Gujarat Election 2022: बीजेपी का बेस्ट 127, दाहोद से ‘दक्षिणी दुर्ग’ पर नजर, अबकी बार मोदी कराएंगे 150 पार? h3>
अहमदाबाद: गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) होने हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), दोनों इसी राज्य से हैं। ऐसे में यह समझा जा सकता है कि गुजरात चुनाव भातरीय जनता पार्टी के लिए कितना जरूरी है। हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 4 राज्यों में शानदार जीत दर्ज की। परिणाम के अगले ही दिन पीएम मोदी गुजरात दौरे पर निकल जाते हैं अहमदाबाद में सभा करते हैं। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि खुद पीएम मोदी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते। इसी कड़ी में उन्होंने बुधवार को दाहोद जिले को लगभग 22 हजार करोड़ रुपए की सौगात की। कई योजनाओं की सौगात दी। दरअसल दाहोद से पीएम मोदी ने उस आदिवासी वोट बैंक पर निशाना साधने की कोशिश की जो 27 सीटों पर जीत, हार में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
दाहोद पर क्यों है नजर?
पीएम मोदी तीन दिन की गुजरात यात्रा पर आए। डेढ़ महीने के अंदर पीएम मोदी की यह दूसरी गुजरात यात्रा थी। इससे पहले वो पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद 11 मार्च को गुजरात की यात्रा की थी। 11 मार्च वाले गुजरात दौरे के दौरान पीएम मोदी ने तीन रोड शो किये थे। दाहोद आदिवासी बाहुल क्षेत्र है और यहां कांग्रेस का दबदबा रहा है।
बात अगर आदिवासी वोट बैंक की करें तो पूरे राज्य में इनकी आबादी लगभग 15 फीसदी है। राज्य में ऐसी 27 सीटें हैं जहां जीत हार का फैसला आदिवासी कर सकते हैं। यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल इन्हें अपनी तरफ लाने पूरी कोशिश करते दिखाई देते रहे हैं। बनासकांठा, साबरकांठा, अरवल्ली, महिसागर, पंचमकाल दाहोद, छोटाउदेपुर, नर्मदा, भरूच , तापी, वलसाड, नवसारी, डांग, सूरत जैसे जिलों में इनका अच्छा खासा दबदबा है।
कांंग्रेस की अच्छी पैठ
182 सीटों वाली विधानसभा में साल 2007 में जिन 27 सीटों पर आदिवासियों का प्रभाव है, उनमें से कांग्रेस (Congress) ने 14 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2012 के चुनाव में कांग्रेस को 16 सीटें मिलीं। 2017 में उसके पाले में फिर 14 सीट आई। बीजेपी इस बार बार 150 सीटों का लक्ष्य लेकर चल रही है। इस लक्ष्य को पाने के लिए हयं जीतना जरूरी हो जाता है। हालांकि राज्य में बीजेपी आज तक 127 सीटों से ज्यादा जीत नहीं पाई है।
नाराज हैं आदिवासी!
राज्य में आदिवासी सरकार की कई योजनाओं को लेकर नाराज चल रहे हैं। दक्षिण गुजरात में तापी नर्मदा रिवर लिंकिंग प्रोजेक्ट को लेकर काफी विरोध प्रदर्शन हुआ। हजारों की संख्या में आदिवासियों ने सड़क पर उतरकर विरोध किया। बाद में सरकार ने फैसला वापस ले लिया। स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के एरिया में आदिवासी गांवों की समस्या का भी समाधान अभी तक नहीं हो पाया है।
दाहोद पर क्यों है नजर?
पीएम मोदी तीन दिन की गुजरात यात्रा पर आए। डेढ़ महीने के अंदर पीएम मोदी की यह दूसरी गुजरात यात्रा थी। इससे पहले वो पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद 11 मार्च को गुजरात की यात्रा की थी। 11 मार्च वाले गुजरात दौरे के दौरान पीएम मोदी ने तीन रोड शो किये थे। दाहोद आदिवासी बाहुल क्षेत्र है और यहां कांग्रेस का दबदबा रहा है।
बात अगर आदिवासी वोट बैंक की करें तो पूरे राज्य में इनकी आबादी लगभग 15 फीसदी है। राज्य में ऐसी 27 सीटें हैं जहां जीत हार का फैसला आदिवासी कर सकते हैं। यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल इन्हें अपनी तरफ लाने पूरी कोशिश करते दिखाई देते रहे हैं। बनासकांठा, साबरकांठा, अरवल्ली, महिसागर, पंचमकाल दाहोद, छोटाउदेपुर, नर्मदा, भरूच , तापी, वलसाड, नवसारी, डांग, सूरत जैसे जिलों में इनका अच्छा खासा दबदबा है।
कांंग्रेस की अच्छी पैठ
182 सीटों वाली विधानसभा में साल 2007 में जिन 27 सीटों पर आदिवासियों का प्रभाव है, उनमें से कांग्रेस (Congress) ने 14 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2012 के चुनाव में कांग्रेस को 16 सीटें मिलीं। 2017 में उसके पाले में फिर 14 सीट आई। बीजेपी इस बार बार 150 सीटों का लक्ष्य लेकर चल रही है। इस लक्ष्य को पाने के लिए हयं जीतना जरूरी हो जाता है। हालांकि राज्य में बीजेपी आज तक 127 सीटों से ज्यादा जीत नहीं पाई है।
नाराज हैं आदिवासी!
राज्य में आदिवासी सरकार की कई योजनाओं को लेकर नाराज चल रहे हैं। दक्षिण गुजरात में तापी नर्मदा रिवर लिंकिंग प्रोजेक्ट को लेकर काफी विरोध प्रदर्शन हुआ। हजारों की संख्या में आदिवासियों ने सड़क पर उतरकर विरोध किया। बाद में सरकार ने फैसला वापस ले लिया। स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के एरिया में आदिवासी गांवों की समस्या का भी समाधान अभी तक नहीं हो पाया है।