट, क्राइम और सिनेमा। लोगों के जहन में पिछले डेढ़ सौ सालों से बॉलिवुड का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। लोगों के दिमाग पर कुछ फिल्में ऐसी हैं जो कई पीढ़ियों से छाई हुई हैं। ऐसी ही एक फिल्म है ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ (Dilwale Dulhania Le Jayenge), जो 1995 में रिलीज होने के बाद आज भी लोगों के दिमाग में ताजा है। इस फिल्म को आज भी लोगों के बीच जिंदा रखने के लिए मुंबई के आइकॉनिक थिएटर ‘मराठा मंदिर’ (Maratha Mandir) का बहुत बड़ा हाथ है। मराठा मंदिर 20 अक्टूबर 1995 को रिलीज हुई इस फिल्म को यह सिनेमाघर 26 साल से ज्यादा समय से आज तक चला रहा है। आइए, जानते हैं मराठा मंदिर के सुनहरे इतिहास के बारे में और क्या कारण है कि DDLJ को यह टॉकीज अभी तक चला रहा है।

बॉलिवुड के लिए खास रहा है मराठा मंदिर
मुंबई की पहचान और उस दौर के सबसे शानदार मराठा मंदिर को 16 अक्टूबर 1958 को लोगों के लिए खोला गया था। उस समय इस सिनेमाघर में 1000 लोग बैठ सकते थे जो बहुत बड़ी संख्या है। 1960 और 70 के दशक में बॉलिवुड की बड़ी फिल्में मराठा मंदिर में ही रिलीज की जाती थीं। ऐसा माना जाता था कि जिस फिल्म का प्रीमियर मराठा मंदिर में हो जाए, उसका सुपरहिट होना तय है। इस थिएटर में हर वर्ग के लोग फिल्म देखते रहे हैं क्योंकि इसमें हमेशा टिकट्स के रेट्स बहुत कम रखे गए हैं। एक समय पर मराठा मंदिर युवाओं के लिए फेवरिट डेटिंग स्पॉट बन चुका था। मराठा मंदिर मुंबई के लिए एक लैंडमार्क बन चुका है और जिस स्ट्रीट में यह है उसका नाम भी मराठा मंदिर मार्ग रख दिया गया है।

लगातार 26 सालों से क्यों चल रही है DDLJ?
मराठा मंदिर में शाहरुख खान और काजोल के लीड रोल वाली सुपरहिट फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ को चलते हुए 26 साल से ज्यादा समय से चल रही है। यह अपने आप में बहुत बड़ा रेकॉर्ड है। राज और सिमरन की प्रेम कहानी वाली यह मशहूर फिल्म को इतने लंबे समय तक क्यों चलाया गया? इसके जवाब में मराठा मंदिर के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर मनोज देसाई ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘फिल्म के रिलीज के तुरंत बाद ही हम लोगों ने यह फैसला कर लिया था कि इसे लंबे समय तक चलाया जाएगा। शाहरुख खान और काजोल फ्रेश फेस थे और आदित्य चोपड़ा भी एक नए डायरेक्टर थे। ऐसा होना इसलिए भी संभव हुआ कि पहली बात तो यह एक सुपरहिट फिल्म थी और दूसरा इसका म्यूजिक आज भी पॉप्युलर है। फिल्म में कोई खराबी नहीं थी और इसमें एक क्यूट कपल की कहानी और विदेशी लोकेंशस थीं। इसलिए लंबे समय तक चलाए जाने के लिए यह एक परफेक्ट फिल्म थी।’

मराठा मंदिर की एक पुरानी तस्वीर (साभार: सोशल मीडिया)

बहुत कम रखे गए टिकटों के रेट्स
यूं तो 1990 के दशक में सिनेमाघरों के टिकट बहुत सस्ते हुआ करते थे लेकिन मराठा मंदिर ने खासतौर पर अपने टिकट काफी सस्ते रखे थे। उस समय मराठा मंदिर में 8, 10 और 12 रुपये की टिकट हुआ करती थीं। यह रेट इतना कम था कि आज के समय पर कोई वेटर टिप भी नहीं लेगा। इसीलिए लोग भी आराम से बालकनी में बैठकर फिल्म का मजा लेते थे। यही कारण था कि मराठा मंदिर युवाओं का फेवरिट डेटिंग स्पॉट बन गया था। यहां डेट पर आए बहुत से कपल बाद में शादी के बंधन में बंध गए। मनोज देसाई कहते हैं कि वह खुद ऐसे बहुत से कपल को जानते हैं जो डेट पर, फिर इंगेजमेंट के बाद, शादी के बाद और हनीमून के बाद मराठा मंदिर में DDLJ देखने आए हैं। लोगों की दीवानगी का आलम यह है कि आज भी छुट्टी के दिन DDLJ का शो 70 पर्सेंट तक फुल रहता है जबकि वीकेंड्स और छुट्टी वाले दिन हाउसफुल रहता है।

कमाठीपुरा की सेक्स वर्कर्स के मनोरंजन का जरिया
ऐसा कई बार होता है कि मराठा मंदिर में DDLJ के पूरे शो में नजदीक स्थित रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा की प्रॉस्टीट्यूट्स आती हैं। इस बारे में मनोज देसाई ने बताया, ‘उनकी जिंदगी बड़ी कठिन होती है। रात में वे अपना काम करती हैं इसलिए दिन में वह अपने मनोरंजन के लिए अक्सर यहां आ जाती हैं। मुझे आदत है कि मैं देखता हूं कि कौन फिल्म देखने आ रहा है। मेरे मैनेजर ने बताया कि वे सेक्स वर्कर्स हैं और उन्होंने कहा है कि रात की बुरी स्थितियों के बाद केवल मराठा मंदिर ही उनके मनोरंजन का एकमात्र जरिया होता है। वे अक्सर मुझसे आकर नमस्ते भी करती हैं। इसलिए हमने यह नियम बनाया है कि मराठा मंदिर में सेक्स वर्कर्स और ट्रांसजेंडर्स को कभी लाइन में नहीं खड़ा होना पड़ता।’

DDLJ हटाने पर भड़क गए थे लोग
मराठा मंदिर में लंबे समय से DDLJ चल रही है। देसाई कहते हैं कि जबतक इस फिल्म को ऑडियंस मिलती रहेगी वह इसे थिएटर में चलाते रहेंगे। देसाई ने एक घटना भी बताई जब DDLJ हटाने पर लोग भड़क गए थे। उन्होंने कहा, ‘कुछ साल पहले मैंने कहा कि यह मराठा मंदिर में DDLJ का आखिरी हफ्ता है। तब इस फैसले के खिलाफ लगभग 40-50 लोगों का झुंड थिएटर में पहुंच गया। मैंने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि जब वे लोग फिल्म देखने के लिए थिएटर में आ रहे हैं तो मुझे क्या परेशानी है? इसके बाद मुझे कहना पड़ा कि पब्लिक की डिमांड पर हम DDLJ को नहीं हटाएंगे।’



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