LIC IPO news: सरकार के लिए सिरदर्द बन सकता है सेबी का यह नियम, जानिए क्या है मामला

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LIC IPO news: सरकार के लिए सिरदर्द बन सकता है सेबी का यह नियम, जानिए क्या है मामला

LIC IPO news: सरकार के लिए सिरदर्द बन सकता है सेबी का यह नियम, जानिए क्या है मामला

नई दिल्ली: देश का सबसे बड़ा आईपीओ (IPO) अगले हफ्ते बाजार में दस्तक देने जा रहा है। इस इश्यू को निवेशकों को लंबे समय से इंतजार था। इसके जरिए सरकार एलआईसी (LIC) में अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है। पहले सरकार की इसमें पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना थी लेकिन अब इसका आकार कम कर दिया गया है। साथ ही इसके वैल्यूएशन में भी भारी कमी की गई है। इस मामले में सरकार फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रही है। सरकार इसमें छोटे निवेशकों को तरजीह दे रही है और उसका पूरा जोर इस बात पर है कि उनका नुकसान न हो। पिछले साल आए पेटीएम (Paytm) के आईपीओ ने निवेशकों को तगड़ा झटका दिया है। यही वजह है कि सरकार इस मुद्दे पर सतर्क रुख अपना रही है।

लेकिन मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) का एक नियम सरकार के लिए सिरदर्द बन सकता है। सेबी के मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग रूल्स के मुताबिक एक लाख करोड़ रुपये से अधिक वैल्युएशन वाली लिस्टेड कंपनियों को पांच साल के भीतर कम से कम 25 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग करनी पड़ती है। यानी ऐसी कंपनियों में पांच साल में प्रमोटर्स को अपनी हिस्सेदारी 25 फीसदी बेचनी पड़ती है। सरकार एलआईसी के मामले में इस पर छूट के लिए सेबी से बात करेगी।

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क्या है मामला
डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) के सेक्रेटरी तुहीन कांत पांडे का कहना है कि सरकार एलआईसी को इस नियम में छूट देने के लिए सेबी से बात करेगी। पांडे ने शुक्रवार को कहा कि अभी हम एलआईसी में 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेच रहे हैं। अगर हर साल पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचने के नियमों का पालन किया जाता है तो सरकार को हर साल मेगा आईपीओ लाना होगा। उन्होंने कहा कि एलआईसी का आईपीओ एक अपवाद है। इसलिए सरकार इस मामले में नियमों में ढील देने के लिए सेबी से बात करेगी।

एलआईसी का आईपीओ चार मई को खुलकर नौ मई को बंद होगा। इसके लिए प्राइस बैंड 902-949 रुपये प्रति शेयर रखा गया है। सरकार प्राइस बैंड के ऊपरी स्तर पर 21,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है। सरकार की योजना पहले इस आईपीओ के जरिए कंपनी में 5% हिस्सेदारी बेचने की थी। लेकिन अब इसका साइज घटा दिया गया है। अब सरकार इसमें अपनी 3.5% हिस्सेदारी यानी 22 करोड़ इक्विटी शेयर बेचेगी। साथ ही इस आईपीओ के वैल्यूएशन को भी घटाकर केवल 6.07 लाख करोड़ कर दिया। पहले इसका वैल्यूएशन 17 लाख करोड़ रुपये माना जा रहा था।

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क्यों घटाया साइज
जानकारों का कहना है कि रूस-यूक्रेन जंग, विदेशी इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FIIs) के घरेलू बाजार से की जा रही भारी बिकवाली, महंगाई और ब्याज दरों में तेजी की आशंका से सरकार को एलआईसी के आईपीओ का साइज कम करने का फैसला करना पड़ा। आईपीओ को निवेशकों के लिए आकर्षक बनाने के लिए सरकार ने इसका वैल्यूएशन आधा करने के साथ-साथ इश्यू के साइज को भी घटाने का फैसला किया।

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