बड़ा टर्न: 48 फीसदी ओबीसी वोटर, अब 27 नहीं 35 फीसदी आरक्षण की दलील | Big turn: 48 percent OBC voters, now 27 not 35 percent reservation arg | Patrika News

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बड़ा टर्न: 48 फीसदी ओबीसी वोटर, अब 27 नहीं 35 फीसदी आरक्षण की दलील | Big turn: 48 percent OBC voters, now 27 not 35 percent reservation arg | Patrika News

बड़ा टर्न: 48 फीसदी ओबीसी वोटर, अब 27 नहीं 35 फीसदी आरक्षण की दलील | Big turn: 48 percent OBC voters, now 27 not 35 percent reservation arg | Patrika News

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– अजा-जजा को छोडक़र 79 फीसदी ओबीसी, सभी 52 जिलों में सर्वे व डाटा-माइनिंग
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[email protected]भोपाल। राज्य सरकार ने प्रदेश में 48 फीसदी ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) मतदाता मान लिए हैं। इसके तहत अब 27 नहीं बल्कि 35 ओबीसी आरक्षण की दलील दी गई है। दरअसल, मध्यप्रदेश अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने गुरुवार को राज्य सरकार को ओबीसी मतदाता को लेकर रिपोर्ट सौंप दी है। अब यही रिपोर्ट शुक्रवार को सुप्रीमकोर्ट में आयोग पेश करेगा। इस रिपोर्ट में 48 फीसदी ओबीसी मतदाता मानकर 35 फीसदी ओबीसी आरक्षण मांगा है। गुरुवार को नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री रामखिलावन पटेल और मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन ने पत्रकारवार्ता करके इस रिपोर्ट का खुलासा किया। भूपेंद्र ने कहा कि आयोग ने रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इसे अब शुक्रवार को सुप्रीमकोर्ट में भी पेश किया जाएगा। इसके बाद सुप्रीमकोर्ट के आगे के निर्देश के आधार पर कदम उठाए जाएंगे। गौरतलब है कि सुप्रीमकोर्ट ने यह रिपोर्ट शुक्रवार तक पेश करने की डैडलाइन दी है।
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रिपोर्ट में ये : यूं आबादी का गणित-
मंत्री भूपेंद्र ने बतया कि रिपोर्ट में जो डाटा आया है, उसमें करीब 48 फीसदी ओबीसी वर्ग के मतदाता पाए गए हैं। वहीं कुल मतदताताओं में से अजा-जजा मतदाता घटाने पर बाकी मतदाता में ओबीसी मतदाता 79 फीसदी है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि व्यस्क मताधिकार प्राप्त हुए 70 वर्ष हो चुके हैं, फिर भी आर्थिक व सामाजिक पिछड़ेपन के कारण अब भी ओबीसी वर्ग के लिए कई बाधाएं हैं, जिसको प्रतिवेदन में दर्शाया गया है। यह बाधाएं ओबीसी वर्ग को राजनीतिक समानता पाने से रोक रही है। इसलिए जनसंख्या के अनुपात में राजनीतिक प्रतिनिधित्व नगरीय निकाय व पंचायतों में काफी कम है। इसे निर्धारित अनुपात में बढ़ाया जाए।
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स्टडी ऐसी, सुझाव इतने-
आयोग ने स्टडी कर और जिलों में भ्रमण करके विभिन्न समाजसेवी संगठनों से चर्चा व प्राप्त ज्ञापन की समीक्षा के बाद रिपोर्ट दी है। आयोग को जिलों से भ्रमण के दौरान 82 सामाजिक संगठनों से ज्ञापन दिया। वहीं पोर्टल पर 853 सुझाव मिले। इसके अलावा ई-मेल के जरिए 156 सुझाव प्राप्त हुए। बिसेन ने बताया कि सभी 52 जिलों का डाटा लिया है। दौरे करके सुझाव लिए हैं। इनका आकलन करके रिपोर्ट दी है। करीब बीस जिलों में ओबीसी वोटर पचास फीसदी से ज्यादा पाए गए हैं। इसमें आधे में 80 फीसदी तक ओबीसी मतदाता हैं।
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आयोग ने दी ये 6 सिफारिशें-
1. राज्य सरकार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के सभी स्तरों मे ओबीसी के लिए 35 फीसदी स्थान आरक्षित करें।
2. राज्य सरकार समस्त निकाय चुनाव में सभी स्तरों में ओबीसी के लिए 35 फीसदी स्थान आरक्षित करें।
3. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव व निकाय चुनाव में आरक्षण सुनिश्चित किए जाने के लिए संविधान में संशोधन के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएं।
4. राज्य शासन सर्वे उपरांत चिन्हित कर जनसंख्या के आधर पर ओबीसी बाहुल्य क्षेत्र को ओबीसी बाहुल्य क्षेत्र घोषित किया जाए, उन क्षेत्रों में विकास की योजना लागू की जाएं।
5. मप्र राज्य की अन्य पिछड़ा वर्ग सूची में जो जातियां केंद्र की अन्य पिछड़ा वर्ग सूची में शामिल नहीं है, उन्हें केंद्र की सूची में जोडऩे के लिए केंद्र को भेजा जाएं।
6 केंद्र की अन्य पिछड़ा वर्ग सूची में से मप्र की अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में जो जातियां शामिल नहीं हैं, उन्हें राज्य की सूची में शामिल करें।
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अब आगे ये कदम-
आयोग रिपोर्ट पर- सुप्रीमकोर्ट में रिपोर्ट पेश होगी। इसके बाद कोर्ट के निर्देशानुसार आगे कदम उठेंगे।
पंचायत चुनाव पर- 27 फीसदी आरक्षण के साथ चुनाव का रास्ता खुलेगा। 35 फीसदी आरक्षण मांगा है।
निकाय चुनाव पर- 27 फीसदी आरक्षण का रास्ता खुलेगा। परिसीमन में भी मदद। 35 फीसदी आरक्षण मांगा।
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सरकार की आगे की तैयारी-
मंत्री भूपेंद्र ने बताया कि आयोग ने अभी प्रथम प्रतिवेदन दिया है। दूसरा प्रतिवेदन भी आएगा। अभी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों के आधार पर संविधान में जो व्यवस्था है, उस व्यवस्था के अनुरूप ही आयोग की रिपोर्ट आई है। सॉलीसिटर जनरल के स्तर पर पहले भी ओबीसी मतदाता 48 फीसदी ही बताए गए थे, जबकि आबादी 52 फीसदी है। आयोग की रिपोर्ट में भी यही आया है। अब इसके आधार पर सुप्रीमकोर्ट के निर्देशानुसार आगे कदम उठेंगे। इससे पूर्व रामजी महाजन आयोग भी 35 फीसदी ओबीसी आरक्षण की सिफारिश कर चुका है।
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ये है मामला-
कोर्ट ने पंचायत चुनाव में 27 फीसदी आरक्षण को नकार दिया था। तब, इसका आधार कोर्ट में ओबीसी की आबादी को 27 फीसदी ही बताना रहा। इसके बाद भाजपा सरकार ने 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ ही चुनाव कराने का ऐलान किया था। इसके तहत चुनाव स्थगित कर दिए गए। सुप्रीमकोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट के बाद ही 27 फीसदी आरक्षण की बात कही। इसके तहत सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग बनाया। फिर इसने सर्वे व डाटा स्टडी के जरिए रिपोर्ट दी है। वही दूसरा प्रकरण सीधी भर्ती में भी 27 फीसदी आरक्षण का है। इसे लेकर भी तीन विभागों भर्ती परीक्षाओं का मामला अटका है। हालांकि सरकार बाकी विभागों में आरक्षण दे रही है। सुप्रीमकोर्ट ने दिसंबर 2021 में महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण का अध्यादेश रद्द कर दिया था। इस मामले के बाद मध्यप्रदेश में भी इसी प्रकार की स्थिति बनने पर पंचायत चुनाव स्थगित किए गए थे।
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कांग्रेस के ये आरोप-
सरकार ने जिस पिछड़ा वर्ग आयोग से ओबीसी के आंकड़े तैयार कराए हैं, उसका कोई संवैधानिक आधार नहीं हे। पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष मैं हूं, लेकिन मुझसे कोई सुझाव नहीं लिया गया है। मनगढ़ंत आधारों पर आंकड़े पेश किए गए हैं। कोई सर्वे नहीं हुआ है। मतदाता सूची से ही सर्वे कर लिया गया। भाजपा सरकार भ्रमित कर रही है, 27 फीसदी आरक्षण तो कमलनाथ सरकार ने दिया था।
– जेपी धनोपिया, वरिष्ठ कांग्रेस नेता व अध्यक्ष, मप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग
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अभी ऐसा है आरक्षण-
– 16 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लिए
– 20 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लिए
– 14 प्रतिशत ओबीसी के लिए (27 फीसदी पर खींचतान)
– 10 प्रतिशत सवर्ण गरीब वर्ग के लिए (चुनाव में नहीेंं)
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