Nidhi Kesarwani IAS: कौन हैं निधि केसरवानी? क्या है दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे का मामला, जिसमें सीएम योगी ने किया सस्पेंड

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Nidhi Kesarwani IAS: कौन हैं निधि केसरवानी? क्या है दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे का मामला, जिसमें सीएम योगी ने किया सस्पेंड

Nidhi Kesarwani IAS: कौन हैं निधि केसरवानी? क्या है दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे का मामला, जिसमें सीएम योगी ने किया सस्पेंड

गाजियाबाद : यूपी में दोबार सत्ता में आने के बाद से सीएम योगी (CM Yogi Adityanath) ने भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इसी क्रम में मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे (Meerut-Delhi Expressway)के भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले में योगी सरकार (Yogi Sarkar) ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई की है। गाजियाबाद की पूर्व डीएम निधि केसरवानी (Nidhi Kesarwani IAS) को सस्पेंड कर दिया गया है। आरोप है कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए अपने खास और चहेते लोगों को जमीन खरीदवाकर जिले में 20 करोड़ से ज्यादा रकम के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया था।

कौन हैं निधि केसरवानी?
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे जमीन भ्रष्टाचार मामले के बाद से चर्चा में आईं निधि केसरवानी 2004 बैच की अफसर हैं। फिलहाल निधि केंद्र सरकार में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर में उप सचिव हैं। बता दें इस घोटाले में डीम व अन्य अफसरों ने पहले किसानों से सस्ते रेट पर जमीन खरीद ली। फिर उसे अपने रिश्तेदारों को खरीदवाकर सरकार को कई गुना ऊंचे रेट पर बिकवा दी थी।

किसानों से सस्‍ते में जमीन खरीद रिश्‍तेदारों को दिलवाया मोटा मुनाफा
गाजियाबाद की डीएम रहीं निधि केसरवानी इस समय केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य विभाग में बतौर डेप्‍युटी सेक्रेटरी काम कर रही हैं। 2004 बैच की मणिपुर कैडर की आईएएस निधि 2016 में गाजियाबाद की डीएम बनी थीं। आरोप है कि इस घोटाले में अफसरों ने किसानों से सस्‍ते रेट पर जमीन खरीद ली और फिर उसे अपने रिश्‍तेदारों को खरीदवाकर सरकार को कई गुना ऊंचे रेट पर बिकवा दी गई। मेरठ मंडल के पूर्व आयुक्‍त प्रभात कुमार ने इस घोटाले की जांच की थी। इसमें गाजियाबाद की तत्‍कालीन डीएम निधि केसरवानी समेत कई अफसरों को दोषी पाया था।

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मंडलायुक्त की रिपोर्ट में क्या थे आरोप
तत्कालीन एडीएम एल घनश्याम सिंह पुत्र शिवांग राठौर ने गांव नाहल कुशलिया और हापुड़ के गांव पटना मुरादनगर में सात खसरा नंबरों की जमीन 30 सितंबर 2013 को 1582.19 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से खरीदी, जबकि यहां 1235.18 रुपये के हिसाब से अवार्ड हुआ था। अधिग्रहण की अधिसूचना इससे पूर्व सात अगस्त 2012 को ही हो चुकी थी। जमीन एक करोड़ 78 लाख पांच हजार 539 रुपये में खरीदी गई और आर्बिट्रेशन के बाद इसका मूल्य 9 करोड़ 36 लाख 77,449 बना। ऐसे में इन्हें सात करोड़ 58 लाख 71 हजार 910 रुपये का लाभ हुआ।

कुशलिया में अवार्ड की दर 617.59 रुपये थी। जांच रिपोर्ट के मुताबिक तत्कालीन डीएम विमल शर्मा ने इसका मुआवजा 6500 रुपये प्रति वर्ग मीटर कर दिया। यानी 10 गुना से भी ज्यादा मुआवजा दिया गया। रनवीर सिंह की जमीन के मामले में 1235.18 की दर को आर्बिट्रेशन में बढ़ाकर 5577 रुपये किया गया।

एक अन्य मामले में अमीन संतोष कुमार की पत्नी लोकेश बेनीवाल, मामा रनवीर सिंह व पुत्र दीपक तथा पुत्र वधू दिव्या आदि ने नाहल में 9 खसरा नंबरों की जमीन अधिसूचना जारी होने के बाद खरीदी। इसे 3 करोड़ 54 लाख 20 हजार 442 रुपये में खरीदा गया। इसका मुआवजा बना 14 करोड़ 91 लाख 85 हजार 429 रुपये, फायदा हुआ 11 करोड़ 37 लाख 64 हजार 987 रुपये का। गौरतलब है कि ऐसे कई मामले हैं जिनको मेरठ मंडल के पूर्व आयुक्‍त प्रभात कुमार ने अपनी जांच में उजागर किया।

जमीन की वजह से अटका है दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे
जांच के बाद अड़ंगा लग जाने से दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का करीब छह किमी का निर्माण अटका है। चार गांव डासना, कुशलिया, नाहल और रसूलपुर सिकरोड में करीब 19 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण अटका है। छह एकड़ जमीन दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे में जानी है। यहां एक्सप्रेस-वे का तीन किमी का हिस्सा इसमें फंसा है।

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