कैंसर पीड़ित बच्चों के लिए अच्छी खबर, यहां मिलेगा सबसे अच्छा इलाज | pediatric cancer treatment in madhya pradesh | Patrika News h3>
बड़ी पहल : एनएचएम ने केन किड्स से किया एमओयू, अब कैंसर से जूझते मासूमों को मिलेगी इलाज में मदद
भोपाल
Updated: April 22, 2022 12:34:30 pm
भोपाल। कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। प्रदेश में अब कैंसर से जूझ रहे बच्चों को इलाज के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। बच्चों में कैंसर की पहचान के लिए डॉक्टरों को ट्रेंड करने से लेकर अस्पतालों में जाँच, दवाओं और इलाज के लिए केन किड्स संस्था मदद करेगी।
एनएचएम की एमडी प्रियंका दास (NHM MD Priyanka Das) ने कैन किड संस्था की चेयरमेन डॉ पूनम बगाई के साथ बुधवार को एमओयू साइन किया। संस्था के सहयोग से बच्चों में कैंसर की पहचान, टेस्ट और ट्रीटमेंट की व्यवस्था की जाएगी।
एनएचएम एमडी ने बताया कि 18 साल तक के बच्चों में होने वाले कैंसर की पहचान के लिए फील्ड स्टाफ से लेकर हर स्तर पर डॉक्टरों की कैपेसिटी बिल्डिंग की ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे पीएचसी, सीएचसी, सिविल हॉस्पिटल और जिला अस्पताल में बच्चों की स्क्रीनिंग कर मेडिकल कॉलेज और टर्सरी केयर सेंटर पर डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट की व्यवस्था की जाएगी। इससे कैंसर से पीडित बच्चे के परिवार पर आर्थिक और मानसिक बोझ कम पड़ेगा।
सरकारी में व्यवस्था नहीं तो प्राइवेट में होगा इलाज
कैन किड्स संस्था की धनश्री प्रधान ने बताया कि हमारा उद्देश्य बच्चों में कैंसर (पीडियाट्रिक कैंसर) की जल्द पहचान और उपचार की सुविधाएँ आसानी से मुहैया कराना है। इसके लिए कैंसर पीडित बच्चे के लिए हर स्तर पर इलाज में संस्था मदद करेगी। बच्चे की जाँच के लिए यदि सरकारी अस्पताल में व्यवस्था नहीं हैं, तो संस्था उसके लिए निजी अस्पताल में जाँच का इंतजाम कराएगी। अस्पतालों में पीडियाट्रिक कैंसर को लेकर सुविधाएँ नहीं हैं। उनका गेप एनालिसिस कर एनएचएम को रिपोर्ट भेजी जाएगी, जिससे उस कमी को दूर किया जा सके।
पीडियाट्रिक कैंसर की बनेगी पॉलिसी
पांच सालों तक कैन किड्स संस्था प्रदेश में कैंसर की जाँच एवं उपचार की सुविधा वाले सरकारी और प्रायवेट अस्पतालों की जिला अस्पतालों से मैपिंग करेगी। इससे जिला अस्पताल से कैंसर के लक्षणों वाले बच्चे को सही सेंटर पर रेफर किया जा सके। संस्था से मिले गेप का एनालिसस कर एनएचएम पीडियाट्रिक कैंसर को लेकर पॉलिसी बनाएगा।
आशा कार्यकर्ता से लेकर डॉक्टर्स को दी जाएगी ट्रेनिंग
कैंसर की पहचान के लिए आशा कार्यकर्ता से लेकर जिला अस्पताल के डॉक्टर्स की ट्रेनिंग होगी। बच्चों की जांच, दवा और इलाज की सुविधा उपलब्ध न होने पर संस्था अपने फंड से मदद करेगी। गैप के हर मामले की एनएचएम को रिपोर्ट भेजेगी, ताकि पीडियाट्रिक कैंसर की पॉलिसी बन सके। एनएचएम स्टेट लेवल पर एक पीडियाट्रिक कैंसर कमांड सेंटर बनाकर निगरानी करेगा। किड्स संस्था एक पोर्टल बनाकर उसमें रिसोर्स डायरेक्ट्री तैयार कर इलाज के लिए मैप हॉस्पिटल, वहां डॉक्टर और सोशल वर्कर की जानकारी के साथ ही हेल्पलाइन नंबर भी जारी करेगा।
कैंसर ग्रस्त बच्चे की जांच होते ही बनेगी हेल्थ आइडी
एनएचएम एमण्डी के अनुसार कैंसर ग्रस्त बच्चे की जांच के बाद कैंसर की पुष्टि होते ही उसकी आयुष्मान भारत हेल्थ आइडी जनरेट की जाएगी। प्रत्येक कैंसर पीडित बच्चे के इलाज की ट्रेकिंग करने के लिए अलग से एमआईएस सिस्टम बनाया जाएगा। जिससे यह पता लग सकेगा कि किस कैंसर पीडित बच्चे का किस अस्पताल में क्या-क्या इलाज हुआ है।
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बड़ी पहल : एनएचएम ने केन किड्स से किया एमओयू, अब कैंसर से जूझते मासूमों को मिलेगी इलाज में मदद
भोपाल
Updated: April 22, 2022 12:34:30 pm
भोपाल। कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। प्रदेश में अब कैंसर से जूझ रहे बच्चों को इलाज के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। बच्चों में कैंसर की पहचान के लिए डॉक्टरों को ट्रेंड करने से लेकर अस्पतालों में जाँच, दवाओं और इलाज के लिए केन किड्स संस्था मदद करेगी।
एनएचएम की एमडी प्रियंका दास (NHM MD Priyanka Das) ने कैन किड संस्था की चेयरमेन डॉ पूनम बगाई के साथ बुधवार को एमओयू साइन किया। संस्था के सहयोग से बच्चों में कैंसर की पहचान, टेस्ट और ट्रीटमेंट की व्यवस्था की जाएगी।
एनएचएम एमडी ने बताया कि 18 साल तक के बच्चों में होने वाले कैंसर की पहचान के लिए फील्ड स्टाफ से लेकर हर स्तर पर डॉक्टरों की कैपेसिटी बिल्डिंग की ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे पीएचसी, सीएचसी, सिविल हॉस्पिटल और जिला अस्पताल में बच्चों की स्क्रीनिंग कर मेडिकल कॉलेज और टर्सरी केयर सेंटर पर डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट की व्यवस्था की जाएगी। इससे कैंसर से पीडित बच्चे के परिवार पर आर्थिक और मानसिक बोझ कम पड़ेगा।
सरकारी में व्यवस्था नहीं तो प्राइवेट में होगा इलाज
कैन किड्स संस्था की धनश्री प्रधान ने बताया कि हमारा उद्देश्य बच्चों में कैंसर (पीडियाट्रिक कैंसर) की जल्द पहचान और उपचार की सुविधाएँ आसानी से मुहैया कराना है। इसके लिए कैंसर पीडित बच्चे के लिए हर स्तर पर इलाज में संस्था मदद करेगी। बच्चे की जाँच के लिए यदि सरकारी अस्पताल में व्यवस्था नहीं हैं, तो संस्था उसके लिए निजी अस्पताल में जाँच का इंतजाम कराएगी। अस्पतालों में पीडियाट्रिक कैंसर को लेकर सुविधाएँ नहीं हैं। उनका गेप एनालिसिस कर एनएचएम को रिपोर्ट भेजी जाएगी, जिससे उस कमी को दूर किया जा सके।
पीडियाट्रिक कैंसर की बनेगी पॉलिसी
पांच सालों तक कैन किड्स संस्था प्रदेश में कैंसर की जाँच एवं उपचार की सुविधा वाले सरकारी और प्रायवेट अस्पतालों की जिला अस्पतालों से मैपिंग करेगी। इससे जिला अस्पताल से कैंसर के लक्षणों वाले बच्चे को सही सेंटर पर रेफर किया जा सके। संस्था से मिले गेप का एनालिसस कर एनएचएम पीडियाट्रिक कैंसर को लेकर पॉलिसी बनाएगा।
आशा कार्यकर्ता से लेकर डॉक्टर्स को दी जाएगी ट्रेनिंग
कैंसर की पहचान के लिए आशा कार्यकर्ता से लेकर जिला अस्पताल के डॉक्टर्स की ट्रेनिंग होगी। बच्चों की जांच, दवा और इलाज की सुविधा उपलब्ध न होने पर संस्था अपने फंड से मदद करेगी। गैप के हर मामले की एनएचएम को रिपोर्ट भेजेगी, ताकि पीडियाट्रिक कैंसर की पॉलिसी बन सके। एनएचएम स्टेट लेवल पर एक पीडियाट्रिक कैंसर कमांड सेंटर बनाकर निगरानी करेगा। किड्स संस्था एक पोर्टल बनाकर उसमें रिसोर्स डायरेक्ट्री तैयार कर इलाज के लिए मैप हॉस्पिटल, वहां डॉक्टर और सोशल वर्कर की जानकारी के साथ ही हेल्पलाइन नंबर भी जारी करेगा।
कैंसर ग्रस्त बच्चे की जांच होते ही बनेगी हेल्थ आइडी
एनएचएम एमण्डी के अनुसार कैंसर ग्रस्त बच्चे की जांच के बाद कैंसर की पुष्टि होते ही उसकी आयुष्मान भारत हेल्थ आइडी जनरेट की जाएगी। प्रत्येक कैंसर पीडित बच्चे के इलाज की ट्रेकिंग करने के लिए अलग से एमआईएस सिस्टम बनाया जाएगा। जिससे यह पता लग सकेगा कि किस कैंसर पीडित बच्चे का किस अस्पताल में क्या-क्या इलाज हुआ है।
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