Matoshree-Hanuman Chalisa Row: दोनों पक्षों की बहस खत्म, राणा दंपत‍ि की जमानत पर सोमवार को आएगा फैसला

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Matoshree-Hanuman Chalisa Row: दोनों पक्षों की बहस खत्म, राणा दंपत‍ि की जमानत पर सोमवार को आएगा फैसला

Matoshree-Hanuman Chalisa Row: दोनों पक्षों की बहस खत्म, राणा दंपत‍ि की जमानत पर सोमवार को आएगा फैसला

मुंबई: महाराष्ट्र के अमरावती जिले से सांसद नवनीत राणा (Navneet Rana) और उनके पति रवि राणा (Ravi Rana) की जमानत पर फैसला सोमवार, दो मई को आएगा। महाराष्‍ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के घर मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने के ऐलान के बाद उपजे व‍िवाद में राणा दंपति‍ को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन पर राजद्रोह का आरोप भी लगाया गया है। शन‍िवार को मुंबई सेशन कोर्ट में अमरावती सांसद नवनीत राणा और उनके पति विधायक रवि राणा की जमानत अर्जी पर सुनवाई समाप्त हुई। कोर्ट ने आदेश 2 मई सोमवार के लिए सुरक्षित रखा है।

इससे पहले जमानत याच‍िका पर सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा क‍ि आरोपियों का कृत्य कानून की परिभाषा के तहत नहीं है। फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन का मतलब ये नहीं है कि कोई कहीं भी कुछ भी बड़बड़ाए। है हिम्मत, है ताकत तो आईए… यह भाषा इस सेक्शन(124) के तहत आता है। आरोपियों के बयान से मुस्लिम समाज में असुरक्षा की भावना पैदा हुई। यह लोग जांच में बाधा उत्पन्न कर सकते है.. सबूतों में छेड़छाड़ कर सकते हैं। इसलिए इनकी जमानत याचिका को रद्द किया जाए। इस पर बचाव पक्ष ने कहा क‍ि हम बीजेपी, कांग्रेस या MVA सरकार से कनेक्टेड नहीं है। जज ने कहा 10 मिनट में बहस पूरी करिए।

सरकारी वकील ने अदालत से कहा कि इनकी भाषा सुनिए
जमानत याच‍िका का व‍िरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा क‍ि उद्धव ठाकरे ने हमारे घर पर गुंडे भेजे हैं। उद्धव ठाकरे को सिर्फ एक ही काम है कि किसको तड़ीपार करना है। किसे बाहर भेजना है, इसके अलावा सीएम को किसी में रुचि नहीं है। सीएम के खिलाफ ऑफेंसिव शब्द है। कोई भी हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकता है। उद्धव ठाकरे हिजडा है। सेना हिजड़ी है ये सबसे खराब बयान था। क्या चुप रहें हैं। आरोपियों ने उकसाने का काम किया। इसलिए हम जमानत का विरोध कर रहें है।

बचाव पक्ष ने द‍िया ये तर्क

नवनीत राणा के वकील आबाद पोंडा ने कहा कि किसी की धार्मिक बिलीफ को चैलेंज किया जा रहा है। अगर आज कोई कहता है कि वो अपनी धार्मिक भावना के लाइन्स हनुमान चालीसा बोलना चाहता है तो उसे जेल में डाल दिया गया। डिसेंट इज सेफ्टी वॉल ऑफ द डॉमॉक्रसी। वो मातोश्री में नहीं जाना चाहते थे। वो सिर्फ बाहर पाठ करना चाहते थे। आबाद पोंडा ने कहा कि आज का मामला आपके सामने रखना काफी कठिन है। यह मनी लॉन्ड्रिंग या दूसरे क्राइम का मामला नहीं है। यह मामला एक आइडिया के आधार पर लिया गया है। आरोपियों को एक दिन की भी कस्टडी नहीं मिली और वो जेल में हैं। उन्हें हनुमान चालीसा बड़े शांति से पढ़ना था। पति और पत्नी एक एमपी और दूसरा एमएलए है उनका बच्चा घर में हैं। 8 साल की बेटी बिना अपने माता पिता के अकेले घर पर है।

‘राजद्रोह के चार्जेस क्यों लगाए गए’
बचाव पक्ष के वकीन आबाद पोंडा ने कहा कि एक बार भी सरकारी पक्ष जेल में जांच पड़ताल के लिए नहीं आया। दंपत्ति ने एडवांस में कहा था कि वो मातोश्री पर आयेंगे। वो सीएम के सरकारी आवास के बाहर नहीं आना चाहते थे। उन्होंने कहा था कि हम हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहते थे। दंपत्ति ने कभी नहीं कहा कि वो लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करेंगे। दंपत्ति अपने खार के घर पर ही थे। राजद्रोह की धारा इस केस में सिर्फ तड़का देने के लिए जोड़ा गया है। आबाद पोंडा ने कहा कि उनके मुवक्किल ने कहीं नहीं कहा था कि वो लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कर हनुमान चालीसा पढ़ेंगे। राणा अमरावती से खार आए जहां उनका अपना खुद का घर है। राजद्रोह के चार्जेस क्यों लगाए गए यह हम समझ सकते हैं। इंटरव्यू देने का मतलब सिर्फ़ यही था कि बताएँ कि वो मातोश्री जाकर हनुमान चालीसा पढ़ना चाहते हैं। पोंडा ने कहा कि आप मेरी बात मानिए कि हमारे मन में ऐसा कुछ नही था जिससे किसी भी तरह की हिंसा हमारी वजह से हो।

‘हनुमान चालीसा लंदन ब्रिज पर पढ़ा जा सकता है लेकिन मातोश्री के बाहर नही’
आबाद पोंडा ने कहा कि हमारे मन में हिंसा का विचार नहीं था। हम तो सिर्फ पाठ करना चाहते थे। हम तो कह रहे थे कि अगर आप हमें रोकना चाहते हैं तो रोकिये। हम किसी मस्जिद के बाहर पाठ नहीं करना चाहते थे। हम तो सीएम के घर के बाहर पाठ करना चाहते थे। सीएम तो खुद हिंदुत्व के समर्थन करते हैं। लेकिन हम मातोश्री के अंदर जाने वाले नहीं थे। सरकारी पक्ष कह रहा है मातोश्री को चैलेंज किया गया। जो शिवसैनिक वहां आए थे वो शिवसेना के समर्थक थे। हनुमान चालीसा लंदन ब्रिज पर पढ़ा जा सकता है लेकिन मातोश्री के बाहर नही। लंदन के पब्लिक प्लेस पर हनुमान चालीसा पढ़ा गया है। मुन्ना भाई एमबीबीएस में जिस तरह फूल देकर विरोध दर्शाते हैं। उसी तरह हम भी विरोध करना चाहते थे।

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