राजस्थान में भीषण गर्मी: 91.8 फीसदी अभिभावक बोले, स्कूलों में तत्काल शुरू हो ग्रीष्मावकाश | Parents says, summer vacation should start immediately in schools | Patrika News h3>
तपती दोपहरी में एक से चार बजे तक बच्चे स्कूल से घर आने को मजबूर हो रहे हैं। स्थिति है कि कई सरकारी स्कूलों में तो कूलर और पंखों की व्यवस्था नहीं है।
इधर, शिक्षा विभाग ने भी शुक्रवार को एक आदेश जारी कर स्कूलों का समय बदलने और सत्रांत तक अवकाश घोषित करने का फैसला जिला कलक्टरों पर छोड़ दिया है। लेकिन प्रदेश में गर्मी को देखते हुए अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते।
राजस्थान पत्रिका ने अभिभावकों की राय जानने के लिए एक सर्वे किया, जिसमें 91.8 प्रतिशत अभिभावकों ने कहा कि तेज गर्मी को देखते हुए राज्य सरकार को स्कूलों में तत्काल ग्रीष्मावकाश घोषित कर देना चाहिए।
92.9 फीसदी अभिभावकों ने माना कि तेज गर्मी के कारण बच्चे मौसमी बीमारी के शिकार हो रहे हैं। 86.3 फीसदी का मत है कि बच्चों के प्रति सरकार और जिला प्रशासन लापरवाही बरत रहे हैं। 84 फीसदी ने कहा कि ना चाहते हुए भी वे अपने बच्चों का इस तेज गर्मी में भी स्कूल भेज रहे हैं।
1. राज्य में गर्मी को देखते हुए क्या सरकार को स्कूलों में तत्काल ग्रीष्मावकाश घोषित कर देना चाहिए?
A- हां 91.8
B- नहीं 8.2
–2. क्या आप मानते हैं कि भीषण गर्मी में स्कूल जाने से बच्चे मौसमी बीमारी का शिकार हो रहे हैं?
A- हां 92.9
B- नहीं 7.1
3. क्या आप मानते हैं कि बच्चों के प्रति सरकार और जिला प्रशासन लापरवाही बरत रहे हैं?
A- हां 86.3
B- नहीं 13.7
4. क्या आप भीषण गर्मी में अपने बच्चे को स्कूल भेज रहे हैं?
A- हां 84
B – नहीं 16
प्रतिशत में
कल्ला बोले : बच्चों को राहत देंगे
राज्य में भीषण गर्मी को देखते हुए बच्चों को राहत देने के शिक्षा निदेशक को निर्देश दिए हैं। इस संबंध में जिला कलक्टरों को भी कहा गया है कि वे अपने स्तर पर भी निर्णय लें।
बी.डी. कल्ला, शिक्षा मंत्री
मौसम विभाग ने लू का अलर्ट जारी किया है। इसलिए हमने जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूलों की स्थिति का परीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। अगर परेशानी हैं तो बच्चों को राहत देने के लिए निर्णय लिया जाएगा।
राजन विशाल, कलक्टर जयपुर
राज्य के अधिकतर जिलों में तापमान 44 से अधिक हैं। निजी स्कूल बच्चों को छह से सात घंटे तक स्कूलों में रोक रहे हैं। इसके कारण बच्चे बीमार हो रहे हैं। सरकार भी लापरवाह बनी हुई है। तेज गर्मी को देखते हुए सरकार तुरंत राहत दे।
मनीष विजयवर्गीय, प्रदेश अध्यक्ष, अभिभावक एकता आंदोलन राजस्थान
कॉलेजों में छुट्टियां शुरू हो गई हैं तो फिर छोटे बच्चों के साथ सरकार क्यों अन्याय कर रही है। बच्चों के हित में शिक्षा विभाग निर्णय नहीं ले सका तो जिला कलक्टरों के पाले में मामला डाल दिया। अब कलक्टर को बच्चों की पीड़ा समझते हुए अवकाश घोषित करना चाहिए।
अभिषेक जैन, प्रवक्ता संयुक्त अभिभावक संघ
प्रशासन अगर स्कूलों का समय कम करता है तो हम तैयार हैं। लेकिन हम छुट्टियों के पक्ष में नहीं हैं। इस संबंध में शनिवार को संघ की बैठक है, इसमें निर्णय लेंगे।
हेमलता शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष, स्कूल क्रांन्ति संघ
तपती दोपहरी में एक से चार बजे तक बच्चे स्कूल से घर आने को मजबूर हो रहे हैं। स्थिति है कि कई सरकारी स्कूलों में तो कूलर और पंखों की व्यवस्था नहीं है।
इधर, शिक्षा विभाग ने भी शुक्रवार को एक आदेश जारी कर स्कूलों का समय बदलने और सत्रांत तक अवकाश घोषित करने का फैसला जिला कलक्टरों पर छोड़ दिया है। लेकिन प्रदेश में गर्मी को देखते हुए अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते।
राजस्थान पत्रिका ने अभिभावकों की राय जानने के लिए एक सर्वे किया, जिसमें 91.8 प्रतिशत अभिभावकों ने कहा कि तेज गर्मी को देखते हुए राज्य सरकार को स्कूलों में तत्काल ग्रीष्मावकाश घोषित कर देना चाहिए।
92.9 फीसदी अभिभावकों ने माना कि तेज गर्मी के कारण बच्चे मौसमी बीमारी के शिकार हो रहे हैं। 86.3 फीसदी का मत है कि बच्चों के प्रति सरकार और जिला प्रशासन लापरवाही बरत रहे हैं। 84 फीसदी ने कहा कि ना चाहते हुए भी वे अपने बच्चों का इस तेज गर्मी में भी स्कूल भेज रहे हैं।
1. राज्य में गर्मी को देखते हुए क्या सरकार को स्कूलों में तत्काल ग्रीष्मावकाश घोषित कर देना चाहिए?
A- हां 91.8
B- नहीं 8.2
–2. क्या आप मानते हैं कि भीषण गर्मी में स्कूल जाने से बच्चे मौसमी बीमारी का शिकार हो रहे हैं?
A- हां 92.9
B- नहीं 7.1
3. क्या आप मानते हैं कि बच्चों के प्रति सरकार और जिला प्रशासन लापरवाही बरत रहे हैं?
A- हां 86.3
B- नहीं 13.7
4. क्या आप भीषण गर्मी में अपने बच्चे को स्कूल भेज रहे हैं?
A- हां 84
B – नहीं 16
प्रतिशत में
कल्ला बोले : बच्चों को राहत देंगे
राज्य में भीषण गर्मी को देखते हुए बच्चों को राहत देने के शिक्षा निदेशक को निर्देश दिए हैं। इस संबंध में जिला कलक्टरों को भी कहा गया है कि वे अपने स्तर पर भी निर्णय लें।
बी.डी. कल्ला, शिक्षा मंत्री
मौसम विभाग ने लू का अलर्ट जारी किया है। इसलिए हमने जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूलों की स्थिति का परीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। अगर परेशानी हैं तो बच्चों को राहत देने के लिए निर्णय लिया जाएगा।
राजन विशाल, कलक्टर जयपुर
राज्य के अधिकतर जिलों में तापमान 44 से अधिक हैं। निजी स्कूल बच्चों को छह से सात घंटे तक स्कूलों में रोक रहे हैं। इसके कारण बच्चे बीमार हो रहे हैं। सरकार भी लापरवाह बनी हुई है। तेज गर्मी को देखते हुए सरकार तुरंत राहत दे।
मनीष विजयवर्गीय, प्रदेश अध्यक्ष, अभिभावक एकता आंदोलन राजस्थान
कॉलेजों में छुट्टियां शुरू हो गई हैं तो फिर छोटे बच्चों के साथ सरकार क्यों अन्याय कर रही है। बच्चों के हित में शिक्षा विभाग निर्णय नहीं ले सका तो जिला कलक्टरों के पाले में मामला डाल दिया। अब कलक्टर को बच्चों की पीड़ा समझते हुए अवकाश घोषित करना चाहिए।
अभिषेक जैन, प्रवक्ता संयुक्त अभिभावक संघ
प्रशासन अगर स्कूलों का समय कम करता है तो हम तैयार हैं। लेकिन हम छुट्टियों के पक्ष में नहीं हैं। इस संबंध में शनिवार को संघ की बैठक है, इसमें निर्णय लेंगे।
हेमलता शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष, स्कूल क्रांन्ति संघ