किसानों के सामने आत्महत्या करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचेगा, महाराष्ट्र में बंपर गन्ना उत्पादन को लेकर क्यों चिंतित हैं नितिन गडकरी? h3>
पुणे: किसान बंपर उत्पादन के लिए क्या कुछ नहीं करते। लेकिन कई बार ज्यादा उत्पादन नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। महाराष्ट्र के गन्ना किसानों (Maharashtra sugarcane farmers) के साथ भी यही हो रहा। राज्य इस सीजन गन्ना उत्पादन (Sugarcane production) के मामले सबसे आगे है। उत्तर प्रदेश भी पीछे छूट गया है। लेकिन इसकी वजह से मिलों में गन्ना खरीदी कम हो गई है। किसान मजबूरी में फसल आग के हवाले कर दे रहे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने इस पर चिंता जताई है और कहा कि ऐसे में तो गन्ना किसानों के सामने आत्महत्या करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सोमवार को महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में गन्ने की पैदावार में हुई वृद्धि पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अगर उपज इसी तरह जारी रही तो एक दिन आएगा जब आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। गडकरी सोलापुर शहर में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के शिलान्यास समारोह के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वह सोलापुर में जल संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों को देखकर खुश हैं, जो एक समय सूखे के प्रति संवेदनशील जिला हुआ करता था।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि इस कार्य से कुओं का जलस्तर बढ़ गया, जिससे खेती और पीने के लिए पानी की उपलब्धता में सुधार हुआ। हालांकि, इस क्षेत्र में करने के लिए और भी बहुत कुछ है। उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय नेता बाबनदादा शिंदे ने मुझे बताया कि 22 लाख गन्ना नष्ट कर दिया गया है। अगर जिले में इस तरह से फसल नष्ट की जा रही है तो मेरे शब्दों को याद रखिएगा कि यदि गन्ने की पैदावार इसी तरह जारी रही तो एक दिए ऐसा आएगा, जब आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
उत्पादन ज्यादा, फिर चिंता की वजह क्या है?
इस साल महाराष्ट्र में गन्ने का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। लेकिन अधिक उत्पादन के बीच किसानों के सामने मिल संचालक द्वारा वजन में कटौती और रिकवरी कम दिखाने, समय पर पेमेंट नहीं करने जैसी समस्याएं भी आईं। ऐसी भी खबर आई कि कई किसानों ने इन समस्याओं से परेशान होकर कई लाख गन्ना ही नष्ट कर दिए।
किसानों के अनुसार केवल 70 फीसदी गन्ना ही मिलों में जा पाया। बाकि का 30 फीसदी खेतों में ही रह गया। इससे नाराज किसानों ने कई जगह पूरी फसल में आग लगा दी। मिल संचालकों ने वजन में कटौती की और रिकवरी भी कम दिखाया। समय पर पेमेंट न मिलनी एक और बड़ी वजह रही जिससे किसान परेशान हैं।
ज्यादा उत्पादन को देखते हुए पेराई सत्र भी बढ़ाया गया है। मिलों के लिए पेराई की अवधि 180 दिन होती है, हालांकि, प्रक्रिया इस बार अप्रैल-मई तक जारी रहेगी। मराठवाड़ा के पड़ोसी जिलों की फैक्ट्रियों को भी पेराई जारी रखने के लिए कहा गया है।
चीनी आयुक्तालय के आकड़ों के मुताबिक, सीजन 2021-22 में 20 मार्च, 2022 तक महाराष्ट्र में कुल मिलाकर 197 चीनी मिलों ने पेराई में हिस्सा लिया। जिसमे 98 सहकारी एवं 99 निजी चीनी मिलें शामिल है, और 1072.58 लाख टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है। राज्य में अब तक 1111.64 लाख क्विंटल (111 लाख टन) चीनी का उत्पादन किया गया है। राज्य में फ़िलहाल औसत चीनी रिकवरी 10.36 प्रतिशत है।
चीनी उत्पादन में महाराष्ट्र बना नंबर 1
महाराष्ट्र ने इस साल चीनी उत्पादन में न केवल उत्तर प्रदेश को ही पछाड़ा, बल्कि अब तक का रिकॉर्ड 132 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ है। राज्य सरकार अतिरिक्त गन्ना उत्पादन से संबंधित मुद्दों और स्थिति से निपटने के लिए कदम उठा रही है। अब तक राज्य में 1,187 लाख टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है, जबकि लगभग 90 लाख टन फसल अभी भी खेतों में बिना काटी पड़ी है, जिसमें ज्यादातर मराठवाड़ा क्षेत्र में है।
आपको बता दे की, महाराष्ट्र में अब तक 2019-20 में 107 लाख टन रिकॉर्ड चीनी का उत्पादन हुआ था। इस साल अच्छी बारिश और गन्ने का रकबा बढ़ने से उत्पादन लगभग 132 लाख टन तक पहुंच गया है, जबकि उत्तर प्रदेश में इस साल अब तक कम चीनी का उत्पादन किया गया है। राज्य की विभिन्न कंपनियों ने इस सीजन एथेनॉल बेचकर भी अच्छा राजस्व अर्जित किया है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि इस कार्य से कुओं का जलस्तर बढ़ गया, जिससे खेती और पीने के लिए पानी की उपलब्धता में सुधार हुआ। हालांकि, इस क्षेत्र में करने के लिए और भी बहुत कुछ है। उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय नेता बाबनदादा शिंदे ने मुझे बताया कि 22 लाख गन्ना नष्ट कर दिया गया है। अगर जिले में इस तरह से फसल नष्ट की जा रही है तो मेरे शब्दों को याद रखिएगा कि यदि गन्ने की पैदावार इसी तरह जारी रही तो एक दिए ऐसा आएगा, जब आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
उत्पादन ज्यादा, फिर चिंता की वजह क्या है?
इस साल महाराष्ट्र में गन्ने का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। लेकिन अधिक उत्पादन के बीच किसानों के सामने मिल संचालक द्वारा वजन में कटौती और रिकवरी कम दिखाने, समय पर पेमेंट नहीं करने जैसी समस्याएं भी आईं। ऐसी भी खबर आई कि कई किसानों ने इन समस्याओं से परेशान होकर कई लाख गन्ना ही नष्ट कर दिए।
किसानों के अनुसार केवल 70 फीसदी गन्ना ही मिलों में जा पाया। बाकि का 30 फीसदी खेतों में ही रह गया। इससे नाराज किसानों ने कई जगह पूरी फसल में आग लगा दी। मिल संचालकों ने वजन में कटौती की और रिकवरी भी कम दिखाया। समय पर पेमेंट न मिलनी एक और बड़ी वजह रही जिससे किसान परेशान हैं।
ज्यादा उत्पादन को देखते हुए पेराई सत्र भी बढ़ाया गया है। मिलों के लिए पेराई की अवधि 180 दिन होती है, हालांकि, प्रक्रिया इस बार अप्रैल-मई तक जारी रहेगी। मराठवाड़ा के पड़ोसी जिलों की फैक्ट्रियों को भी पेराई जारी रखने के लिए कहा गया है।
चीनी आयुक्तालय के आकड़ों के मुताबिक, सीजन 2021-22 में 20 मार्च, 2022 तक महाराष्ट्र में कुल मिलाकर 197 चीनी मिलों ने पेराई में हिस्सा लिया। जिसमे 98 सहकारी एवं 99 निजी चीनी मिलें शामिल है, और 1072.58 लाख टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है। राज्य में अब तक 1111.64 लाख क्विंटल (111 लाख टन) चीनी का उत्पादन किया गया है। राज्य में फ़िलहाल औसत चीनी रिकवरी 10.36 प्रतिशत है।
चीनी उत्पादन में महाराष्ट्र बना नंबर 1
महाराष्ट्र ने इस साल चीनी उत्पादन में न केवल उत्तर प्रदेश को ही पछाड़ा, बल्कि अब तक का रिकॉर्ड 132 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ है। राज्य सरकार अतिरिक्त गन्ना उत्पादन से संबंधित मुद्दों और स्थिति से निपटने के लिए कदम उठा रही है। अब तक राज्य में 1,187 लाख टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है, जबकि लगभग 90 लाख टन फसल अभी भी खेतों में बिना काटी पड़ी है, जिसमें ज्यादातर मराठवाड़ा क्षेत्र में है।
आपको बता दे की, महाराष्ट्र में अब तक 2019-20 में 107 लाख टन रिकॉर्ड चीनी का उत्पादन हुआ था। इस साल अच्छी बारिश और गन्ने का रकबा बढ़ने से उत्पादन लगभग 132 लाख टन तक पहुंच गया है, जबकि उत्तर प्रदेश में इस साल अब तक कम चीनी का उत्पादन किया गया है। राज्य की विभिन्न कंपनियों ने इस सीजन एथेनॉल बेचकर भी अच्छा राजस्व अर्जित किया है।