प्रदेश में पुरानी फैक्ट्रियों की हो रही नीलामी, सरकार कर रही जश्न की तैयारी | Auction of old factories, rajgovernment is preparing for celebration | Patrika News h3>
निर्मल स्टील ट्यूब्स इंडिया लिमिटेड
मांग नोटिस की तिथि: 20-07-2015
कब्जा नोटिस की तिथि: 16-6-20
बकाया राशि: 23 करोड़ 90 लाख जयपुर. राजस्थान में इंडस्ट्रीज के हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं, बिजली, पानी और कच्चे माल की कमी से यहां की कंपनियां लगातार बंद हो रही हैं। एक ओर सरकार अक्टूबर में इन्वेस्ट समिट की तैयारी कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर मई में तीन बड़ी कंपनियों के एनपीए होने के बाद राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रीयल डवलपमेंट एंड इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (रीको) इन्हें नीलाम करने जा रही है। ये कंपनियां भिवाड़ी और अलवर में स्थित थीं।
क्लच ऑटो लिमिटेड: इस कंपनी की जमीन की रिजर्व प्राइज ही 50 करोड़ रुपए रखी गई है और ऑक्शन में कीमत कितनी जाती है ये नीलामी में पता चलेगा। इसके पूरे एसेसट्स 50 करोड़ के हैं, यानी जमीन, बिल्डिंग और
एसेसट्स को मिलाकर रीको करीब 100 करोड़ की निलामी करेगी।
निर्मल स्टील्स ट्यूब्स: अलवर के भिवाड़ी स्थित रीको इंडस्ट्रीयल एरिया में निर्मल स्टील्स ट्यूब्स को दो भूखंड 13,125 वर्गमीटर और दूसरा 7999.68 वर्गमीटर का आवंटन किया गया था। इस कंपनी की नीलामी करीबन 15 करोड़ से शुरू होगी, जिसमें जमीन करीब 14 करोड़ बिल्डिंग और 9 करोड़ बकाया है। इस कंपनी ने इतने सालों में प्लांट एंड मशीनरी तो लगी ही नहीं, सिर्फ जमीन और बिल्डिंग के ही रीको 23 करोड़ 90 लाख वसूल रहा है।
टेकप्रो सिस्टम्स लिमिटेड: इस कंपनी को अलवर के मत्स्य इंडस्ट्रीयल एरिया में 60,655 वर्गमीटर के दो भूखण्ंड आवंटन किए गए थे। इनकी कीमत करीबन 35 करोड़ है और प्लांट एंड मशीनरी करीबन 13 करोड़ की होगी। रीको इस कंपनी की निलामी 48 करोड़ से शुरू करेगा।
उद्योग जगत ने चेताया… पीएचडीसीसीआइ राजस्थान के चेयरमैन दिग्विजय ढाबरिया का कहना है कि सरकार को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ रिड्यूस द कॉस्ट ऑफ डूइंग बिजनेस पर फोकस करना चाहिए। चीन की तुलना में हमारे यहां औद्योगिक उत्पादन लागत 20 प्रतिशत और लॉजिस्टिक लागत 15 प्रतिशत तक ज्यादा है। सरकार का पूरा ध्यान नए निवेश को आकर्षित करने पर है, लेकिन पुराने उद्योगों की समस्याओं को दूर नहीं किया तो अगले 2 साल में 50 प्रतिशत पुरानी यूनिट्स बंद हो जाएंगी।
30 फीसदी से ज्यादा उद्योग बंद
जैतपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष हंसराज अग्रवाल का कहना है कि जैतपुरा औद्योगिक क्षेत्र में पिछले दो साल में कई औद्योगिक इकाइयां बंद हो चुकी हैं। यदि प्रदेश के सभी औद्योगिक क्षेत्रों पर नजर डालें, तो सभी जगह 30 प्रतिशत तक उद्योग बंद हो चुके हैं। उद्योगों के सामने फंड लिक्विडिटी की समस्या है। यह वक्त है जब सरकार को क्रेडिट पॉलिसी लाकर इन इकाइयों को बचाना चाहिए। इन्वेस्ट समिट से एमओयू तो किए जा सकते हैं, लेकिन धरातल पर निवेश लाने के लिए पारदर्शी नीति और प्रभावी सिंगल विंडो सिस्टम बनाना होगा।
रिसर्जेंट राजस्थान की असफलता से नही सीखा…
राजस्थान चैम्बर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष आरएस जैमिनी का कहना है कि रिसर्जेंट राजस्थान की असफलता से सरकार ने कुछ नहीं सीखा, फिर से अधिकारियों का पूरा फोकस केवल इन्वेस्ट समिट जैसे आयोजनों पर है, जबकि प्रदेश में पुराने उद्योग उन्नति करेंगे स्वत: ही नया निवेश आकर्षित होगा। इसके विपरीत प्रदेश में पुराने उद्योग लागत बढऩे के कारण बंद हो रहे हैं और 40 प्रतिशत उद्योग अपनी क्षमता की तुलना में 50 प्रतिशत भी उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। राजस्थान में बिजली, पानी, जमीन और कच्चा माल सब दूसरे राज्यों की तुलना में महंगे हैं। सरकार को सबसे ज्यादा पुराने उद्योगों की चुनौतियों को दूर करने पर ध्यान देना चाहिए।
निर्मल स्टील ट्यूब्स इंडिया लिमिटेड
मांग नोटिस की तिथि: 20-07-2015
कब्जा नोटिस की तिथि: 16-6-20
बकाया राशि: 23 करोड़ 90 लाख जयपुर. राजस्थान में इंडस्ट्रीज के हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं, बिजली, पानी और कच्चे माल की कमी से यहां की कंपनियां लगातार बंद हो रही हैं। एक ओर सरकार अक्टूबर में इन्वेस्ट समिट की तैयारी कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर मई में तीन बड़ी कंपनियों के एनपीए होने के बाद राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रीयल डवलपमेंट एंड इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (रीको) इन्हें नीलाम करने जा रही है। ये कंपनियां भिवाड़ी और अलवर में स्थित थीं।
क्लच ऑटो लिमिटेड: इस कंपनी की जमीन की रिजर्व प्राइज ही 50 करोड़ रुपए रखी गई है और ऑक्शन में कीमत कितनी जाती है ये नीलामी में पता चलेगा। इसके पूरे एसेसट्स 50 करोड़ के हैं, यानी जमीन, बिल्डिंग और
एसेसट्स को मिलाकर रीको करीब 100 करोड़ की निलामी करेगी।
निर्मल स्टील्स ट्यूब्स: अलवर के भिवाड़ी स्थित रीको इंडस्ट्रीयल एरिया में निर्मल स्टील्स ट्यूब्स को दो भूखंड 13,125 वर्गमीटर और दूसरा 7999.68 वर्गमीटर का आवंटन किया गया था। इस कंपनी की नीलामी करीबन 15 करोड़ से शुरू होगी, जिसमें जमीन करीब 14 करोड़ बिल्डिंग और 9 करोड़ बकाया है। इस कंपनी ने इतने सालों में प्लांट एंड मशीनरी तो लगी ही नहीं, सिर्फ जमीन और बिल्डिंग के ही रीको 23 करोड़ 90 लाख वसूल रहा है।
टेकप्रो सिस्टम्स लिमिटेड: इस कंपनी को अलवर के मत्स्य इंडस्ट्रीयल एरिया में 60,655 वर्गमीटर के दो भूखण्ंड आवंटन किए गए थे। इनकी कीमत करीबन 35 करोड़ है और प्लांट एंड मशीनरी करीबन 13 करोड़ की होगी। रीको इस कंपनी की निलामी 48 करोड़ से शुरू करेगा।
उद्योग जगत ने चेताया… पीएचडीसीसीआइ राजस्थान के चेयरमैन दिग्विजय ढाबरिया का कहना है कि सरकार को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ रिड्यूस द कॉस्ट ऑफ डूइंग बिजनेस पर फोकस करना चाहिए। चीन की तुलना में हमारे यहां औद्योगिक उत्पादन लागत 20 प्रतिशत और लॉजिस्टिक लागत 15 प्रतिशत तक ज्यादा है। सरकार का पूरा ध्यान नए निवेश को आकर्षित करने पर है, लेकिन पुराने उद्योगों की समस्याओं को दूर नहीं किया तो अगले 2 साल में 50 प्रतिशत पुरानी यूनिट्स बंद हो जाएंगी।
30 फीसदी से ज्यादा उद्योग बंद
जैतपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष हंसराज अग्रवाल का कहना है कि जैतपुरा औद्योगिक क्षेत्र में पिछले दो साल में कई औद्योगिक इकाइयां बंद हो चुकी हैं। यदि प्रदेश के सभी औद्योगिक क्षेत्रों पर नजर डालें, तो सभी जगह 30 प्रतिशत तक उद्योग बंद हो चुके हैं। उद्योगों के सामने फंड लिक्विडिटी की समस्या है। यह वक्त है जब सरकार को क्रेडिट पॉलिसी लाकर इन इकाइयों को बचाना चाहिए। इन्वेस्ट समिट से एमओयू तो किए जा सकते हैं, लेकिन धरातल पर निवेश लाने के लिए पारदर्शी नीति और प्रभावी सिंगल विंडो सिस्टम बनाना होगा।
रिसर्जेंट राजस्थान की असफलता से नही सीखा…
राजस्थान चैम्बर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष आरएस जैमिनी का कहना है कि रिसर्जेंट राजस्थान की असफलता से सरकार ने कुछ नहीं सीखा, फिर से अधिकारियों का पूरा फोकस केवल इन्वेस्ट समिट जैसे आयोजनों पर है, जबकि प्रदेश में पुराने उद्योग उन्नति करेंगे स्वत: ही नया निवेश आकर्षित होगा। इसके विपरीत प्रदेश में पुराने उद्योग लागत बढऩे के कारण बंद हो रहे हैं और 40 प्रतिशत उद्योग अपनी क्षमता की तुलना में 50 प्रतिशत भी उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। राजस्थान में बिजली, पानी, जमीन और कच्चा माल सब दूसरे राज्यों की तुलना में महंगे हैं। सरकार को सबसे ज्यादा पुराने उद्योगों की चुनौतियों को दूर करने पर ध्यान देना चाहिए।