पद्मभूषण उस्ताद राशिद खां ने कहा: हमने रियाज में गलती की तो गुरु की लात भी खाना पड़ी, तभी आज कुछ बन पाया हूं | If we made a mistake in Riyaz, I had to eat the kick of the guru | Patrika News

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पद्मभूषण उस्ताद राशिद खां ने कहा: हमने रियाज में गलती की तो गुरु की लात भी खाना पड़ी, तभी आज कुछ बन पाया हूं | If we made a mistake in Riyaz, I had to eat the kick of the guru | Patrika News

पद्मभूषण उस्ताद राशिद खां ने कहा: हमने रियाज में गलती की तो गुरु की लात भी खाना पड़ी, तभी आज कुछ बन पाया हूं | If we made a mistake in Riyaz, I had to eat the kick of the guru | Patrika News

भारत भवन में तीन दिवसीय गायन पर्व का आगाज

भोपाल

Published: April 23, 2022 09:38:35 pm

भोपाल. भारत भवन में तीन दिवसीय गायन पर्व का आगाज हुआ। पहली शाम में पद्मभूषण उस्ताद राशिद खां का गायन हुआ। इसके साथ ही राजधानी की गायिका संगीता गोस्वामी ने भी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरुआत किरण देशपांडे की शिष्या संगीता ने मंगल स्वर से की। उन्होंने नमो-नमो जयश्री सरस्वती दयानी…, देवी दयानी दानी दाता… और देवी दया करो दास…. जैसे गीत पेश किए। उनके साथ तबले पर अशेष उपाध्याय, बांसुरी पर राकेश सतनकर और हारमोनियम पर अमन मलिक ने संगत की। सह गायन में वंदना दुबे, अनुश्री संगमनेरकर बंसोड, अमोल रायजादा और मृत्युंजय सिंह थे।

अंतरंग सभागार में जैसे ही उस्ताद का आगमन हुआ श्रोताओं ने खड़े होकर हाथ जोड़ते हुए उनका अभिवादन किया

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श्रोताओं ने खड़े होकर हाथ जोड़ते हुए अभिवादन किया

वहीं, दूसरी प्रस्तुति में उस्ताद राशिद खां की थी। अंतरंग सभागार में जैसे ही उस्ताद का आगमन हुआ श्रोताओं ने खड़े होकर हाथ जोड़ते हुए उनका अभिवादन किया। दिनभर की तपती धुप के बाद शाम की सभा में जैसे ही उनके कंठ से सुरों की मिठास निकली, श्रोताओं को ऐसा लगा मानो उनके बीच ठंडी बयार बह रही हो। उन्होंने श्रोताओं की इजाजत से राग पूरिया से प्रस्तुति की शुरुआत की। इसके बड़ा राग जन सम्मोहिनी की प्रस्तुति दी। उन्होंने बंदिश याद पीया की आई… भी सुनाई।

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गुरुकुल परम्परा को सहेजना होगा
उस्ताद राशिद खां ने कहा कि संगीत सीखने के लिए पहले एक अच्छा श्रोता बनना पड़ता है। आजकल गुरुकुल खत्म हो रहे हैं, इससे सीखने-सिखाने की परम्परा भी खत्म होती जा रही है। मैं हमेशा युवा पीढ़ी को यही सलाह देता हूं कि तानसेन नहीं तो कानसेन ही बन जाओ। पद्मभूषण अवॉर्ड के मिलने को लेकर उन्होंने कहा कि इससे एक गायक के रूप में दायित्व और भी बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि मैंने उस्तादों की खूब मार खाई है। उसी का नतीजा है कि आज कुछ बन पाया हूं। मुझे याद है जब मैं 13 साल का था, उस समय भुवनेश्वर में एक कार्यक्रम में प्रस्तुति देने गया था। कार्यक्रम से पहले मैं सुस्ताने लगा तो मामा और गुरु निसान हुसैन खां साहब ने मुझे एक लात मारी और कहा कि सबको रियाज सुनाओ। इसके बाद मैंने सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस दी। वो दिन है और आज का दिन है, मैंने अपने रियाज में कभी कोई कमी नहीं छोड़ी। आज के दौर में यदि बच्चे को डांट दो तो अगले दिन से वह आता ही नहीं। संगीत एक दिन में सीखने वाली विधा नहीं है।

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