Ratan Tata Contribution In Healthcare: यूं ही नहीं रतन टाटा ने अपना आखिरी वक्त स्वास्थ्य को समर्पित कर दिया, कैंसर से जुड़ी एक कहानी है इसकी वजह!

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Ratan Tata Contribution In Healthcare: यूं ही नहीं रतन टाटा ने अपना आखिरी वक्त स्वास्थ्य को समर्पित कर दिया, कैंसर से जुड़ी एक कहानी है इसकी वजह!

Ratan Tata Contribution In Healthcare: यूं ही नहीं रतन टाटा ने अपना आखिरी वक्त स्वास्थ्य को समर्पित कर दिया, कैंसर से जुड़ी एक कहानी है इसकी वजह!

नई दिल्ली: रतन टाटा (Ratan Tata) को कौन नहीं जानता। एक सुई से लेकर जहाज तक बनाने वाली कंपनी टाटा का वह बेहद अहम चेहरा हैं और अभी टाटा संस के चेयरमैन ऐमेरिटस हैं। गुरुवार को असम में पीएम मोदी ने 7 हाईटेक कैंसर सेंटर्स का उद्घाटन किया गया। उन्होंने कहा- ‘मैं अपनी जिदंगी के आखिरी साल स्‍वास्‍थ्‍य को समर्पित करता हूं। असम को ऐसा राज्‍य बनाएं जो सबको पहचाने और जिसको सब पहचानें।’ डिब्रूगढ़ में हुए इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने 7 अस्पतालों की आधारशिला भी रखी। पीएम मोदी ने रतन टाटा से भी रिमोट का बटन दबवाते हुए अस्पतालों का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने रतन टाटा के हाथ से रिमोट का बटन सिर्फ इसलिए नहीं दबवाया क्योंकि वह एक बड़े उद्योगपति हैं, बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए ऐसा किया। सिर्फ रतन टाटा ही नहीं, उनके पहले से ही टाटा की तरफ से हेल्थ सेक्टर को मजबूत करने की कोशिशें होती रही हैं। यानी टाटा ग्रुप की तरफ से हमेशा से ही गरीबों के भले की बात सोची जाती रही है।

टाटा मेमोरियल सेंटर
मुंबई के परेल में स्थित टाटा मेमोरियल सेंटर का हेल्थ सेक्टर में एक बड़ा योगदान है। इस सेंटर के शुरू होने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। 1932 में ल्यूकेमिया यानी खून के कैंसर की वजह से लेडी मेहरबाई टाटा की मौत हो गई थी। इसके बाद उनके पति दोराबजी टाटा ने भारत में वैसी सुविधाओं वाला एक अस्पताल खोलने का सपना देखा, जैसे विदेशी अस्पताल में उनकी पत्नी का इलाज हुआ था। दोराबजी टाटा की मौत के बाद इस सपने को साकार करने की कोशिशें नौरोजी सकलतवाला ने भी कीं। हालांकि, जेआरडी टाटा की कोशिशों के बाद टाटा मेमोरियल सेंटर का सपना साकार हो सका। 1957 में इसे स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने अधीन ले लिया, लेकिन जेआरडी टाटा और होमी भाभा इसके कामकाज पर नजर रखते रहे। यह अस्पताल करीब 80 बेड से शुरू हुआ था और आज इसमें 600 से भी अधिक बेड हैं। पहले यह 15 हजार स्क्वायर मीटर में था, जो अब 70 हजार स्क्वायर मीटर तक पहुंच चुका है। यहां दुनिया भर के कैंसर मरीजों का इलाज किया जाता है।

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टाटा मेडिकल सेंटर
स्वास्थ्य के क्षेत्र में टाटा मेडिकल सेंटर रतन टाटा के योगदान का जीता-जागता सबूत है। यह कोलकाता के बाहर इलाके राजारहाट में स्थिति है। 16 मई 2011 को रतन टाटा ने इसका उद्घाटन किया था। इस सेंटर में खासकर गरीब लोगों के कैंसर का इलाज किया जाता है। हालांकि, यहां बाकी लोगों का भी इलाज होता है और इससे होने वाली कमाई का इस्तेमाल टाटा मेडिकल सेंटर में गरीबों को इलाज मुहैया कराने के लिए किया जाता है। यहां करीब 300 बेड हैं, जिसमें से लगभग आधे बेड गरीब लोगों के इलाज के लिए रिजर्व हैं। टाटा मेडिकल सेंटर का पूरा खर्ज चैरिटी से मिले पैसों से पूरा होता है। इस सेंटर को टाटा मेडिकल सेंटर ट्रस्ट के जरिए मैनेज किया जाता है।

हेल्थ और फिटनेस स्टार्टअप CureFit में भी रतन टाटा ने निवेश किया हुआ है। वह पिछले कई सालों से हेल्थकेयर सेक्टर को मजबूत करने की कोशिशें करते रहे हैं और अब जिंदगी के बचे दिनों में वह सिर्फ स्वास्थ्य के लिए काम करना चाहते हैं। वह कहते हैं कि हेल्थकेयर टेक्नोलॉजीज में दुनिया को बदलने की ताकत है। टाटा ट्रस्ट तेजी से गांव-गांव तक हेल्थकेयर सुविधाएं पहुंचाने में लगा है। टाटा ग्रुप के हर लीडर ने ना सिर्फ कंपनी को संवारा है, बल्कि देश के नागरिकों की सेवा में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है।

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