मां से बरसों बाद मिले, लेकिन आंसू गुरु के लिए निकले… इस बार भी अजय बिष्ट नहीं ‘योगी’ लौटे घर h3>
पौड़ी गढ़वाल : संन्यास क्या है? सांसारिक रिश्तों का त्याग और मोह-माया से ऊपर उठने का भाव। मोह-माया, लिप्सा, सांसारिक रिश्तों से मुक्ति ही संन्यास है। लेकिन जन्मदात्री मां के रिश्ते से तो संन्यासी तक पूरी तरह विमुख नहीं हो पाते। गोरक्षपीठ के महंत और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को 5 साल बाद अपने गांव पहुंचे। संन्यासी योगी ने एक बुजुर्ग महिला का पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इस मुलाकात के दौरान दोनों के चेहरों पर मुस्कान तैर रही थी, रोम-रोम हर्षित था, रोम-रोम पुलकित था। वह महिला कोई और नहीं, योगी की मां सावित्री थीं। मां-बेटे का आखिर रिश्ता ही कुछ ऐसा होता है। लेकिन एक संन्यासी के लिए जन्मदात्री मां से भी बढ़कर एक रिश्ता होता है। वह है गुरु-शिष्य का।
गला रुंध गया, जुबां लड़खड़ा गई, आंखें डबडबा गईं…
योगी आदित्यनाथ 5 साल बाद अपने पैतृक गांव पहुंचकर, मां से मिलकर भी भावुक नहीं हुए लेकिन गुरु का जिक्र करते वक्त वह अंतस में उमड़ रहे भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाए। गला रुंध गया, जुबां लड़खड़ा गई, आंखें डबडबा गईं। एक संन्यासी भावुक हो गया।
योगी ने अपने गुरु अवैद्यनाथ की प्रतिमा का किया अनावरण
योगी आदित्यनाथ मंगलवार को उत्तराखंड में अपने गृह जिले पौड़ी गढ़वाल में थे। उनकी तरह उनके गुरु अवैद्यनाथ भी पौड़ी गढ़वाल के ही थे। योगी वहां गोरक्षपीठ के बनाए डिग्री कॉलेज पहुंचे और वहां अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ की प्रतिमा का अनावरण किया। प्रतिमा के अनावरण के बाद उन्होंने वहां मौजूद लोगों के समूह को संबोधित किया। इसी दौरान वह भावुक हो गए।
गुरु को याद कर योगी का गला भर आया, आंसुओं से बोझिल पलके बार-बार झपकने लगीं
योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘आज पूज्य महंत अवैद्यनाथ महाराज जी की मूर्ति की यहां पर स्थापना का कार्यक्रम संपन्न हुआ है। मेरे लिए ये व्यक्तिगत तौर पर गौरव की बात है कि मैं अपने पूज्य गुरु को उनकी जन्मभूमि पर सम्मान दे पा रहा हूं…।’ ये कहते हुए योगी का गला रुंध गया। आंखें डबडबा गईं। आंसुओं से बोझिल पलके बार-बार झपक रही थीं। गले से आवाज नहीं निकल रही थी। योगी ने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला।
5 साल बाद बुजुर्ग मां से मिले, पैर छूकर आशीर्वाद लिया
महंत अवैद्यनाथ की मूर्ति का अनावरण करने के बाद योगी आदित्यनाथ वहां से चंद किलोमीटर दूर अपने पैतृक गांव पंचूर पहुंचे। वहां उन्होंने ग्राम देवता की पूजा की और उसके बाद अपने पैतृक घर पहुंचे। घर पर योगी की 3 बहनें भी भाई से मिलने के लिए आई हुईं थीं। योगी अपनी मां सावित्री के पैर छूकर आशीर्वाद लिए। बुजुर्ग मां 5 साल बाद अपने बेटे से मिल रही थीं लिहाजा वो पल भावुक कर देने वाला था। लेकिन मां अपने आंसुओं को पी गईं। गुरु को याद कर भावुक हो जाने वाले योगी भी अपनी जन्मदात्री मां को देख भावुक नहीं हुए। हां, दोनों के चेहरे पर खुशी जरूर झलक रही थी।

संन्यास के बाद 28 साल में पहली बार अपने पैतृक घर में रात को ठहरे योगी
28 साल पहले योगी आदित्यनाथ उसी घर को छोड़कर सांसारिक मोह-माया का त्याग करके संन्यास लिए थे। संन्यास के बाद मंगलवार को पहली बार योगी आदित्यनाथ अपने घर पर रुके थे। करीब 2 साल पहले अप्रैल 2020 में योगी के पिता आनंद सिंह बिष्ट का निधन हुआ था लेकिन कोरोना काल में मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियों की वजह से योगी आदित्यनाथ उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए थे।
एक बार संसद में भी भावुक हुए थे योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ की छवि एक सख्त प्रशासक की है। निजी जिंदगी में भी वह एक ऐसे सख्त इंसान के तौर पर माने जाते हैं जो जल्दी भावुक नहीं होते। उनकी आंखों में आंसू दिखना, गला रुंधना एक तरह से दुर्लभ दृश्य की तरह है। हालांकि, योगी आदित्यनाथ एक बार संसद में भी भावुक हो गए थे। यहां तक कि अपनी बात कहते हुए वह देश की सबसे बड़ी पंचायत में फूट-फूटकर रोने लगे थे। व वाकया 2006 का है। तब गोरखपुर से सांसद रहे योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल में सांप्रदायिक दंगों और तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार की कथित बर्बरताओं का जिक्र करते हुए रोने लगे थे। उन्होंने मुलायम सरकार पर अपने खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाते हुए जान को खतरा बताया था।
योगी आदित्यनाथ 5 साल बाद अपने पैतृक गांव पहुंचकर, मां से मिलकर भी भावुक नहीं हुए लेकिन गुरु का जिक्र करते वक्त वह अंतस में उमड़ रहे भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाए। गला रुंध गया, जुबां लड़खड़ा गई, आंखें डबडबा गईं। एक संन्यासी भावुक हो गया।
योगी ने अपने गुरु अवैद्यनाथ की प्रतिमा का किया अनावरण
योगी आदित्यनाथ मंगलवार को उत्तराखंड में अपने गृह जिले पौड़ी गढ़वाल में थे। उनकी तरह उनके गुरु अवैद्यनाथ भी पौड़ी गढ़वाल के ही थे। योगी वहां गोरक्षपीठ के बनाए डिग्री कॉलेज पहुंचे और वहां अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ की प्रतिमा का अनावरण किया। प्रतिमा के अनावरण के बाद उन्होंने वहां मौजूद लोगों के समूह को संबोधित किया। इसी दौरान वह भावुक हो गए।
गुरु को याद कर योगी का गला भर आया, आंसुओं से बोझिल पलके बार-बार झपकने लगीं
योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘आज पूज्य महंत अवैद्यनाथ महाराज जी की मूर्ति की यहां पर स्थापना का कार्यक्रम संपन्न हुआ है। मेरे लिए ये व्यक्तिगत तौर पर गौरव की बात है कि मैं अपने पूज्य गुरु को उनकी जन्मभूमि पर सम्मान दे पा रहा हूं…।’ ये कहते हुए योगी का गला रुंध गया। आंखें डबडबा गईं। आंसुओं से बोझिल पलके बार-बार झपक रही थीं। गले से आवाज नहीं निकल रही थी। योगी ने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला।
5 साल बाद बुजुर्ग मां से मिले, पैर छूकर आशीर्वाद लिया
महंत अवैद्यनाथ की मूर्ति का अनावरण करने के बाद योगी आदित्यनाथ वहां से चंद किलोमीटर दूर अपने पैतृक गांव पंचूर पहुंचे। वहां उन्होंने ग्राम देवता की पूजा की और उसके बाद अपने पैतृक घर पहुंचे। घर पर योगी की 3 बहनें भी भाई से मिलने के लिए आई हुईं थीं। योगी अपनी मां सावित्री के पैर छूकर आशीर्वाद लिए। बुजुर्ग मां 5 साल बाद अपने बेटे से मिल रही थीं लिहाजा वो पल भावुक कर देने वाला था। लेकिन मां अपने आंसुओं को पी गईं। गुरु को याद कर भावुक हो जाने वाले योगी भी अपनी जन्मदात्री मां को देख भावुक नहीं हुए। हां, दोनों के चेहरे पर खुशी जरूर झलक रही थी।
संन्यास के बाद 28 साल में पहली बार अपने पैतृक घर में रात को ठहरे योगी
28 साल पहले योगी आदित्यनाथ उसी घर को छोड़कर सांसारिक मोह-माया का त्याग करके संन्यास लिए थे। संन्यास के बाद मंगलवार को पहली बार योगी आदित्यनाथ अपने घर पर रुके थे। करीब 2 साल पहले अप्रैल 2020 में योगी के पिता आनंद सिंह बिष्ट का निधन हुआ था लेकिन कोरोना काल में मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियों की वजह से योगी आदित्यनाथ उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए थे।
एक बार संसद में भी भावुक हुए थे योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ की छवि एक सख्त प्रशासक की है। निजी जिंदगी में भी वह एक ऐसे सख्त इंसान के तौर पर माने जाते हैं जो जल्दी भावुक नहीं होते। उनकी आंखों में आंसू दिखना, गला रुंधना एक तरह से दुर्लभ दृश्य की तरह है। हालांकि, योगी आदित्यनाथ एक बार संसद में भी भावुक हो गए थे। यहां तक कि अपनी बात कहते हुए वह देश की सबसे बड़ी पंचायत में फूट-फूटकर रोने लगे थे। व वाकया 2006 का है। तब गोरखपुर से सांसद रहे योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल में सांप्रदायिक दंगों और तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार की कथित बर्बरताओं का जिक्र करते हुए रोने लगे थे। उन्होंने मुलायम सरकार पर अपने खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाते हुए जान को खतरा बताया था।