किसानों ने सरकार को लगाया करोड़ों का चूना, जहां बताए थे खेत, वहां निकले जंगल पहाड़ | mp farmers applied crores of lime to the government know how | Patrika News

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किसानों ने सरकार को लगाया करोड़ों का चूना, जहां बताए थे खेत, वहां निकले जंगल पहाड़ | mp farmers applied crores of lime to the government know how | Patrika News

किसानों ने सरकार को लगाया करोड़ों का चूना, जहां बताए थे खेत, वहां निकले जंगल पहाड़ | mp farmers applied crores of lime to the government know how | Patrika News

किसानों ने गेंहू के पंजीयन के समय जिन खसरा नंबरों को खेत बताया, वहां जांच पड़ताल करने कर डैम, पहाड़ और जंगल निकले हैं।

भोपाल

Published: April 25, 2022 04:25:56 pm

भोपाल. किसानों ने गेंहू के पंजीयन के समय जिन खसरा नंबरों को खेत बताया, वहां जांच पड़ताल करने कर डैम, पहाड़ और जंगल निकले हैं। देवास जिले के बागली और कन्नौद में पायलट कैंपेन के तौर पर हुई जांच में इस बात का खुलासा हुआ है। यहां किसानों द्वारा रजिस्टर कराये गए खसरा नंबरों और सैटेलाइट इमेज का मिलान किया गया, जिससे पता चला कि, किसानों द्वारा दी गई जानकारी फर्जी है।

किसानों ने सरकार को लगाया करोड़ों का चूना, जहां बताए थे खेत, वहां निकले जंगल पहाड़

मामला संदिग्ध पाए जाने पर खाद्द विभाग की ओरसे देवास कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला को पूरी रिपोर्ट भेजते हुए कहा गया कि, मौके पर जाकर इस मामले का मुआयना करवाएं। शुक्रवार को रिपोर्ट मिलते ही उन्होंने एसडीएम को जांच-पड़ताल के लिए पटवारी और राजस्व निरीक्षक की एक टीम तैयार करके जांच का जिम्मा सौंपा। हैरान करने वाली बात ये है कि, जिन स्थानों का जिक्र रिपोर्ट में किया गया है, उन जगहों को पटवारी और राजस्व निरीक्षक की गिरदावरी रिपोर्ट में भी खेत बताया गया है। लेकिन, हकीकत में वो या तो कोई डैम है या पहाड़ या फिर जंगल है। जांच टीम का मानना है कि, ये एक बड़ा स्कैंडल है, जिसमें अधिकारियों की भी मिलीभगत हो सकती है।

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सैटेलाइट परीक्षण पर 20 से 25 करोड़ खर्च का अनुमान

निजी एजेंसी से एक जिले में करवाई गई इस पड़ताल के बाद खाद्द विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेजते हुए कहा कि, कर्नाटक और गुजरात मॉडल की तरह मध्य प्रदेश में भी किसानों द्वारा बताई गई खेती की तमाम जमीनों का सैटेलाइट इमेज के साथ परीक्षण करें। सैटेलाइट परीक्षण पर 20 से 25 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है।

इस तरह लगाया जा रहा सरकार को चूना

खाद्य विभाग का तर्क है कि, अगर सैटेलाइट इमेज परीक्षण हो जाता है तो इससे 2500 से 3000 करोड़ रुपए का खर्च बचने का अनुमान है। ये वो फसल राशि है जो उन जमीनों पर गेंहू की पैदावार बताकर बेची जाती है, जबकि वास्तव में उन जगहों पर जंगल, पहाड़ व बांध हैं। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद सभी जिलों में जांच पड़ताल शुरू की जाएगी।

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